हिमाचली पुरुषार्थ : कार रेस रैली के ‘रिकार्डमैन’ सुरेश राणा

By: Jun 7th, 2017 12:07 am

सुरेश राणा हर पड़ाव पर आगे बढ़ते रहे और आज उन्होंने इतने खिताब अपने नाम कर लिए हैं कि वह रिकार्डों के बादशाह बन गए हैं। सुरेश राणा अभी तक 4 क्रॉस कंट्री कार रैलियों के खिताब अपने नाम कर चुके हैं। इसके साथ ही सुरेश राणा दस रेड-डी हिमालय रैली के खिताब भी जीत चुके हैं, जो कि सच में अपने आप में एक रिकार्ड बन गया है, जिसे तोड़ना किसी के लिए भी आसान नहीं होगा…

cereerदिल में अगर मंजिल को हासिल करने की मजबूत इच्छा हो, तो फिर लक्ष्य भेदने से कोई नहीं रोक सकता है। कुल्लू में भी कुछ इसी तरह से मशहूर हो चुके हैं रिकार्ड मैन सुरेश राणा। इसे इनके हुनर का ही जादू समझें कि गाड़ी पलटने के बाद भी उन्होंने विजेता ट्रॉफी को चूमा। कुल्लू जिला से संबंध रखने वाले सुरेश राणा ने मात्र 24 वर्ष की उम्र में ही कार रैली में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था। वर्ष 2001 में जब सुरेश राणा ने कार रेस रैली में हिस्सा लेना शुरू किया, तो  उन्हें कार रैलियों के बारे में ज्यादा ज्ञान नहीं था। उसके बावजूद सुरेश राणा हर पड़ाव पर आगे बढ़ते रहे और आज उन्होंने इतने खिताब अपने नाम कर लिए हैं कि वह रिकार्डों के बादशाह बन गए हैं। सुरेश राणा अभी तक 4 क्रॉस कंट्री कार रैलियों के खिताब अपने नाम कर चुके हैं। इसके साथ ही सुरेश राणा दस रेड-डी हिमालय रैली के खिताब भी जीत चुके हैं, जो कि सच में अपने आप में एक रिकार्ड बन गया है, जिसे तोड़ना किसी के लिए भी आसान नहीं होगा। प्रदेश के अग्रणी मीडिया गु्रप ‘दिव्य हिमाचल’ से विशेष बातचीत करते हुए सुरेश राणा ने बताया कि एक बार रेड-डी-हिमालय कार रैली में हिस्सा लेते-लेते जांस्कर वैली में उनकी गाड़ी भी पलट गई, लेकिन उसके बावजूद हिम्मत नहीं हारी तथा गाड़ी को फिर से सीधा करके सर्पीली सड़कों  पर दौड़ना शुरू कर दिया, जिसका फल उन्हें प्रथम अवार्ड के  रूप में मिला। उन्होंने बताया कि इतने लंबे सफर में कुल तीन बार उनकी गाड़ी पलट गई, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और मंजिल की अोर बढ़ता गया। कार रेस रैली काफी काफी रोमांचित करती है। वहीं इसके साथ ही सुरेश राणा राजस्थान के रेगिस्तान में होने वाली कार रेस रैली के खिताब को भी अपने नाम कर चुके हैं। बंगलूर में होने वाली दक्षिण डेयर कार रेस रैली के खिताब को सुरेश राणा तीन बार चूम चुके हैं। उन्होंने बताया कि वह खुद ही इन रैलियों की प्रैक्टिस करते रहते हैं तथा वह अपने पार्टनर अश्वनी नायक के साथ मिलकर सड़क की पूरी रैकी भी कर लेते हैं।

संदीप शर्मा, कुल्लू

cereerजब रू-ब-रू हुए…

तमन्ना है कोई हिमाचली ही मेरे रिकार्ड को तोड़े…

वाहनों के प्रति आपके आकर्षण की वजह?

मुझे बचपन से ही गाडियों का काफी शौक था, वहीं बचपन में मैं टीवी में जब कार रेस रैली को देखता था, तभी मैंने कार रेस रैलियों में भाग लेने की ठान ली थी।

जीवन की सबसे बड़ी जीत आप किसे मानते हैं?

रेड-डी- हिमालय की रेस को मैं 10 बार जीत चुका हूं, लेकिन एक बार जांस्कर वैली में जब मेरी गाड़ी भी पलट गई तो मैं काफी चोटिल हुआ, लेकिन अपने पार्टनर अश्वनी नायक की सहायता से गाड़ी को सीधा कर फिर रेड-डी- हिमालय की रैली में जीत हासिल की।

जीत का आपका फार्मूला है क्या ?

रैली शुरू होने से एक माह पहले हम रूट की पूरी रैकी कर लेते हैं तथा रैकी के दौरान हम यह भी तय करते हैं कि गाडि़यों  को  कहां कंट्रोल करना है और कहां ज्यादा दौड़ना है। इसी फार्मूले पर हम रैली में हिस्सा लेकर जीत हासिल करते हैं।

कभी ऐसी किसी रैली में डरे या जब दैवीय शक्ति ने बाल बांका नहीं होने दिया?

जी हां, कई बार रैली में मेरी गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो चुकी है। यह दैवीय शक्ति का ही प्रमाण है कि फिर भी मैं बार-बार कार रेस रैली में हिस्सा लेकर अपना बेहतर प्रर्दशन करने की कोशिश करता हूं।

अब तक  की सबसे ‘टफ’ रैली कौन सी है?

राजस्थान के रेगिस्तान में होने वाली कार रेस रैली को मैं पांच बार जीत चुका हूं लेकिन यहां के तापमान व रेगिस्तान में गाड़ी को दौड़ाना काफी मुश्किल है। यह रेस रैली काफी कठिन होती है।

आपके लिए जीत रोमांच है या जोखिम ?

किसी भी जीत को हासिल करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है। रैली में प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ने के लिए कहीं-कहीं पर जोखिम भी उठाना पड़ता है। जब आप जीत जाते हैं तो काफी सुकून मिलता है।

रैली के हिसाब से कौन सा भारतीय वाहन उपयुक्त है?

कार रेस रैली में आप को उसी वाहन का चयन करना चाहिए, जिस वाहन के बारे में आपको जानकारी हो, आप उसे चलाने में भी निपुण हों और उसे तकनीकी रूप से ठीक करने की भी क्षमता रखते हों। भारतीय वाहन जिप्सी फॉर बाई फॉर कार रेस रैली के लिए उपयुक्त वाहन है।

वाहन पर आपके भरोसे के क्या मानदंड हैं?

व्यक्ति मशीनरी को तकनीकी रूप से ठीक करने की योग्यता रखता हो। जब हम रैली में हम हिस्सा लेते हैं, तो सुबह शाम गाड़ी को पूरी तरह से चैक करके ही उसे चलाते हैं।

जीत के इन वर्षों में सुरेश राणा का व्यक्तित्व कितना बदल गया या स्वयं में आप कितनी तरक्की महसूस करते हैं?

24 वर्ष की उम्र में  सन् 2001 में मैंने कार रेस रैली में हिस्सा लेना शुरू किया था। अब तक में करीब 25 विभिन्न रैलियों को जीत कर रिकॉर्ड बना चुका हूं। मुझे खुशी होगी जब कोई हिमाचली मेरे इस रिकॉर्ड को तोड़ेगा। इतने रिकार्ड बनने के बाद भी सुरेश राणा नहीं बदला है। आज भी मै जमीन पर ही हूं।

भविष्य में कोई ऐसी जीत जिसे हासिल करना अभी सपनों की यात्रा है?

बंगलूर में होने वाली दक्षिण डेयर रैली को मैं 3 बार जीत चुका हूं और क्रॉस कंट्री  कार रेस रैली का मैं चार बार विजेता रह चुका हूं दोबारा भविष्य में भी इन कार रेस रैलियों को जीतना चाहता हूं।

हिमाचली वाहन चालकों का कोई विशेष हुनर जिसे आप पसंद करते हैं या उल्लेखनीय खामी?

हिमाचल की अधिकतर सर्पीली सड़कें हिमाचल के चालकों के लिए ही बनी हैं। वे इन सड़कों पर वाहन चलाने में बेहद निपुण हैं फिर भी उन्हें इन रास्तों पर सावधानी बरतनी चाहिए। कभी- कभी लापरवाही अपने साथ-साथ दूसरों की जान भी जोखिम में डाल देती है।

प्रदेश को सुरेश राणा अपने अनुभव से कैसे सींचना चाहेंगे?

मैं समाज के हर वर्ग के लिए कुछ करना चाहता हूं। युवा इस तरह की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लें ताकि उन्हें जिदंगी में जोखिम उठाने का अनुभव हो। युवा नशे से दूर रहें और इसके साथ मैं यह भी चाहूंगा कि महिलाएं भी दूसरी प्रतियोगिताओं की तरह कार रेस रैली में भी हिस्सा लें।

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