प्रेरक प्रसंग

By: Jun 11th, 2017 12:05 am

कंकड़-पत्थर से भरी तिजोरी

एक दिन धनीराम के सामने कुछ ऐसा काम आ पड़ा, जिसके लिए उसे परिवार के साथ बाहर जाना था। परंतु समस्या यह थी कि जाते समय धन कहां रखा जाए। परिवार के लोगों ने सलाह दी कि दोस्त किस काम आएगा, लेकिन दोस्त के बारे में वह ज्यादा नहीं जानता था और कभी दोस्त को परखने का मौका भी नहीं मिला था। ऐसे में जीवन भर की कमाई, जमा पूंजी किस विश्वास से उसे सौप दे। कुछ सोच कर धनीराम ने तिजोरी में ताला लगाया और दोस्त को बुलाकर सारी समस्या बताई, फिर उसे चाबी सौंप दी। उसके बाद धनीराम अपने परिवार के साथ दूसरे शहर रवाना हो गया। जब काम पूरा हो गया, तब धनीराम वापस शहर लौट आया। अगले दिन उसने अपने दोस्त को बुलाया, लेकिन वह आते ही धनीराम से लड़ने लगा, क्या तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं था, जो तुमने तिजोरी में कंकड़-पत्थर भर कर चाबी मुझे दे दी। धनीराम का परिवार दोस्त की बात सुनकर हैरान हो गया। सभी के पैरों से जमीन खिसक गई, लेकिन धनीराम चुप था। उसके चहरे पर मुस्कराहट थी वह बोला, तुम्हें कैसे पता लगा कि तिजोरी में कंकड़-पत्थर हैं। जरूर तुमने ताला तोड़कर देखा होगा क्योंकि मैंने जान-बूझकर तिजोरी में कंकड़-पत्थर भरे थे, ताकि मैं तुम्हारी दोस्ती को परख सकूं। इसलिए दोस्तों पर सोच-समझ कर विश्वास कीजिए।

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