निबंध प्रतियोगिता

By: Mar 15th, 2017 12:05 am

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क्या मोदी बजट में हिमाचल को इनसाफ मिला

प्रथम

मुनीष कुमार

घियाणा कलां, कांगड़ा

नोटबंदी की मुश्किल झेलने के बाद पूरे भारत के साथ हिमाचल के लोगों की भी मोदी के 2017-18 के बजट से काफी उम्मीदें थीं।  अन्य राज्यों की तरह 4.11 लाख करोड़ रुपए का प्रस्ताव और मोदी बजट के प्रावधान के अनुसार राज्यों को जो टैक्स प्राप्त होगा 14 फीसदी टैक्स वृद्धि के तौर पर दिया जाएगा, जो जीएसटी लागू होने के बाद मिलेगा, जिससे हिमाचल सरकार को सीधे रूप से सालाना 550 करोड़ रुपए का लाभ होगा। मोदी का यह बजट पूरी तरह से मोदी के सपनों का बजट रहा, जो  मोदी ने अपने भाषणों, चुनावी वादों में दिखाए थे।  मोदी बजट में अब तक के बहुत ऐतिहासिक एवं साहसिक फैसले लिए गए हैं, जो आम आदमी को काफी हद तक रास आए। उनकी उम्मीदों पर खरा उतरा है। हिमाचल में सबसे ज्यादा ग्रामीण जनसंख्या है, जो गरीबी रेखा से नीचे है। मोदी के बजट ने गरीबी से मुक्ति दिलाने के लिए 50000 ग्राम पंचायतों  को अंत्योदय मिशन में रखने का प्रस्ताव दिया है। हिमाचल के आम लोगों को रास्ता राशन मिल सकेगा। हिमाचल के लोगों के लिए मोदी बजट किसी वरदान से कम नहीं है। आज जहां दुनिया विकास की नई-नई ऊंचाइयों को छू रही है, वहीं आज भी हिमाचल के लोगों का जीवनयापन करने का जरिया खेतीबाड़ी है। वैसे तो पहाड़ों पर बादल बरसते रहते हैं, मगर कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जहां लोग पानी के लिए तरसते हैं। कभी बारिश न होने से फसल बर्बाद हो जाती है। मोदी के बजट ने उन लोगों को राहत देने की कोशिश की है, जिससे मनरेगा के तहत तालाब बनाने के लिए 48000 करोड़ रुपए प्रस्तावित किए हैं। जहां सूखे क्षेत्रों में तालाब बनाकर सही समय पर खेतों को सींचा जा सके। जहां एक ओर किसानों को दस लाख करोड़ रुपए का कृषि ऋण दिया जाएगा, जिससे किसान नए प्रोजेक्ट शुरू कर सकते हैं। आज भी हिमाचल के लोग कच्चे मकानों में रहते हैं। मोदी बजट में ऐसे लोगों को एक नई आशा की किरण दिखी है, जिसमें एक करोड़ लोगों को 2019 तक नए पक्के मकान दिए जाएंगे। तिरपाल के नीचे गुजारा करने वालों के पास भी अपना घर होगा। हिमाचल के बहुत से लोग छोटे कारोबारी हैं, जिन्होंने नोटबंदी की मार झेली है आयकर में पांच प्रतिशत छूट देकर उनको भी राहत देने की एक अच्छी कोशिश की गई है। आज हिमाचल का युवा वर्ग शिक्षा के क्षेत्र में भारत के अग्रणी राज्यों में है। मोदी बजट में छात्रों का भी विशेष ध्यान रखा गया है। छात्रों के लिए ‘स्वयं’ प्लेटफार्म के तहत 350 प्रकार के पाठ्यक्रमों से छात्र घर बैठे ऑनलाइन कोर्स कर सकते हैं, जहां से वे अपने नालेज को एक अगले स्तर तक ले जा सकेंगे। आज हिमाचल का युवा वर्ग पढ़ा-लिखा और बेरोजगार है। हिमाचल के डेढ़ लाख कर्मचारी जिनकी आय तीन लाख से कम है, उन्हें टैक्स मुक्त करके एक नई सौगात दी है। पूरा तो नहीं किसी हद तक हिमाचल को बजट में इनसाफ मिला है।

द्वितीय

कर्ण सिंह

सुंदरनगर, मंडी

संविधान के अनुच्छेद-112 के अंतर्गत प्रत्येक वित्त वर्ष के लिए भारत सरकार की अनुमानित आय अथवा प्राप्तियों एवं व्यय का विवरण संसद के सामने प्रस्तुत करना होता है। वार्षिक वित्तीय विवरण कहलाने वाला यह विवरण आम भाषा में बजट के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष बजट का आकार रेल बजट के संगठित होने से और भी बड़ा हो गया था, जिसमें हिमाचल जैसे छोटे राज्य को ढूंढना मुश्किल ही था। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में प्रदेश की चारों सीटें भाजपा की झोली में प्रदेश की जनता ने डाली थीं तथा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की कर्मभूमि भी हिमाचल रहा है। बजट से कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंडी रैली में कोल डैम, रामपुर, पार्वती-तीन जल विद्युत परियोजनाओं के उद्घाटन के दौरान किसी भी घोषणा का ऐलान न करना यह संकेत कर रहा था कि आगामी बजट में प्रदेश के लिए कुछ बड़ी घोषणाएं हो सकती थीं, लेकिन हुआ सब आकांक्षाओं के विपरीत। हालांकि बजट वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली द्वारा प्रस्तुत किया गया, लेकिन बजट में अंतिम मुहर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ही लगानी थी। पांच राज्यों में चुनाव होने के कारण बजट में इन पांच बड़े राज्यों में किसी भी स्कीम व अन्य वित्तीय घोषणा पर चुनाव आयोग ने पहले ही प्रतिबंध लगा दिया था। इसी वर्ष हिमाचल में विधानसभा के चुनाव भी होने हैं, इस कारण बजट में हिमाचली उम्मीदें आसमान छू रही थीं, लेकिन वित्त मंत्री के भाषण में हिमाचल का नाम कहीं भी स्थान नहीं बना पाया। भौगोलिक दृष्टि से प्रदेश में जनजीवन अन्य राज्यों की अपेक्षा कठिन है। बजट में हर वर्ष उम्मीद रहती है कि प्रदेश की माली अर्थव्यवस्था को नई सांस मिले, वहीं प्रदेश में कृषि व बागबानी, पर्यटन, पन बिजली उत्पाद, औद्योगिकीकरण, परिवहन की सुविधाओं की बेहतरी के लिए भी बजट में व्यवस्था हो, लेकिन हर वर्ष प्रदेश की अनदेखी ही होती है। इसका गवाह 69 वर्षों का इतिहास है। अंग्रेजों ने 1864 में प्रदेश की वर्तमान राजधानी शिमला को एक नई पहचान दी थी तथा शिमला-कालका रेलमार्ग तथा जोगिंद्रनगर-पठानकोट रेलमार्ग का निर्माण करके प्रदेश को रेलमार्ग से जोड़ा था। 1903 से लेकर अब तक प्रदेश के पास महज 242 किलोमीटर रेलमार्ग ही बन पाया। आजादी के बाद महज 44 किलोमीटर ही बना। भारत को पड़ोसी राष्ट्र चीन से  निरंतर चुनौतियां मिल रही हैं। सामरिक महत्त्व की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण बिलासपुर-भानुपल्ली-लेह रेललाइन निर्माण की कछुआ चाल व सर्वेक्षण का बजट में झुनझुना हर वर्ष की भांति रटी-रटाई बात है। हिमाचल रेल सर्वे तक सिमटी और इस बार तो कोई बड़ा संस्थान भी नहीं मिल पाया। इस वर्ष के बजट में टैक्स में छूट, कर्मचारियों व पूर्व सैनिकों को बजट में जो मिला, वह तो पूरे देश को ही मिला। अलग से हिमाचल को कोई  खास सौगात नहीं दी गई।

तृतीय

हेम राज

बकाणी, चंबा

वित्त वर्ष 2017-18 का बजट संतुलित व समावेशी विकास पर केंद्रित है। इस बजट में भारत सरकार ने प्रत्येक राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की आशाओं व आकांक्षाओं को पूरा करने का भरपूर प्रयास किया गया है।  बजट 2017-18 ग्रामीण विकास, कृषि, सूक्ष्म लघु व मध्यम उद्योग, आयकर व गरीबी उन्मूलन पर मूलतः केंद्रित है। अगर इस बजट को हिमाचल के परिपेक्ष में देखा जाए तो यह बजट हिमाचल प्रदेश की समस्त आशाओं व आकांक्षाओं की पूर्ति करने वाला बजट है, क्योंकि हिमाचल की समस्त अर्थव्यवस्था कृषि, बागबानी, सूक्ष्म लघु व मध्यम उद्योगों पर आधारित है। इन क्षेत्रों से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से हिमाचल प्रदेश के 60 प्रतिशत से अधिक लोगों को रोजगार प्राप्त होता है। कृषि  के लिए बजट में सबसे ज्यादा दस लाख करोड़ का आबंटन किया गया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए नौ हजार करोड़ का आबंटन किया गया है। 50000 ग्राम पंचायतों को गरीबी से मुक्त किया जाएगा। हिमाचल में 89.09 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में निवास करती है, जिसका लाभांश इस बजट से हिमाचल को प्राप्त होगा। सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग जिनका कारोबार 50 करोड़ तक होगा, उन उद्योगों को निगम कर में पांच प्रतिशत छूट प्रदान की गई है। ऐसे उद्योगों को हिमाचल में फलने-फूलने का सुअवसर प्राप्त हुआ है। राज्य सरकार भी इन उद्योगों को विशेष रियायत दे रही है। इस वर्ष रेल बजट व आम बजट एक साथ पेश किए गए, लेकिन रेलवे क्षेत्र में जरूर हर बार की तरह इस बार भी निराशा प्राप्त हुई है। रेलवे के क्षेत्र को हिमाचल में सिर्फ सर्वेक्षण के लिए ही थोड़ा बहुत धन उपलब्ध करवाया गया है। रेलवे के क्षेत्र में हिमाचल को हमेशा की तरह इस बार भी इनसाफ नहीं मिला है। रेलवे क्षेत्र को छोड़ कर बाकी पूरा बजट काफी हद तक हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था व वित्तीय व्यवस्था को शुद्धता प्रदान करता है। सीमा पर चीन की चुनौतियों को देखते हुए केंद्र सरकार को हिमाचल के लिए रेल बजट में प्रावधान करना चाहिए था। हर बार रेलवे को सर्वे तक ही रखा जाता है। इससे आगे हिमाचल को कुछ भी हीं मिल पाया है। हिमाचल एक छोटा सा पहाड़ी प्रदेश है और इसकी चुनौतियां भी काफी हैं। उन्हें देखते हुए केंद्र सरकार को बजट में प्रदेश को विशेष पैकेज देना चाहिए था। वैसे भी प्रदेश पर 35 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। और हिमाचल का बजट भी प्रदेश की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता। हिमाचल का 62 प्रतिशत बजट तो कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन-भत्तों और कर्ज की किस्त अदायगी में और ब्याज में निकल जाता है। ऐसे में बचे हुए 38 प्रतिशत से विकास होना असंभव है। ज्यादातर केंद्र के रहमो-करम पर निर्भर प्रदेश को बजट में खास तवज्जो देनी चाहिए थी, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। केंद्र जैसे दूसरे राज्यों (जे एंड के और पूर्वोत्तर राज्य ) को दिल खोल कर बजट देता है। हिमाचल के लिए भी ऐसा होना चाहिए।

इनके प्रयास भी सराहनीय रहे

शगुन हंस

योल, कांगड़ा

गत दिनों हुई नोटबंदी के कारण इस साल के बजट को काफी महत्त्वपूर्ण माना जा रहा था। हिमाचल को भी हर बार की तरह इस बार भी मोदी बजट से काफी उम्मीदें थीं।  हिमाचल को हर बार की तरह इस बार भी रेल में सर्वे तक ही रहने दिया गया। आखिर कितने सालों तक हिमाचल में रेल के लिए सर्वे ही होता रहेगा। सर्वे से आगे रेल कब बढ़ेगी, इस बात को हिमाचल के लोगों को इंतजार था। आम बजट में भी मोदी सरकार हिमाचल को कोई बड़ा तोहफा नहीं दे पाई है। अभी तो हिमाचल को पिछली बरसात का ही मुआवजा नहीं मिल पाया है। बजट गुजर गया और अब फिर हिमाचल को एक साल इंतजार करना होगा कि केंद्र सरकार उसकी भी झोली में कुछ डाल दे…

विकास राणा

धर्मशाला, कांगड़ा

इस बार के केंद्र सरकार के बजट में हिमाचल प्रदेश को नरेंद्र मोदी सरकार से काफी आशाएं थीं, पर इस बार फिर हिमाचल की झोली खाली ही रही है। हिमाचल को न रेल में कुछ मिला है और न ही आम बजट में हिमाचल के हिस्से कोई बड़ा संस्थान आया है। जैसे कि सर्वविदित है कि हिमाचल एक डोटा सा पहाड़ी प्रदेश है और इसमें आमदनी के संसाधन भी नाममात्र ही है। हर छोटी सी बात के लिए हिमाचल को केंद्र की तरफ देखना पड़ता है। हमारे सांसद भी केंद्र में प्रदेश के लिए पैरवी नहीं कर पाते और उसी का नतीजा है कि हर बजट में हिमाचल को केंद्र के बजट में कुछ खास नहीं मिलता है…

शैफाली

गगल, कांगड़ा

काफी देर तक इस बार का बजट पेश होने के बाद भी हिमाचल का नाम नहीं आना जाहिर करता है कि हिमाचल के लिए केंद्र के दिल में कितनी कद्र है। प्रधानमंत्री जब हिमाचल आए, तो उन्होंने ऐसा जाहिर किया कि जैसे हिमाचल के लिए पूरे खजाने का मुंह खोल देंगे, पर  ऐसा कुछ नहीं हुआ। केंद्र सरकार ने कई परियोजनाओं में तो कटौती कर दी है। राज्य को औद्योगिक पैकेज कम दिया है। राज्य का दर्जा दिए जाने की भी बस बातें ही होती हैं, इसके आगे कुछ भी नहीं होता। हिमाचल के सांसद संसद में या तो अपनी बात नहीं रख पाते या उनकी बात संसद में सुनी ही नहीं जाती। जब बजट में दूसरे प्रदेशों के लिए बंटती सौगातों के बारे में सुनते हैं तो ईर्ष्या होना स्वाभाविक है कि हिमाचल को कुछ क्यों नहीं मिलता…


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