हाथ से बुने शाल और टोपियों के लिए प्रसिद्ध है कुल्लू

By: Mar 22nd, 2017 12:05 am

यह हाथ से बुने हुए  अत्युत्तम शाल और कुल्लू टोपियों के लिए  भी प्रसिद्ध है। वसंत ऋतु में कुल्लू अपने सबसे रंगीन रूप में होता है। मार्च के आरंभ में खेतों में चिन्हित आडू और प्लम के वृक्ष गुलाबी फूलों से विकसित होते हैं तथा जंगली मैडलर सफेद फूलों से लदे होते हैं…

कुल्लू

सबसे अधिक रमणीक और सुंदर कुल्लू घाटी ने ब्यास नदी के दोनों ओर अपनी छटा बिखेरी है। घाटी इस नदी के उत्तर से दक्षिण की ओर फैली है। यह घाटी 80 किलोमीटर लंबी है तथा इसका सबसे चौड़ा पाट 2 किलोमीटर है। घाटी में श्रद्धा और भय से प्ररेणा देने वाली कंदराएं, तेज धारा के बहते हुए नाले तथा घुमावदार छोटे नालों से घिरी हुई काइदार चरागाहें हैं। यह हाथ से बुने हुए  अत्युत्तम शाल और कुल्लू टोपियों के लिए  भी प्रसिद्ध है। वसंत ऋतु में कुल्लू अपने सबसे रंगीन रूप में होता है। मार्च के आरंभ में खेतों में चिन्हित आडू और प्लम के वृक्ष गुलाबी फूलों से विकसित होते हैं तथा जंगली मैडलर सफेद फूलों से लदे होते हैं। ऊंची ढलानें जल्दी ही चुंधिया देने वाले बुरांशों से चमकने लगती है, नदी के निकट सफेद अंगूरी गुच्छे चमकते हैं तथा सीढ़ीदार खेत हरे रंग से सुनहरी रंग में बदल जाते हैं। ब्यास नदी के तट पर स्थित कुल्लू नगर जिला का मुख्यालय है।

कुंजुम दर्रा

कुंजुम दर्रा महान कुंजुम श्रेणी में से लाहुल घाटी को मार्ग उपलब्ध करवाता है। उन्नत बड़ा शिगड़ी हिमनद अपने पूर्ण वैभव में सामने दिखाई देता है। दर्रे की चोटी पत्थरों के एक ढेर से चिन्हित की गई है, जो वर्षों पहले यहां खड़ी की गई थी। हाल ही में शिखर पर एक मंदिर का निर्माण किया गया है, जो लाहुल के मुख्य देवता भगवान गेफांग को समर्पित है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि हर वाहन जो कुंजुम दर्रे से गुजरता है, उसे ईश्वर से आशीर्वाद लेने के लिए परिक्रमा करनी पड़ेगी। भगवान के इस पत्थर के बिंब की एक और विशेषता यह है कि यदि भक्त भगवान को स्वीकार्य है तो  कैश(सिक्के या नोट) के रूप में भेंट बिंब से चिपक जाएगी। कुछ लोगों का विश्वास है कि यह मंदिर देवी दुर्गा  का है।

लिंगटी घाटी

यह स्पीति की सबसे बड़ी और सबसे लंबी किनारे वाली घाटी है। यह लिंगटी गांव (3460 मीटर) से उत्तर-पूर्व की ओर अपने सिरे तक लगभग 60 किलोमीटर तक जाती है। यह एक भूतत्व विषयक जीवंत संग्रहालय है। इसका भूतत्व विषयक इतिहास 2500 लाख वर्ष पुराना है और इसके शैल और जीवाश्म संपूर्ण जगत में विदित हैं। लिंगटी घाटी में ‘गया घाटी’ भी है। इसके शिखर पर स्पीति, लद्दाख और तिब्बत मिलते हैं।

लारजी

कुल्लू के पास  ट्राउट मछली और जल विद्युत परियोजना के लिए प्रसिद्ध है।


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