सिनेमा के 100 साल
ऐसी दीवानगी देखी नहीं
महेश भट्ट भारतीय फिल्म निर्देशक, निर्माता और स्क्रीनराइटर हैं। उनके शुरुआती निर्देशन करियर के दौरान उन्होंने कई बहुप्रशंसित फिल्में दी हैं जैसे अर्थ, सारांश, जानम, नाम, सड़क, जख्म। वह अब ज्यादातर फिल्मों में निर्माता और लेखक की भूमिका निभाते हैं और बॉक्स आफिस पर कमाई करने वाली फिल्मों में काम करते हैं जैसे जिस्म, मर्डर, वह लम्हें। उनके प्रोडक्शन विशेष फिल्म्स की यह खासियत है कि उनके बैनर तले बनी फिल्मों के गाने सुपरहिट होते हैं और उनका संगीत अन्य से काफी अलग और कर्णप्रिय होता है। भट्ट हमेशा नए टेंलेंट को बढ़ावा देते हैं।
पृष्ठभूमि : महेश का जन्म बांबे (अब मुंबई में) हुआ था। उनके पिता का नाम नानाभाई भट्ट और मां का नाम शिरीन मोहम्मद अली है। भट्ट के पिता गुजराती ब्राह्मण थे और उनकी मां गुजराती शिया मुस्लिम थीं। उनके भाई मुकेश भट्ट भी भारतीय फिल्म निर्माता हैं।
पढ़ाई : उनकी स्कूली पढ़ाई डॉन बोस्को हाई स्कूल, माटुंगा से हुई थी। स्कूल के दौरान ही उन्होंने पैसा कमाने के लिए समर जॉब्स शुरू कर दी थी। उन्होंने प्रोडक्ट एडवर्टाइजमेंट्स भी बनाए।
शादी : उन्होंने किरन भट्ट लॉरेन ब्राइट से शादी की थी, जिनसे उनकी मुलाकात स्कूल के दौरान ही हुई थी। इनके दो बच्चे हैं। पूजा भट्ट और राहुल भट्ट। उनके किरन के साथ रोमांस से ही प्रेरित होकर उन्होंने फिल्म ‘आशिकी’ बनाई, लेकिन शुरुआती करियर में आई कठिनाइयों और परवीन बॉबी से चले उनके अफेयर की वजह से यह शादी ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाई। बाद में भट्ट अभिनेत्री सोनी राजदान के प्यार में पड़ गए और उनसे शादी कर ली। इनके भी दो बच्चे हैं। शाहीन भट्ट और आलिया भट्ट।
करियर : 26 साल की उम्र में भट्ट ने निर्देशक के तौर पर फिल्म ‘मंजिलें और भी हैं’ से अपना डेब्यू किया। इसके बाद 1979 में आई ‘लहू के दो रंग’ जिसमें शबाना आजमी और विनोद खन्ना मुख्य भूमिका में थे, इसने 1980 के फिल्मफेयर अवार्ड्स में दो पुरस्कार जीते। फिल्म ने बॉक्स आफिस पर औसत से ऊपर प्रदर्शन किया। उनकी पहली बड़ी हिट ‘अर्थ’ थी। इसके बाद उनकी ‘जानम’ और ‘नाम’ को भी काफी पसंद किया गया। ऐसा कहा जाता है कि इन फिल्मों से उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन को पर्दे पर उकेरने की कोशिश की। फिल्म ‘सारांश’ को भी लोगों ने काफी पसंद किया और अनुपम खेर के जीवन की भी यह अहम फिल्म रही। सारांश को 14वें मास्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी एंट्री मिली थी। 1987 में वह निर्माता बन गए, जब उन्होंने अपने भाई मुकेश भट्ट के साथ मिलकर विशेष फिल्म्स नाम से अपना प्रोडक्शन हाउस शुरू कर दिया। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के वह जाने- माने निर्देशक बन गए, जब उन्होंने डैडी, आवारगी, आशिकी, दिल है कि मानता नहीं, सड़क, गुमराह जैसी फिल्में दीं।
भट्ट के अन्य प्रोफेशनल काम
वह मुकेश भट्ट के साथ फिल्म प्रोडक्शन हाऊस विशेष फिल्मस के सह-मालिक हैं। वह यूएस नॉन प्राफिट टीचएड्स के सलाहकार मंडल के सदस्य भी हैं।
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