ऑनलाइन परीक्षा

By: Apr 4th, 2017 12:02 am

कुछ अंगुलियां हमेशा उठती रहती हैं और इसीलिए हर तरह की परीक्षाओं में सुधार की सदैव जरूरत भी रही है। ऐसे में हिमाचल लोक सेवा आयोग में ऑनलाइन परीक्षाओं की शुरुआत से न केवल शंकाओं की गंदगी साफ होगी, बल्कि पद्धति में वांछित पारदर्शिता भी आएगी। राज्य लोक सेवा आयोग केंद्रीय मदद से जो कदम ले रहा है, उसके परिणाम हिमाचल के बाहर भी अनुकरणीय होंगे। राज्य की उच्च व प्रशासनिक सेवाओं में प्रवेश की महत्त्वाकांक्षा का सर्वश्रेष्ठ मूल्यांकन अति आवश्यक है और इस तरह ऑनलाइन व्यवस्था के माध्यम से हिमाचल अपनी कई शाखाओं को सुधार पाएगा। प्रसन्नता का विषय यह है कि ई-माध्यम से हिमाचल ने अब तक जो मंजिलें कायम की हैं, उनसे काफी आगे जाने का एक और प्रयास फलीभूत हो रहा है। लोक सेवा आयोग ने हिमाचल में इस तरह आयोजित हो रही अन्य परीक्षाओं के लिए भी रास्ते खोले हैं और इस तरह सुधार की गुंजाइश कम नहीं होती। इसी तरह के प्रयोग अगर अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में भी शीघ्रता से अमल में लाए जाएं, तो सरकारी नियुक्तियों में एक सशक्त व पारदर्शी माहौल बनेगा। आश्चर्य यह कि अभी नौकरी हासिल करने का तिकड़मी अंदाज कहीं न कहीं रू-ब-रू है और इसी के अनुरूप विभिन्न अवसरों को देखा जाता है। कुछ ऐेसी ही परीक्षाएं स्कूल शिक्षा बोर्ड के तहत भी ली जा रही हैं, जबकि शिक्षा व रोजगार के लिए परीक्षा के स्तर व तरीके अलग-अलग होने चाहिएं। सरकारी नौकरी के लिए चयन परीक्षा व इन्हें लेने का हक केवल लोक सेवा व अधीनस्थ सेवा चयन आयोगों को ही होना चाहिए। इस दिशा में ऑनलाइन आगामी पड़ाव है, लेकिन इसके साथ ही प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगार संबंधी समस्त इम्तिहान केवल इनकी परिधि में ही रखने होंगे। हिमाचल में युवा महत्त्वाकांक्षा की प्रथम सीढ़ी स्कूल-कालेजों की वार्षिक परीक्षाओं के जरिए परिलक्षित है और इस हिसाब से स्कूल शिक्षा बोर्ड व हिमाचल विश्वविद्यालय को भी सुधारों के सतत प्रयास जारी रखने होंगे। खासतौर पर रूसा प्रणाली के तहत आए विराम की सबसे बड़ी वजह परीक्षा प्रणाली का असक्षम होना माना जा रहा और इसका हर्जाना बच्चों को बाहरी संस्थानों में प्रवेश के वक्त चुकाना पड़ रहा है। इसी कड़ी का दूसरा शैक्षणिक युग करियर की खोज में लिप्त है और जहां प्रवेश परीक्षाओं की पूर्ण व्यवस्था नहीं हो पा रही है और मजबूरन छात्रों को भटकना पड़ रहा है। राष्ट्रीय स्तर की प्रतिभा खोज परीक्षाओं तथा विभिन्न वर्गों की प्रशासनिक, सैन्य व अन्य सेवाओं की प्राथमिक परीक्षाओं के केंद्र हिमाचल में न होने के कारण, युवाओं से दहलीज दूर हो जाती है। इसी रविवार के दिन जेईई मेन प्रवेश परीक्षा का मात्र दो शहरों में होना, उन छात्रों पर कहर बनकर गुजरा जो अभी अपनी वार्षिक परीक्षाओं के मध्य में हैं। इसमें दो राय नहीं कि हर तरह की परीक्षा में हिमाचली क्षमता अब सफलता के साथ दिखाई दे रही है, फिर भी देश भर की कई परीक्षाओं से इसलिए रू-ब-रू नहीं हो रही है, क्योंकि प्रदेश में इनके केंद्र नहीं और न ही इस बारे में छात्र समुदाय को माकूल सलाह मिलती है। ऐसे में प्रदेश के सारे विश्वविद्यालय व स्कूल शिक्षा बोर्ड अपने-अपने स्तर पर राज्य स्तरीय परीक्षा परिसरों का निर्माण करते हुए, आवश्यक जानकारियों सहित सहायता कक्ष बनाएं ताकि हिमाचल में प्रतिस्पर्धी प्रवेश तथा राज्य व राष्ट्रीय सेवाओं संबंधी परीक्षाओं का सुविधाजनक संचालन भी हो सके। लोक सेवा आयोग की ऑनलाइन परीक्षा प्रणाली की पहल से आने वाले समय में ऐसी ही पारदर्शी व्यवस्था अन्य परीक्षाओं के लिए भी अनिवार्य होती जाएगी। ऐसे में लाजिमी तौर पर प्रदेश स्तरीय परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाते हुए इन्हें पूर्ण रूप से आईटी से सुसज्जित करना होगा।


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