समसामयिकी

By: Apr 26th, 2017 12:07 am

न्यू इंडिया एक्शन प्लान

CEREERप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नीति आयोग की बैठक में ‘न्यू इंडिया’ के लिए 15 साल के एक्शन प्लान का ऐलान किया। इसी के साथ देश में नेहरू युग से चली आ रही पंचवर्षीय योजनाओं की व्यवस्था खत्म होना भी तय हो गया है। पीएम मोदी ने 15 साल के एक्शन प्लान के लिए तीन स्तरीय व्यवस्था पर जोर दिया। इसके साथ ही नीति आयोग ने 15 साल में देश की तस्वीर और तकदीर बदलने के लिए 300 प्वाइंट भी सुझाए, जिसपर सरकार की तमाम एजेंसियां काम करेंगी और प्रगति का जायजा नीति आयोग की बैठकों में लिया जाएगा।

ऐसे काम करेगा तीन स्तरीय एक्शन प्लान

नीति आयोग की बैठक में आयोग के वाइस प्रेजिडेंट अरविंद पनगढि़या ने देश में तेजी से विकास के लिए एक रोड मैप भी पेश किया। नीति आयोग विकास के लिए 15 साल के विजन प्रोग्राम, 7 साल की मीडियम टर्न स्ट्रैटजी और 3 साल के एक्शन प्लान पर काम कर रहा है।

विकास के लिए नीति आयोग के 300 मंत्र

न्यू इंडिया के लिए नीति आयोग ने 300 एक्शन प्वाइंट सुझाए हैं। अरविंद पनगढि़या ने इसका ऐलान किया। 15 साल में देश के विकास की दिशा और दशा तय करने के लिए 300 मंत्रों पर सरकार काम करेगी। इन एक्शन प्वाइंट्स का अभी हालांकि खुलासा नहीं किया गया है। पनगढि़या ने कहा कि 15 साल के एक्शन प्लान के लिए 300 सूत्रों की पहचान की गई है, जिसमें सभी क्षेत्रों का ध्यान रखा गया है। इसमें केंद्र और राज्य की वित्तीय जरूरतों और विकास की दिशा पर फोकस किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, नीति (नेशनल इंस्टीच्यूट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया) आयोग की बैठक में भारत में बदलाव लाने का अगले 15 साल का रोडमैप पेश हुआ। इससे पहले पंचवर्षीय योजनाएं बना करती थीं। 12वीं पंचवर्षीय योजना 31 माच्र, 2017 को खत्म होने वाली थी, लेकिन मंत्रालयों को अपने कामकाज निपटाने के लिए आखिरी पंचवर्षीय योजना को छह महीने का विस्तार दे दिया गया है। इसकी अवधि पूरी होते ही साथ ही नेहरू के समाजवाद के इस प्रमुख घटक का खात्मा हो जाएगा। नई व्यवस्था में तीन साल का एक्शन प्लान बनेगा, जो सात वर्षीय स्ट्रेटेजी पेपर और 15 वर्षीय विजन डाक्यूमेंट का हिस्सा होगा। योजना आयोग की जगह लेने वाले नीति आयोग 1 अप्रैल को तीन वर्षीय एक्शन प्लान लांच चुका है।

योजना आयोग से कैसे अलग है नीति आयोग?

योजना आयोग की जगह अब नीति आयोग नीतिगत दिशानिर्देश तय करेगा। इसका मूल सिद्धांत ‘सहकारी संघवाद’ है। सबसे अहम अंतर यह है कि नीति आयोग के पास फंड ग्रांट करने की शक्ति नहीं है। वह राज्यों की ओर से कोई फैसला नहीं ले सकता। यह सिर्फ सलाहकार संस्था के रूप में काम करता है। दरअसल, यह सरकार को विकास का व्यापक नक्शा प्रदान करता है। त्रिवर्षीय कार्य योजना में किसी स्कीम या अलोकेशन का जिक्र नहीं होता है क्योंकि नीति आयोग के पास कोई वित्तीय अधिकार है ही नहीं। चूंकि इसे केंद्रीय कैबिनेट से स्वीकृति नहीं मिल सकती, इसलिए इसके सुझाव सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं हैं। सरकार ने योजनागत और गैर-योजनागत व्यय के रूप में खर्चों के श्रेणीकरण खत्म कर दी, इसलिए नीति आयोग के दस्तावेजों की वित्तीय भूमिका नहीं होती है।

 


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