मोदी का ‘मिशन 2022’

By: Mar 15th, 2017 12:02 am

चुनावी महाजीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मिशन 2022’ तय किया है और यह भी साफ किया है कि वह चुनाव केंद्रित काम नहीं करते। मोदी सरकार का मौजूदा कार्यकाल मई, 2019 तक का है। प्रधानमंत्री ने जो लक्ष्य तय किए थे, उनमें 2022 तक देश के हरेक नागरिक को उसका अपना, पक्का घर मुहैया कराना भी था। 2022 में देश की आजादी के 75 साल पूरे हो रहे हैं। अभी यह कहना व्यावहारिक नहीं होगा कि 2022 में मोदी ही देश के प्रधानमंत्री रहेंगे। हालांकि उत्तर प्रदेश समेत चार राज्यों में भाजपा को जो जनादेश मिला है, उसके मद्देनजर आसार नहीं लगते कि कांग्रेस 2019 में भी भाजपा को चुनावी टक्कर दे पाएगी! देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के हिस्से मात्र सात विधायक ही आए हैं। सोनिया-राहुल गांधी की संसदीय सीटों-रायबरेली और अमेठी-के ज्यादातर क्षेत्रों में भी कांग्रेस हारी है और भाजपा विजयी रही है। लिहाजा जनादेश 2017 के आधार पर मानकर चलें कि 2022 और उसके आगे भी प्रधानमंत्री मोदी की ही सत्ता बरकरार रहेगी, तो भी ‘मिशन 2022’ एक असंभव सी चुनौती है। देश में करीब 30 करोड़ लोग ‘गरीबी की रेखा’ तले जीने को अभिशप्त हैं, लिहाजा एक अनुमान हो सकता है कि लगातार इतनी ही आबादी ‘बेघर’ होगी! शायद वे अतिदरिद्र लोग कहीं शिविरों में, तो कहीं झुग्गी-झोंपडि़यों में जीवन बसर कर रहे होंगे! हमने उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान मुसहर जाति के लोगों की जिंदगी को देखा है। वे लगातार अधनंगे रहते हैं। सोने को उनके पास एक खाट तक नहीं है, बिस्तर की कल्पना तो बहुत दूर की बात है। घास-फूस और तिनकों का बिस्तर बनाकर उस पर सोना उनकी मजबूरी और नियति ही है। कई टेंटनुमा घरों में चूल्हा तक नहीं है। उन्हें देखकर पाषाणकाल के ‘जंगली मानव’ की काल्पनिक याद ताजा हो जाती है। यदि 21वीं सदी का मानव भूखा, नंगा होगा, तो मकान उसके लिए दिवास्वप्न की कल्पना सा है। बेशक प्रधानमंत्री मोदी ने चुनौतीपूर्ण संकल्प लिया है। करोड़ों लोगों को मकान, घर मुहैया कराना, 2022 तक, तो असंभव है। सवाल संसाधनों, जमीन और उनकी व्यापक निर्माण प्रक्रिया का है। संभव है कि प्रधानमंत्री मोदी के पास फिलहाल तमाम सूचनाएं भी न हों। यदि ऐसा होता, तो पौने तीन साल की सरकार के दौरान वह खुद बिहार और उत्तर प्रदेश की मुसहर बस्तियों का दौरा करते या कमोबेश अफसरों की एक टीम को जरूर भेजते। यदि उन फटेहाल बस्तियों पर प्रधानमंत्री मोदी की निगाह पड़ गई होती या उनकी जानकारी में होता, तो कमोबेश उन परिवारों की रसोई को तो दुरुस्त किया जा सकता था! उन्हें रसोई गैस के चूल्हे और सिलेंडर तो दिए ही जा सकते थे, लेकिन उन बस्तियों में मिट्टी-ईंट के चूल्हे के अलावा कुछ भी नहीं है। बहरहाल प्रधानमंत्री मोदी का ‘मिशन 2022’ सिर्फ मकान मुहैया कराने तक ही सीमित नहीं है। उन्होंने इस महाजीत के बाद अब ‘नए हिंदोस्तान’ की कल्पना की है। ऐसा हिंदोस्तान, जो 65 फीसदी युवा आबादी (35 साल की उम्र से कम) और जागरूक महिलाओं के सपनों से जुड़ा हो। ऐसा नया देश, जिसमें मध्यम वर्ग का संघर्ष, तनाव और गरीब की ताकत मिल सकें। लेकिन ऐसा ‘नया भारत’ कैसे बनेगा और उसकी प्रक्रिया क्या है, फिलहाल हमें इंतजार करना पड़ेगा, लेकिन इसमें संदेह नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी के इरादे नेक, मानवीय और विकासवादी हैं। यदि इसमें से कुछ फीसद ही संकल्प पूरा होता है, तो भी प्रधानमंत्री बधाई के पात्र होंगे, क्योंकि हम जानते हैं कि यह पूरे देश के परिवर्तन का मिशन है, 130 करोड़ नागरिकों के जीवन-स्तर को संवारने का भगीरथ-प्रयास है, करीब 30 रुपए रोजाना से भी कम की आमदनी वाले तबके की हथेली और जेब को संपन्न करने का मिशन है। देश में करीब 18 करोड़ बेरोजगार हैं। मातृ और शिशु मौत के आंकड़े बड़े भयावह हैं। देश का भौतिक विकास ही टूटा-फूटा है, तो मानसिक विकास की चिंता क्या की जाए। फिर भी हम निराश नहीं हैं, पूर्वाग्रही भी नहीं हैं। हमारा मानना है कि यदि मोदी सरकार रहेगी, तो एक दिन ये तमाम मिशन भी पूर्ण हो जाएंगे, क्योंकि वह एक सक्रिय, चिंतनशील, कमेरा, प्रतिबद्ध प्रधानमंत्री हैं। कांग्रेस या अखिलेश अथवा नीतीश कुमार को मोदी, भाजपा विरोधी राष्ट्रीय मोर्चा बनाने की कवायद करने दो, लेकिन प्रधानमंत्री ‘मिशन 2022’ को साकार करने में ही जुटें। आखिर यही ‘नए हिंदोस्तान’ की बुनियाद है।


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