विस्तृत हो रहा है फलक

By: Mar 27th, 2017 12:05 am

डा. नलिनी विभा नाजली

साहित्य और कलाएं सूक्ष्म भावाभिव्यक्ति के सशक्त एवं खूबसूरत माध्यम हैं। हाल ही में साहित्य अकादमी नई दिल्ली का वर्ष 2016 का पुरस्कार नासिरा शर्मा को उनके उपन्यास ‘पारिजात’ पर मिलना इस बात की पुष्टि करता है कि साहित्य-क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी उपस्थिति बख़ूबी दर्ज करवाई है। हिमाचल प्रदेश में भी महिला लेखिकाएं, कवयित्रियां अपने-अपने विशिष्ट क्षेत्रों में अनवरत सक्रिय हैं तथा अपने तजुर्बात और एहसासात को पाठक/श्रोता वृंद तक सफलतापूर्वक संप्रेषित कर  रही हैं। कथा-लोक से बच्ची को जब जिंदगी के ठोस धरातल, जीवन की विसंगतियों, वेदना और आत्म संघर्ष से दो चार होना पड़़ता है, तो उसी अवसाद को कमल से कागज पर उकेरती हैं। जाहिर है कि वह प्रथम अनुभूतियां अपने ही इर्दगिर्द घूमती हैं, धीरे-धीरे सोच का दायरा बढ़ता है तो यही अपना दर्द, गमे-दौरां में तबदील हो जाता है और ऐसा भी नहीं है कि अपने दर्द की अभिव्यक्ति कालजयी रचना नहीं हो सकती। हिमाचल प्रदेश की लेखिकाओं द्वारा कालजयी साहित्य की रचना की गई है। वरिष्ठतम लेखिका संतोष शैलजा एक बहुमुखी प्रतिभा का उदाहरण है। पर्वतीय लोक कथाएं लिखकर उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। वरिष्ठ कवयित्री सरोज परमार ने साहित्य को अपनी कालजयी कृतियां दी हैं। उन्होंने अपने भोगे हुए यथार्थ को काव्यात्मक अभिव्यक्ति दी और जो जिया, वही लिखा। उनकी कृतियां उन तमाम औरतों की अभिव्यक्ति हैं, जिन्होंने दर्द की आंच पर सिंकी रोटी खाई है। वरिष्ठ कहानीकार और कवयित्री रेखा वरिष्ठ अपनी कालजयी कृतियों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जानी जाती हैं। उन्होंने पहाड़ के लोक जीवन तथा परिवेश पर तो लिखा ही है, साथ ही आधुनिक पीढ़ी पर भी लिखा है। आज के संदर्भ में हिमाचली लेखिकाओं का लगभग सभी सामाजिक सरोकारों पर कलम धारा प्रवाह चल रही है, सामाजिक विषमताएं, राजनीति, जातिवाद, क्षेत्रवाद, भ्रष्टाचार, कन्या भू्रण हत्या, पर्यावरण, समसामयिक मुद्दे इत्यादि कविताओं, गजलों, नज्मों में अभिव्यक्ति पा रहे हैं। कहा जा सकता है कि लेखन के क्षेत्र में हिमाचली महिलाओं का फलक विस्तृत होता जा रहा है।

-अपनी गजलों और नज्मों के माध्यम से राष्ट्रीयस्तर पर अपनी पहचान बनाने वाली, ऐसोसिएट प्रोफेसर पद से सेवानिवृत डा.नलिनी विभा ‘नाजली’ की हिंदी- उर्दू में 8 पुस्तकें प्रकाशित हैं तथा अनेकों सम्मानों के साथ उर्दू अदब के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हैं।


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