शहर नहीं विरासत है बसोहली

By: Apr 16th, 2017 12:05 am

हिमालय की शिवालिक पर्वत शृंखला पर जहां पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर की सीमा मिलती है, वह स्थान है विश्वस्थली। वर्तमान में बसोहली के नाम से प्रचलित यह स्थान जम्मू- कश्मीर राज्य के कठुआ जिला की एक तहसील है। रावी नदी के तट पर स्थित बसोहली शांति प्रेमियों के लिए एक आदर्श पर्यटन स्थल है।

प्राकृतिक सौंदर्य

बसोहली शहर हिमालय की तलहटी में बसा है। नगर के बीच में बने पुराने किले के अवशेष का बोध कराते हैं, वहीं उसके ऊपर खड़े होकर हिमालय के हिम धवल उत्तुंग शिखरों की दूर तक फैली शृंखला का दर्शन कर सकते हैं।

बसोहली कलम

सोलहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में पहाड़़ी कला के प्रारंभिक प्रमाण मिलते हैं। सत्रहवीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में सत्ता संभालने वाले बसहोली के राजा कृपाल पाल के संरक्षण में देवीदास नामक चित्रकार ने राधा और कृष्ण के प्रेमकाव्य समंजरी पर आधारित लघु चित्रों की शृंखला की रचना की। 1730 में मनकू  नामक कलाकार ने गीत-गोबिंद को आधार बना कर ऐसी ही एक शृंखला की रचना की जो अत्यंत प्रसिद्ध हुई।

बसोहली पश्मीना

बसोहली एक समय पश्मीना के काम का बड़ा केंद्र रहा है। यद्यपि पश्मीना का उत्पादन तो ऊंचाई वाले स्थानों पर होता है, किंतु उसकी कताई और बुनाई का केंद्र बसोहली में था। इसके कारीगर आज भी बड़ी संख्या में बसोहली में

हैं, जिनके पूरे परिवार इस काम में लगे रहते हैं। हिमाचल के प्रमुख पर्यटन स्थल डलहौजी के समांतर ऊंचाई वाली सुंदर घाटी ‘बनी’ का अनछुआ सौंदर्य मन को छू जाता है।

रामलीला

अन्य बातों की तरह ही बसोहली की रामलीला भी अपने-आप में अनूठी है। सब जगहों से अलग, जहां किसी एक स्थान पर ही अनेक लीलाओं के दृश्य तैयार किए जाते हैं, बसोहली की रामलीला सचल है। नगर के मध्य में स्थित रामलीला मैदान में जहां प्रारंभिक लीलाएं होती हैं, वहीं केवट संवाद मैदान में नहीं बल्कि तालाब में असली नाव पर प्रदर्शित किया जाता है।

विश्वस्थली

बसोहली को उसके पुराने वैभव तक पहुंचाने का सपना लिए यहां के कुछ युवाओं ने बीस वर्ष पहले विश्वस्थली नाम से ही एक समिति का गठन किया। आज यह नगर के जनजीवन का एक बड़ा आधार बन चुकी है। संस्था द्वारा ‘बसोहली पेंटिंग’ के कलाकारों को प्रशिक्षण दिया जाता है

कैसे जाएं

पठानकोट रेलवे स्टेशन से बसोहली के लिए लगभग 3 घंटे की सड़क यात्रा से पहुंचा जा सकता है। पठानकोट और जम्मू निकटतम हवाई अड्डे हैं, जहां के लिए पूरे देश से उड़ानें उपलब्ध हैं।

कहां रुकें

बसोहली में सरकारी अतिथि गृह, पर्यटक आवास तथा निजी होटल उपलब्ध हैं।

— आशुतोष भटनागर


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