प्रिंसीपल बनने को नेट जरूरी
एनसीटीई ने बीएड कालेज के प्राचार्यों के लिए नियम-2014 में किया संशोधन
शिमला — प्रदेश के बीएड कालेजों में प्राचार्य बनने के लिए अब राह आसान नहीं होगी। शिक्षा संस्थानों में प्राचार्य और विभागाध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर एनसीटीई की ओर से नियम कड़े कर दिए गए हैं। नियमों के तहत अब इस पद पर नियुक्ति के लिए यूजीसी नेट की परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने अपने रेगुलेशन 2014 में संशोधन किया है। नियमों में परिवर्तन करते हुए एनसीटीई ने प्राचार्य पद पर नियुक्ति के लिए नए नियम अपनाने के निर्देश शिक्षा संस्थानों को दे दिए हैं। इन निर्देशों के तहत अब प्रदेश के बीएड व एमएड कालेजों में प्राचार्य पद पर जो नियुक्तियां होंगी, उनमें यूजीसी नेट उत्तीर्ण अभ्यर्थी ही पात्र होंगे। एनसीटीई की ओर से नियम 2014 में किए गए संशोधन में नेट के साथ-साथ पीएचडी को भी अनिवार्य किया गया है। इसके तहत शैक्षणिक अनुभव की शर्त में कुछ छूट प्राचार्यों को दी गई है। इस पद पर नियुक्ति के लिए पहले जहां आठ साल का शैक्षणिक अनुभव आवश्यक किया गया था, उसमें छूट देते हुए इस अनुभव को पांच साल का कर दिया गया है। पहले कालेजों में प्राचार्य पद पर नियुक्ति के लिए यूजीसी नेट और पीएचडी की शर्त लागू नहीं की गई थी। नए नियमों से सबसे अधिक परेशानी भी निजी बीएड कालेजों को ही उठानी होगी। अभी कालेजों में नया शैक्षणिक सत्र शुरू होना है। ऐसे में प्राचार्य और विभागाध्यक्षों के पदों पर एनसीटीई के रेगुलेशन 2014 के संशोधित नियमों के तहत ही तैनाती कालेजों को करनी होगी। तैनाती किस आधार पर की गई है, इसकी जानकारी भी कालेजों को एनसीटीई को देनी होगी। प्रदेश में वर्तमान समय में दो सरकारी सहित 73 के करीब निजी बीएड कालेज चल रहे हैं। इन सभी कालेजों को अब नए नियमों को ही प्राचार्य पद पर तैनाती के लिए लागू करना होगा।
नियमों में यहां मिलेगी छूट
एनसीटीई की ओर से कालेजों में प्राचार्य पद की तैनाती के लिए यूजीसी नेट उत्तीर्ण पात्रता से छूट केवल उन्हीं अभ्यर्थियों को देने का प्रावधान किया गया है, जिन्होंने विश्वविद्यालयों से यूजीसी के विनियम-2009 के अनुसार पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। इस विनियम के तहत उपाधि प्राप्त अभ्यर्थी पांच वर्ष के शैक्षणिक अनुभव और पीएचडी उपाधि के साथ प्राचार्य पद पर नियुक्ति के लिए पात्र होंगे।
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