कृषि हेल्पलाइन

By: May 16th, 2017 12:05 am

फल मक्खी से सब्जियों- फलों को बचाएं

फल मक्खी कई प्रकार के फलों व कद्दूवर्गीय सब्जियों का मुख्य दुश्मन है। इसके द्वारा उत्पादन में 40-80 प्रतिशत हानि पहुंचती है। एक अनुमान के अनुसार भारत में फल मक्खी के कारण वार्षिक 2945 करोड़ रुपए का नुकसान होता है। प्रायः यह देखा गया है कि किसान सोचता है कि फल खराब होने का कारण बीमारी, कीट या पोषक तत्त्व की कमी है। इस वजह से वह विभिन्न रसायनों का प्रयोग करता है, जिससे समस्या और बढ़ती है तथा फसल लागत भी बढ़ती है। फल मक्खी अपने अंडे फलों एवं फलीय सब्जियों के छिलके के अंदर देती है, जिससे इसका नियंत्रण कठिन है। अतः इस कीट के बारे में पूर्ण जानकारी पाना और समय रहते उसका नियंत्रण करना अति आवश्यक है।

फलों को नुकसान पहुंचाने वाली फल मक्खियां

अमरूद या आड़ू की फल मक्खी (बेक्टोसीरा जोनाटा) इस प्रजाति की फल मक्खी का प्रकोप तेज ठंड के अलावा (जनवरी-फरवरी) संपूर्ण वर्ष देखा जाता है। गर्मी के दौरान इसके वयस्क फल वृक्षों के पत्तों के नीचे और इनके प्यूपा सुषुप्तावस्था में बागों की जमीन में रहते हैं। यह फलमक्खी मुख्यतः अमरूद, आम, बेर आदि फसलों तथा बेलों वाली सब्जियों के कोमल फलों को नुकसान करती है। यह फल मक्खी बसंत ऋतु के दौरान बेर में, अपै्रल से जून के दौरान आम में तथा जुलाई से अक्तूबर तक अमरूद में खूब नुकसान करती है। नवंबर-दिसंबर के दौरान यह फल मक्खी शांत रहती है।

आम की फल मक्खी या ओरिएंटल मक्खी (बेक्टोसीरा डोर्सेलिस) : इस प्रजाति की मक्खी का प्रकोप, वर्ष भर देखा जाता है, मगर नवंबर के अंत से मार्च के महीनों के दौरान इनके प्यूपा सुषुप्तावस्था में बागों की जमीन में रहते हैं अथवा वयस्क कीट फल वृक्षों अथवा पत्तियों के पिछले भागों पर रहते हैं। यह फल मक्खी आम, चीकू, अमरूद, मौसमी आदि फलों के पकने की अवस्था या पके हुए फलों को भारी नुकसान करती है।

बेर की फल मक्खी (कार्पोमिया विसुवीयेना) : इस प्रजाति की फल मक्खी मुख्यतः सर्दी के मौसम में ही सक्रिय होती है व बेर के फलों में अपने अंडे देकर नुकसान पहंचाती है।

बेलों वाली (कद्दूवर्गीय सब्जियां) सब्जियों को नुकसान पहुंचाने वाली फल मक्खियां

खीरा वर्गीय फल मक्खी (बेकटोसीरा कुकुरबीटी) : यह फल मक्खी अत्याधिक ठंड के मौसम (जनवरी-फरवरी) के सिवाए संपूर्ण वर्ष के दौरान अलग-अलग बेलों वाली सब्जियों पर देखी जा सकती है। सर्दियों के दौरान यह वृक्षों तथा पत्तियों के नीचे सुषुप्तावस्था में रहती है। मार्च माह के दौरान अधिक आर्द्रता वाले वातावरण के कारण इनके उपद्रव के शुरुआत हो जाती है। सभी प्रकार की बेलों वाली सब्जियों तथा टमाटर, कोमल फलों तथा फूलों में इस फल मक्खी से नुकसान देखने को मिलता है। यह जुलाई से अगस्त के दौरान करेले, तोरई, कद्दू, सितंबर से अक्तूबर के दौरान लौकी, ककड़ी तथा नवंबर से दिसंबर के दौरान कद्दू तथा तोरई में काफी नुकसान करती है। कई बार यह दिसंबर माह के दौरान अमरीकन मिर्च (लाल व पीले रंग वाली) तथा टमाटर में भी नुकसान करती पाई गई है।

क्रमशः

सौजन्यः डा. राकेश गुप्ता, छात्र कल्याण अधिकारी, डा. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय,सोलन

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