एचपीयू कुलपति रूसा वापसी के पक्ष में नहीं

By: Apr 25th, 2017 12:03 am

newsशिमला  —  हिमाचल प्रदेश में एक तरफ राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा प्रणाली यानी रूसा को भाजपा असफल करार दे रही है और सत्ता में आने के बाद इसे बदलने की बात कह रही है। वहीं हिमाचल प्रदेश विवि के कुलपति इस प्रणाली को वापस लेने के पक्ष में नहीं हैं। उनका कहना है कि अगर भाजपा इस प्रणाली में सुधार चाहती है तो केंद्र में उनकी सरकार है, जिसके समक्ष वह मुद्दा उठा सकती है। इस प्रणाली को केंद्र सरकार के केेंद्रीय मानव विकास संसाधन मंत्रालय और राज्य सरकार की मदद से ही चलाया जा रहा है। सोमवार को शिमला प्रेस क्लब के मीट दि प्रेस कार्यक्रम में कुलपति प्रो. एडीएन बाजपेयी ने कहा कि एमएचआरडी भी प्रदेश में लागू रूसा की सराहना कर चुकी है और अन्य राज्यों को भी प्रदेश का रूसा मॉडल अपनाने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में उनका दो टर्म के कार्यकाल में उन्हें राजनीतिक, वित्तीय, प्रशासनिक के साथ-साथ विवि शिक्षकों और कर्मचारियों से कभी कोई भी चुनौती नहीं रही और न ही एनएसयूआई, एबीवीपी से, लेकिन एसएफआई छात्र संगठन से उन्हें कई चुनौतियों का सामना अपने कार्यकाल में करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि एसएफआई ने उनके विवि में आने से पहले नियुक्त होने के बाद और कार्य विस्तार मिलने के समय भी कई आरोप उन पर लगाए। इससे पहले रीवा विश्वविद्यालय में भी उनके ऊपर आरोप लगे और एचपीयू में भी, लेकिन आरोप लगाने वाले बेनकाब हो गए हैं और उन्होंने सभी चुनौतियों से उभर कर कार्य किया है। उन्होंने कहा कि एसएफआई ने नैक के दौरे के दौरान साजिश के चलते होस्टलों में खून खराबा किया। विवि की नैक को सौंपी गई सेल्फ स्टडी रिपोर्ट पर सवाल उठाए, ताकि विश्वविद्यालय की बदनामी हो और विवि का गे्रड बेहतर न हो सके। कुलपति ने कहा कि उनके कार्यकाल में विवि को ए ग्रेड मिलना उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है। उनके कार्यकाल में ही विवि में बजट में 50 से 100 करोड़ बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि घणाहट्टी में परिसर के लिए 200 बीघा जमीन का चयन हुआ है, लेकिन कानूनी दाव पेंच के चलते यह कार्य अटका पड़ा है।

मेरा हृदय विवि में पर जाना ही सही

24 मई को कुलपति के कार्यकाल पूरा होने पर उन्होंने कहा कि मेरा दिल तो विवि में ही है और मुझे यहां से जाना चाहिए। उन्हें आगे विवि में रखना है या नहीं, यह राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच का मामला है। अगर वे चाहेंगे तो आगे भी विवि में अपनी सेवाएं देंगे।


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