चरखियों ने तोड़ी शुगर मिल की कमर

By: Jun 24th, 2017 12:05 am

पांवटा साहिब —  पांवटा साहिब के शिवपुर में मौजूद गुड बनाने की चरखियों ने इस बार भी देहरादून के डोइयोवाला शुगर मिल की कमर तोड़ दी है। इस बार पांवटा दून क्षेत्र से गत वर्ष के मुकाबले आधा गन्ना भी शुगर मिल में नहीं पहुंचा है। कारण चरखियों द्वारा बढ़ाए गए दाम माने जा रहे हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक हालांकि इस बार पांवटा दून में गत वर्ष के मुकाबले उत्पादन में थोड़ी कमी आई है। यह कमी कम बारिश के कारण हुई है, लेकिन फिर भी स्थानीय गुड़ की चरखियों के संचालकों द्वारा गन्ना उत्पादकों को शुगर मिल से ज्यादा दाम देने के चलते देहरादून की शुगर मिल में इस बार पांवटा का गन्ना बहुत ही कम गया है। जानकारी के मुताबिक गत वर्ष पांवटा की दो सोसायटी के चार कांटों से कुल 90 हजार क्विंटल गन्ना देहरादून की शुगर मिल में गया था, जबकि इस बार यह आंकड़ा 53 हजार 500 क्विंटल पर ही सिमटकर रह गया है। हालांकि सोसायटी इसे गन्ने के कम उत्पादन होने का कारण भी मान रही है, लेकिन यह भी कह रही है कि पांवटा की स्थानीय चरखियों ने इस बार शुगर मिल के मुकाबले गन्ना उत्पादकों को 30 से 40 रुपए प्रति क्विंटल दाम अधिक दिए हैं। पांवटा में इस समय शुगर केन ग्रोवर की दो सोसायटी कार्यरत हैं, जिसमं एक सोसायटी बद्रीपुर में स्थित है जिसके अंतर्गत तीन कांटे आते हैं। यह कांटे बद्रीपुर, भुंगरनी और बातामंडी में स्थित हैं, जबकि दूसरी सोसायटी गिरिपार के खोड़ोवाला में कार्यरत है।इस बार देहरादून की डोइयोवाला शुगर मिल में मात्र 37561 क्विंटल गन्ना ही गया है जो पिछले वर्ष के मुकाबले दस हजार क्विंटल कम है। इस बार गए गन्ने में से अभी गन्ना उत्पादकों की करीब 23 लाख 75 हजार रुपए पेमेंट देनी बाकी है। इसमें भुंगरनी तोल कांटे से सबसे कम 5200 क्विंटल, बद्रीपुर से 12960 क्विंटल और बातामंडी से सर्वाधिक 19360 क्विंटल गन्ना मिल में गया। इसी प्रकार गिरिपार के खोड़ोवाला में स्थित दि शाकुंबरा शुगर केन ग्रोवर सोसायटी के माध्यम से सिर्फ 16 हजार क्विंटल गन्ना चीनी मिल में गया है। यहां पर गन्ना उत्पादकों की करीब 12 लाख रुपए की देनदारी बाकी है। पिछली बार इस सोसायटी से मिल में करीब 40 हजार क्विंटल गन्ना गया था, जबकि इस क्षेत्र में गन्ने की काफी पैदावार होती है। चीनी मिल ने जहां इस बार गन्ने के दाम 226 से 306 रुपए प्रति क्विंटल दिए, वहीं स्थानीय चरखियों ने इस दाम से 30 से 40 रुपए तक बढ़ोतरी की जिससे ज्यादातर गन्ना उत्पादकों ने यहीं पर गन्ना बेचना मुनासिब समझा। चरखियों में गन्ना उत्पादकों को 350 रुपए प्रति क्विंटल दाम भी मिले। इसके अतिरिक्त पांवटा के विभिन्न स्थानों पर लगने वाली गन्ना जूस की रेहडि़यों में भी अच्छे दाम पर किसानों ने अपना गन्ना बेचा है।

चीनी मिल पर 36 लाख रुपए बकाया

इस बार दोनों सोसायटी के माध्यम से करीब 53500 क्विंटल गन्ना ही गया। गत वर्ष मिल में 90 हजार क्विंटल गन्ना गया था। इसमें से हालांकि कुछ पेमेंट हो चुकी है, लेकिन दोनों सोसायटी की करीब 36 लाख रुपए पेमेंट अभी भी चीनी मिल के पास फंसी हुई है। बद्रीपुर सोसायटी के सचिव नेकराम ने बताया कि उनकी सोसायटी में गन्ना उत्पादकों के करीब 23 लाख 75 हजार रुपए चीनी मिल ने देने हैं जो जल्द निकाले जाएंगे। वहीं खोड़ोवाला सोसायटी के सचिव दलीप सिंह ने बताया कि उनकी सोसायटी के माध्यम से गए गन्ने की करीब 70 फीसदी पेमेंट गन्ना उत्पादकों को मिल चुकी है। करीब 12 लाख रुपए बकाया है जो जल्द रिकवर कर लिया जाएगा।

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