पंच से सांसद तक हर सीढ़ी पार

By: Apr 21st, 2017 12:04 am

शांता कुमार का राजनीतिक सफर 50 साल से भी ज्यादा

प्रोफाइल

नाम        शांता कुमार

जन्म       12 सितंबर, 1934

पिता       जगन्नाथ शर्मा

माता       कौशल्या देवी

मौजूदा पद            लोकसभा सांसद

SANTAपालमपुर— देश को अंत्योदय अन्न योजना देने वाले और प्रदेश में पानी वाले मुख्यमंत्री के नाम से पहचाने जाने वाले भाजपा के दिग्गज नेता शांता कुमार का राजनीतिक सफर 50 साल से अधिक का हो चुका है। राजनीति के क्षेत्र में कई रिकार्ड अपने नाम कर चुके शांता कुमार ने अपना चुनावी राजनीतिक सफर पांच दशक पूर्व शुरू किया था। 1964 में 30 साल की उम्र में अपनी पैतृक पंचायत गढ़ के पंच पद से सफर शुरू करने वाले शांता कुमार देश के इतिहास के एकमात्र राजनेता हैं, जो एक ही समय में लोकसभा के सदस्य भी थे और दो विधानसभा क्षेत्रों से विधायक भी निर्वाचित हुए थे। शांता कुमार 1989 के चुनावों में कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गए थे और 1990 में हुए प्रदेश के चुनावों में पालमपुर और सुलाह विस क्षेत्र से विजयी हुए थे। यह एक ऐसा कीर्तिमान है, जो न अब तक टूटा है और न ही भविष्य में टूटने की संभावना नजर आ रही है। प्रदेश में भाजपा के सूत्रधार शांता कुमार 1990 में दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और उनके नेतृत्व में हिमाचल देश का पहला राज्य बना, जिसने पनबिजली को निजी क्षेत्र में लाने का साहसिक काम किया। दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री और एक बार केंद्रीय मंत्री का दायित्व निभा चुके शांता कुमार ने पंच से लेकर सर्वोच्च सदन तक का सफर तय किया है। पंचायत के पंच बनने के बाद शांता कुमार कांगड़ा जिला परिषद के उपाध्यक्ष और अध्यक्ष भी रहे, इसके बाद विधायक, दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री, लोकसभा के सांसद, केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा के सांसद चुने गए। शांता कुमार देश के एकमात्र सांसद हैं, जिन्होंने बतौर राज्यसभा मिली निधि तो पूरी की पूरी विकास कार्यों के लिए आबंटित करने के साथ उस पैसे पर मिले ब्याज की एक-एक पाई भी जनता के सुपुर्द कर दी। जहां पर बहुत से सांसद अपनी पूरी निधि खर्च करने में भी पीछे रह जाते हैं, वहीं शांता कुमार ने निधि के खाते में जमा रहने पर मिले ब्याज का भी पूरा सदुपयोग कर एक नया उदाहरण देश के नेताओं के सामने पेश किया है। बतौर राज्यसभा सांसद शांता कुमार को 21 करोड़ रुपए की निधि पांच सालों में आबंटित करने को मिली थी। उन्होंने यह पूरा पैसा प्रदेश भर में विकास कार्यों के लिए बांट दिया।

सुषमा विज ने किया शोध

शांता कुमार पहले ऐसे राजनेता हैं, जिनके जीवन पर हिमाचल की एक महिला सुषमा विज ने शोध किया है। उनके शोध ग्रंथ ‘शांता कुमार-व्यक्तित्व और कृतित्व’ पर सुषमा विज को गढ़वाल विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त हुई है।

राजनेता के साथ लेखक भी

राजनेता होने के साथ शांता कुमार हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक भी हैं। राजनीतिक व्यस्तताओं के बीच उन्होंने हिंदी साहित्य को अब तक एक दर्जन से अधिक पुस्तकें दी हैं। शांता कुमार की सभी रचनाओं का एक संयुक्त संग्रह ‘समग्र साहित्य’ नाम से तीन खंडों में प्रकाशित किया जा चुका है।


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