फिल्म समीक्षा : ‘बेगम जान’

By: Apr 16th, 2017 12:05 am

कलाकारः विद्या बालन, इला अरुण, गौहर खान, पल्लवी शारदा, चंकी पांडेय, आशीष विद्यार्थी, रजत कपूर और नसीरूरद्दीन शाह

विद्या बालन को एक जानदार परफॉर्मेंस की दरकार थी और उन्हें बेगम जान के साथ वह मौका मिल गया है। बेगम जान में उन्होंने दिखाने की कोशिश की है कि अगर रोल सॉलिड ढंग से लिखा गया हो तो वह उसे बेहतरीन ढंग से अंजाम दे सकती हैं। ऐसा मौका इस बार उनके हाथ लग गया है। बंगाली हिट फिल्म राजकहिनी के इस हिंदी रीमेक में हर वह बात जो एक बेहतरीन सिनेमा के लिए जरूरी होती है। फिर चाहे वह बेहतरीन अदाकारी हो, कैमरे का कमाल हो, सॉलिड कैरेक्टराइजेशन हो या कहानी, हर मोर्चे पर ‘बेगम जान’ खरी उतरती है। फिल्म पूरी तरह से इस बात पर फोकस है कि मर्दों की दुनिया में औरतों को अपने दम पर जीना और मरना दोनों ही आता है।

कहानी की बात

विद्या बालन कोठा चलाती है और जहां कुछ लड़कियां रहती हैं। इन औरतों की दुनिया इसी में सीमित है और यहां सत्ता चलती है तो बेगम जान की। फिल्म की शुरुआत विभाजन और आजादी के साथ होती है। ऐसी आजादी जो अपने साथ त्रासदी लेकर आई और फिल्म में आजादी को लेकर जो तंज कसा गया है वह कमाल है क्योंकि जब बेगम यह सवाल करती है, एक तवायफ  के लिए क्या आजादी…। लाइट बंद सब एक बराबर…। ऐसे में आजादी के मायनों पर सवालिया निशान लग जाता है। फिल्म में औरत और समाज में उसके अस्तित्व को लेकर जिस तरह के सवाल पैदा किए गए हैं, वे वाकई लंबे समय से बालीवुड में से ढंग से नहीं आ सके थे।


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