नाहन में सजी कवियों की महफिल

By: Mar 15th, 2017 12:05 am

नाहन  —  समाज की गंदगी दूर करने के लिए यदि हमें गाली भी देनी पड़े तो वह गाली गजल से कहीं अच्छी है। युवा आईपीएस अधिकारी सौम्या साम्बशिवन के इन शब्दों पर कवियों ने जमकर दाद थी। मौके था होली की पूर्व संध्या पर शंखनाद संस्था द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन व सम्मान समारोह का। इस दौरान जहां तीन दर्जन से अधिक कवियों ने कविता पाठ किया, वहीं शेहर के वरिष्ठ समाजसेवियों को सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम में एसपी सिरमौर सौम्या साम्बशिवन ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। मंच संचालक भुवन जोशी ने किया। कार्यक्रम में एसपी सौम्या साम्बशिवन ने अपनी बाक कटुता, सौम्य व्यवहार से ऐसा जादू किया कि पूरा सभागार उनका मुरीद नजर आया। इस मौके पर शंखनाद संस्था की ओर से सर्वप्रथम सामाजिक कार्यों में उल्लेखनीय कार्य करने वाले दलीप सिंह वर्मा, प्रो. सुरेश जोशी, प्रो. अमर सिंह चौहान, प्रकाश कांती, एसडी रात्रा, केसी सोहल, डा. सत्येंद्र ठाकुर, अशोक सैणी व श्याम सैणी को मुख्यातिथि सौम्या साम्बशिवन के हाथों टोपी व मोमेंटो देकर सम्मानित किया। तदोपरांत कवि गोष्ठी का आगाज करते हुए माजरा से आए आमिर शेख ने सोना भी एक वाब जैसा है, धर्म सिंह तोमर ने करने होंगे प्रयास सभी, कृष्ण सिंगटा ने कहां खो गया मेरा बचपन, बिंदु शर्मा ने तुमने अपने प्रेम रंग से, उषा सूर्यवंशी ने लिखूं तकदीर मेहनत से छुपा लूं पीर घावों की कविता पेश की। प्रो. भारती शर्मा ने आओ हर शाम समेट ले कविता से खूब दाद पाई। युवा शायर जावेद उल्फत ने इस आवाम को उसकी फितरत ही न खा ले कहीं, दीप चंद कौशल ने कभी ऐसा वक्त भी आए तो, शून्य विनोद ने मास फाल्गुन दिवस पूर्णिमा से खूब रंग जमाया। शबाना चौहान ने उजड़ कर फिर से बसना, सरला गौतम ने वन उपवन में हर रंग मुस्कुराया, अर्चना शर्मा ने मौसम की करवट है कविता सुनाई। गोविंद ठाकुर ने कुदरत ने भी अपनी सुंदरता है खोली, डा. ईश्वर राही ने मैं सृष्टि हूं, विजय रानी बंसल ने उस छलकाती, रंग बरसाती, संजीव शर्मा ने समझ नहीं पा रहा हूं, युवा कवि गीता राम माहिया ने मेरे भारत देश को दरिंदों ने दो जख बना डाला, साधना शर्मा ने सौ सा शांत सुंदरता की मूर्त तुम से अपने उद्गार पेश किए।


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