दूल्हों का मेला

By: May 23rd, 2017 12:04 am

बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र में सौराठ सभा यानी दूल्हों का मेला, प्राचीन काल से लगता आया है। यह परंपरा आज भी कायम है। आधुनिक युग में इसकी महत्ता को लेकर बहस जरूर तेज हो गई है। सौराठ सभा मधुबनी जिला के सौराठ नामक स्थान पर 22 बीघा जमीन पर लगती है। इसे सभागाछी के रूप में भी जाना जाता है। सौराठ गुजरात के सौराष्ट्र से मिलता-जुलता नाम है। गुजरात के सौराष्ट्र की तरह यहां भी सोमनाथ मंदिर है, मगर उतना बड़ा नहीं। सौराठ और सौराष्ट्र में साम्य शोध का विषय है। मिथिलांचल क्षेत्र में मैथिल ब्राह्मण दूल्हों का यह मेला प्रतिवर्ष ज्येष्ठ या आषाढ़ महीने में सात से 11 दिनों तक लगता है, जिसमें कन्याओं के पिता योग्य वर को चुनकर अपने साथ ले जाते हैं और फिर ‘चट मंगनी पट ब्याह’ वाली कहावत चरितार्थ होती है। सभा में योग्य वर अपने पिता व अन्य अभिभावकों के साथ आते हैं। कन्या पक्ष के लोग वरों और उनके परिजनों से बातचीत कर एक-दूसरे के परिवार, कुल-खानदान के बारे में पूरी जानकारी इकट्ठा करते हैं और दूल्हा पसंद आने पर रिश्ता तय कर लेते हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि करीब दो दशक पहले तक सौराठ सभा में अच्छी-खासी भीड़ दिखती थी, पर अब इसका आकर्षण कम होता दिख रहा है। उच्च शिक्षा प्राप्त वर इस हाट में बैठना पसंद नहीं करते।

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