जुनून था आगे बढ़ने का

By: May 28th, 2017 12:07 am

Utsavस्वास्थ्य विभाग में बेहतर पद पर आसीन उर्मिला कपूर के भीतर कला भी विद्यमान है। यही कारण है कि आज भी उन्हें कला दिखाने का मौका मिलता है तो वह चूकती नहीं हैं। क्षेत्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण प्रशिक्षण केंद्र छेब में स्वास्थ्य शिक्षिका के पद पर कार्यरत उर्मिला कपूर हाल ही में स्टार प्लस पर प्रसारित हुए ‘क्या कसूर है अबला का’ सीरियल में सीनियर नर्स की भूमिका में नजर आई थीं। पहाड़ी फिल्म ‘मने दे फेरे’ में डाक्टर के रोल में उर्मिला ठाकुर ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा हिंदी मूवी ‘नया चांद’ में हीरोइन की भाभी का किरदार उर्मिला ठाकुर निभा चुकी हैं। दाड़नू (धर्मशाला) से ताल्लुक रखने वाली उर्मिला ठाकुर स्वास्थ्य शिक्षिका के पद पर रहते पूरी तरह संतुष्ट हैं। वह कहती है प्रशिक्षुओं को स्वास्थ्य से संबंधित शिक्षा देते उन्हें संतुष्टि मिलती है। अलबत्ता बालीवुड की चकाचौंध वाली जिंदगी में न जाने का मलाल भी उनके चेहरे पर मढ़ा जा सकता है। बेस्ट एजुकेटर व बेस्ट वर्कर का अवार्ड हासिल कर चुकी उर्मिला ठाकुर को उनके बेहतर कार्यों के लिए स्वास्थ्य विभाग ने दर्जनों अवार्ड दिए हैं। एड्स कार्यक्रम में उनके बेहतर कार्य को भी स्वास्थ्य विभाग ने अव्वल आंका है। तंबाकू के विरुद्ध छेड़े गए अभियान में भी उर्मिला ठाकुर की अहम भूमिका रही है। लोगों को स्वास्थ्य को लेकर शिक्षित करने के साथ-साथ मानवता और नेक इरादे उर्मिला के लक्ष्यों में शुमार हैं। यही कारण है कि लोगों की मदद के लिए उनके हाथ सदैव आगे बढ़े हैं। कांगड़ा में पेट्रोल पंप के पास दुर्घटना हुई तो उर्मिला ठाकुर तड़प रहे घायलों को बचाने के लिए आगे आईं। वह कहती हैं छोटी उम्र से राधा स्वामी डेरे पर जाने से इनसानियत की सीख मिली है, तो उसे जीवन में उतारने का प्रयास निरंतर किया जाता है। हाकी की नेशनल प्लेयर रही उर्मिला ठाकुर स्टेट एथलीट भी रही हैं। खेलकूद का शौक बचपन से ही रहा, लेकिन 16 साल की उम्र में ही परिवार वालों ने रिश्ता तय कर दिया और 18 साल की उम्र में शादी कर दी। जल्दी शादी को वह जीवन की सबसे बड़ी भूल मानती हैं। हालांकि बीए प्रथम वर्ष में पढ़ाई के दौरान ही उर्मिला ठाकुर की शादी हुई, लेकिन शादी के बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। द्वितीय वर्ष में बेटी को जन्म दिया, लेकिन शिक्षित होने के लिए जद्दोजहद जारी रही। डिग्री कालेज धर्मशाला में एमए करने के बाद कुल्लू में नर्सिंग की और आल इंडिया इंस्टीच्यूट कोलकाता में पीजी डिप्लोमा इन हैल्थ एजुकेशन किया और उसके बाद मास्टर्स इन मास कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म सिक्किम मनीपाल यूनिवर्सिटी से किया। एक स्वास्थ्य शिक्षिका के रूप में अपने दायित्वों का निर्वाहन करने वाली उर्मिला ठाकुर को प्रदेश में कलाकार के रूप में भी ख्याति मिली है। लिखने का शौक भी उर्मिला ठाकुर में विद्यमान है। एक मैगजीन उनकी प्रकाशित हो चुकी है और दूसरी मैगजीन आने वाली है।

Utsavमुलाकात

जहां भी रहो सकारात्मक सोच के साथ रहो…

जीवन में कलाकार होने का लाभ या नुकसान क्या है?

लाभ है एक तो आपको अपनी जिंदगी से हट कर कुछ करने को मिलता है और एक अलग पहचान बनती है।

संतुष्ट होने की वजह कभी खंगाली या नर्स बनना सबसे अहम पात्र रहा आपके जीवन में?

नर्स बनना सबसे अहम पात्र रहा क्योंकि इससे परिवार तो पलता ही है साथ में  लोगों की सेवा करने का भी मौका मिलता है, जिससे हमें लोगों की दुआएं मिलती हैं।

कम उम्र में शादी के बावजूद आपने अपनी हस्ती को किस तरह मजबूज किया?

कम उम्र में शादी तो हो ही चुकी थी, लेकिन दृढ़ निश्चय था कि जीवन में कुछ बनना है।

खुद को मुकम्मल कहां पाती हैं और बीच में एक्टिंग का रिश्ता कहां जुड़ता है?

नौकरी के साथ-साथ परिवार में संतुलन बनाए रखना और जिंदगी की बाकी चुनौतियों का सामना करना, और फिर सकारात्मक निर्णय लेना। बचपन से ही एक्टिंग का शौक था, जो जल्दी शादी के कारण अधूरा रह गया। अब जब मौका मिलता है तो शौक पूरा कर लेती हूं।

क्या प्रतिभा विकसित की जा सकती है या जो कुछ आप कर पाती हैं, उसमें भाग्य और मेहनत के बीच कितनी दूरी या समीपता रहती है?

हां, यदि मुझे मौका मिले तो मैं अपनी प्रतिभा को और भी विकसित कर सकती हूं। जब भी मैं अधिक मेहनत करती हूं तो भाग्य भी मेरा हमेशा साथ देता है।

जिस क्षण ने आपके जीने और पाने के उसूल बदल दिए?

शादी के बाद जब असली जिंदगी का चेहरा देखा तो मेरे जीवन के उसूल ही बदल गए।

जो पाया, उससे आगे की इच्छा कहां तक मंजिल देखती है?

जो पाया उसी से संतुष्ट हूं, अब बस यही इच्छा है कि जीते जी उस मालिक के दर्शन करूं ।

औरत होने के नाते आपके व्यक्तित्व का कोमल पक्ष और कठोरता?

बच्चों के प्रति ममता और अनुशासन।

किस किरदार को निभाना चाहती हैं और अगर बालीवुड में जाना हो तो?

सकारात्मक रोल मिले, तो अच्छे लगते हैं चाहे जो भी हो। वालीवुड में जरूर जाना पसंद करूंगी यदि परिवार आज्ञा दे तो।

परिवार के लिए आपका संतुलन क्या है?

प्यार और विश्वास।

जीवन में मुस्कराने की वजह और खोने का पश्चाताप?

मुस्कराने की वजह  पारिवारिक खुशियां। पश्चाताप यह रहा कि जल्दी शादी के कारण जीवन की ऊंचाइयों को न छू सकी।

हिमाचली बेटियों को आपकी राय?

गर्व से जियो,खूब पढ़ो, देश की सेवा करो और अपने घर परिवार को स्वर्ग बना दो। जहां भी रहो सकारात्मक सोच के साथ रहो।

बेटियों का कौन सा पक्ष आपको गौरव प्रदान करता है?

जब बेटियां पढ़ लिख कर अपने पैरों पर खड़ी हो जाती हैं और अपने आपको हर मुश्किल का सामना करने में सक्षम बना लेती हैं और स्वाभिमान से जीती हैं।

ईश्वर से कोई एक वरदान मांगना हो तो क्या मांगेंगी?

मुक्ति ही मागूंगी।

-राकेश कथूरिया, कांगड़ा

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