पंजाब सरकार के गोदाम के लिए जाना जाता था अलहिलाल

By: May 17th, 2017 12:05 am

1933 ई. में भावनगर के नवाब ने यहां एक महल बनवाया जिस का नाम अलहिलाल रखा गया। 1947 ई. तक यह स्थान नवाब के लिए गर्मियों की राजधानी रही। 1947 ई. से 1949 ई. तक इसे पंजाब सरकार द्वारा गोदाम के रूप में प्रयोग किया गया…

इंद्रूनाग

सितंबर 2011 ई. में राज्य सरकार ने कांगड़ा जिला में इंद्रूनाग को पैरा ग्लाइडिंग सेंटर के रूप में विकसित करने की आज्ञा दी। दूसरा स्थान बीड़ बिलिंग है, जो अंतरराष्ट्रीय हैंग ग्लाइडिंग सेंटर के रूप में प्रसिद्ध है और विश्व भर से पैरा ग्लाइडिंग करने वालों को अर्कर्षित करता है। यद्यपि कभी-कभार विदेशी पर्यटक इंद्रूनाग के स्थान को प्रयोग करने चले आ रहे हैं, पर अब राज्य सरकार की पहचान के बाद इस साहसिक खेल को प्रोन्नत करने के लिए कुछ अधोसंरचना विकसित की जानी चाहिए। यहां धर्मशाला आने वाले विदेशी पर्यटकों के लिए एक अतिरिक्त आकर्षण होगा। इंद्रूनाग में पैराग्लाइडिंग गर्मियों के महीनों में या अक्तूबर-और नवंबर के महीनों में की जा सकती है। जबकि इस क्षेत्र में पवन धाराएं पर्याप्त चलती हैं।

अलहिलाल

प्राचीन गद्दी जाति के नाम पर इस स्थान को ‘ललियाल’ नाम से जाना जाता था। मुस्लमान इस स्थान का प्रयोग इस्लाम के विचारों का प्रचार करने कि लिए करते थे और 1933 ई. में भावनगर के नवाब ने यहां एक महल बनवाया जिस का नाम अलहिलाल रखा गया। 1947 ई. तक यह स्थान नवाब के लिए गर्मियों की राजधानी रही। 1947 ई. से 1949 ई. तक इसे पंजाब सरकार द्वारा गोदाम के रूप में प्रयोग किया गया। 1949 ई. में यह जम्मू के महाराजा हरि सिंह की पत्नी और राजा करण सिंह की माता महारानी तारा के अधिकार में आया।

अच्छर कुंड

यह कांगड़ा के निकट भवन में एक धार्मिक प्रतिष्ठित स्थान है। यहां एक जलप्रपात और एक मंदिर है। विशेषकर संतान रहित महिलाएं वहां मंगलवार और रविवार के दिन जाती हैं, रात वहां व्यतीत करती हैं और अगली सुबह स्नान करके वापस आती हैं। वापसी पर हर व्यक्ति उनकी छाया से दूर रहता है ताकि बिना ध्यान किए उनको जाने दिया जाए।

कांढापत्तन

जिला मंडी के धर्मपुर से 3 किलोमीटर की दूरी पर जेठी गंगा ब्यास नदी के तट पर स्थित है कांढा पत्तन। ब्यास दरिया को यहां जेठी गंगा कहा जाता है। ब्यास सोन, गंत्रायालू नदियों का संगम स्थल होने के कारण कांढा पत्तन को ‘त्रिवेणी’ भी कहा जाता है। बरसात में तो जब यहां पानी बहुत ज्यादा होता है, तो यहां का नजारा प्रयाग(इलाहाबाद) या कन्याकुमारी से भी कम नहीं होता है। जनश्रुति के अनुसार यहां पांडवों ने रातोंरात हरिद्वार बनाने की योजना बनाई थी।

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