नासूर बनता आतंकवाद

By: Jun 23rd, 2017 12:02 am

मोती राम चौहान

लेखक, करसोग  से हैं

आए दिन भारतवर्ष में भारतीय सेना के जांबाज आंतकी व नक्सली घटना में शहीद होने की खबर सुर्खियों में रहती है।  हाल ही में जम्मू कश्मीर की कृष्णा घाटी में पाकिस्तानी बार्डर एक्शन टीम द्वारा भारतीय सेना के जवान पाक गोलीबारी में शहीद हुए। इसी तरह सुकमा में 25  सीआरपीएफ के जवान नक्सली हमले में  सड़क निर्माण के दौरान शहीद हुए। पाकिस्तान के आंतकवाद  और भारत के नक्सलवादी घटनाओं को रोकने के लिए विश्व समुदाय को संगठित होने की आवश्यकता है। कश्मीर के उड़ी में पाक आंतकवादियों नें देश की सुरक्षा में तैनात सुरक्षा बलों पर किए गए आतंकी हमले में 18 भारतीय जवानों की शहादत से पूरा हिंदोस्तान सदमे में था। यदि देश की सुरक्षा में तैनात सुरक्षा बलों के कैंपों पर आंतकवादियों के हौसले इस तरह से बुलंद हों तो आम जनता में असुरक्षा की भावना पनपना स्वभाविक है। परंतु देश का प्रत्येक नागरिक भारत के सुरक्षा बलों के साथ हर सहयोग के लिए साथ खड़ा है।  मानव मानवता को भूलकर एक हिंसक दानव का रूप धारण कर यह भूल जाता है कि मैं इतना उग्र क्यों हो रहा हूं। विश्व में आज यह सुनना आम हो गया है कि मामूली सी कहा सुनी पर दोस्त ने दोस्त की जान ली, बेटे ने मां व बाप की हत्या कर दी, जमीन-जायदाद के विवाद में भाई व बहन की ईहलीला समाप्त कर दी। इससे यही जाहिर होता है कि आज आदर्र्श नाम मात्र मूक दर्शक ‘शब्द’ बन कर रहा गया हो। जहां पर रिश्तों को अहमियत नहीं दी जाती हो, तो वहां पर हिंसक वारदातें घटना आम बात है। वहीं पर विश्व में बढ़ती जनसंख्या बेरोजगारी एवं अन्याय भी आतंकमयी दानव को बढ़ावा देने की एक वजह मानी जाती है। क्योंकि इनसान अपने ऊपर अन्याय सहन नहीं करता है। क्योंकि एक छोटे बच्चे को समय पर मां स्तनपान नहीं करवाती है तो वह भी जोर-जोर से रोने चिल्लाने लग पड़ता है। इसी तरह भेदभाव बरतने पर भी जो शिकार होते हैं, वे भी हिंसक हो जाते हैं। जिनके साथ अन्याय होता है वह भी इसी तरह की राह अपना लेता है। आज आईएसआईएस के मुख्य सरगना बगदादी नें छोटे-छोटे बच्चों को भी आतंकवाद के इस दलदल में उतार दिया है। जिन बच्चों के हाथ में किताबें व पैन होना चाहिए था उनके हार्थों में स्टेनगन व गोला बारूद और मानव बम बनाकर जिहाद के नाम पर लड़ने के लिए आंतकवाद की फैक्टरी में तैयार किया जा रहा है, जो कि विश्व समुदाय के लिए महान चिंता का विषय है। ‘सहनशीलता’ शब्द मात्र शब्दकोष में बंद किताब की तरह रह गया है। कोई भी इनसान मामूली सी बात को इतना बढ़ा ले लेता है कि वह हिंसक घटना को भी अंजाम देने से नहीं हिचकिचाता है।  विश्व में पनपते आतंकवाद, उग्रवाद ने अपना ताना-बाना इस तरह से बुन लिया है कि आम साधारण व्यक्ति भी मामूली से लालच में पड़ कर हिंसक एवं आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त हो जाता है। उसे इस बात की परवाह भी नहीं होती है कि मेरे द्वारा की जा रही इनसान विरोधी, समाज विरोधी, राष्ट्रविरोधी घटना का सहज भी एहसास नहीं होता है कि मैं गलत संगत में पड़कर आत्मग्लानि को बढ़ावा दे रहा हूं। अपनी बुद्धि, दिमाग व तकनीक का प्रयोग विनाश की अपेक्षा विकास में करें। किसी निर्दोष असहाय, दुर्बल, बेबस, मजबूर बच्चे, महिला व बुजुर्र्ग, लाचार इनसान की जान लेने के लिए किसी धर्म में अनुमति नहीं है। क्योंकि विश्व के तमाम धार्मिक ग्रंथ चाहे ‘कुरान’, बाइबल, गीता या गुरु ग्रंथ में भी ‘प्रेम’, ‘अंहिसा’ और इनसानियत की पैरवी की गई है और एक दूसरे के सुख-दुख में सहयोग व तालमेल का लेखा-जोखा ही इनमें दर्शाया गया है। कोई भी धर्म इनसानियत का कत्ल करने की इजाजत नहीं देता है। आप लोग किसी भी इनसान की जान लेने से पूर्व यह क्यों नही सोचते कि मैं भी मानव हूं और हो सकता है कि पूर्व जन्म में इसी (दुश्मन) के परिवार या वंश का अंश रहे हों। विश्व में शांति व विकास का संदेश देना और इस हिंसक आतंक को त्याग कर अपना समग्र जीवन देश, राष्ट्र व विश्व में फैली दूसरी बुराइयों को समाप्त करने में लगाकर ताकि विश्व में कोई इनसान भूखा, नंगा, प्यासा, बिना छत के, अशिक्षित, बेरोजगार एवं अस्वस्थ न रह सके। विश्व में समानता एकता एवं सुरक्षा का प्रचार व प्रसार करे। आज इस वैज्ञानिक एवं तकनीकी युग में विश्व में फैली संक्रमण रूपी रोगों का विनाश करके विश्व विकास की बात पर चर्चा करें। इसके लिए आज विश्व के तमाम बुद्धि जीवियों को इस पर गहन चिंतन-मंथन व विचार करने की जरूरत है कि किस तरह से विश्व से हिंसक, आतंक, उग्रवाद का समूल नाश किया जा सकता है। इसके लिए हमें विश्व में आदर्श एवं नैतिक शिक्षा पर बल देने की जरूरत है। साथ ही हमें इनसानियत विरोधी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए कानूनों में बदलाव कर सख्ती से कार्यान्वित करने की आवश्यकता है, ताकि उपद्रवी आतंकी हमारी कमजोरी का नाजायज फायदा न उठा सकें। जैसे कि देश की सेना सुरक्षा एजेंसियों की वर्दी को फटने या प्रयोग करने के उपरांत अन्य नागरिक को पहनने पर पूर्ण प्रतिबंध लगना चाहिए ताकि इस वर्दी का दुरुपयोग देश एवं राष्ट्र विरोधी लोग न कर सकें। इसी तरह इन विनाशक हथियारों की तस्करी करने वाले लागों को बीच चौराहों पर सजा दी जानी चाहिए। इस तरह देश द्रोही गतिविधियों में संलिप्त लोगों की संपत्ति राष्ट्र के नाम कर देनी चाहिए और राष्ट्र एवं विश्व-विरोधी ताकतों का विश्व की जनता को एक जुटता से विरोध करना चाहिए और इनका समूल विनाश करने के प्रयास करने चाहिए और विश्व की मुख्यधारा से भटके हुए लोगों को राष्ट्र एवं विश्व शांति के लिए समर्पण की भावना पैदा करने के लिए प्रशिक्षण शिविरों का संयुक्त राष्ट्र की अगवाई में आयोजन करना चाहिए। विश्व की मुख्य धारा में शामिल होने के लिए उचित अवसर दिए जाने चाहिए। साथ ही आंतकवाद की फैक्टरी चलाने वाले देशों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना चाहिए और बेरोजगार भुखमरी से ग्रसित क्षेत्रों में रोजगार के पर्याप्त अवसर व भुखमरी से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ को अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। ताकि विश्व से आंतकवाद का समूल नाश हो सके। किसी भी मासूम बच्चे को इस तरह की गतिविधियों से दूर रखने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए और उन्हें मानवता एवं आदर्शवाद की शिक्षा दी जानी चाहिए।

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