बहा रही होगी अश्रु

By: Jul 28th, 2017 12:02 am

(आरएल चौहान, कोटखाई, शिमला )

बहा रही होंगी शायद अश्रु अब भी,

उस अबोध बिटिया की आंखें,

रूह जिसकी रुखसत हो गई जहां से,

फैलाकर अनजानी-अनदेखी पांखें।

असहनीय दुख को सह पाएं,

हम सब भी धरें उनके घावों पे मरहम,

हमदर्द सांसों से उनको सहलाएं,

इस नरक के बाद मिले स्वर्ग।

अब तुझे शांति मिले बिटिया,

यहां राहें मिली तुझको कांटों से भरपूर,

वहां तो खुशियो के फूल खिलें बिटिया।

कौन चाहेगा कि हों निर्दोष दंडित

और कसूरवार जो हैं वे बेखौफ घूमें,

सब बस चाहते हैं दोषी की गर्दन

फांसी के फंदे को जल्दी से चूमे।

आप सबसे है यही करबद्ध निवेदन,

इस मुद्दे को न सियासत बनाएं,

हुई जिस कांड से कलंकित देवभूमि,

उसे हल करने में हाथ सब बंटाएं।

पुलिस हो चाहे या सीबीआई,

मिलकर सब को दे सहयोग अपना,

हो कोई जानकारी तो उनको दें हम,

फर्ज कुछ यूं निभाए हम लोग अपना।

एक आरोपी ने दूजे की हत्या करके,

मामले को और भी उलझा दिया है,

जरा उस मुजरिम की हिम्मत तो देखो,

लॉकअप में ही जिसने यह दुःसाहस किया है।

हिंसा किसी को नहीं शोभा देगी,

जांच सही दिशा में चल रही होगी,

तो यह उसे उस पटरी से दूर कर लेगी।

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