बैंकिंग विनियमन संशोधन विधेयक पेश
नई दिल्ली— वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गैर निष्पादित परिसंपत्तियों के बोझ तले दबे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को इस समस्या से राहत दिलाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक को व्यापक नियामक अधिकार दिए जाने से संबंधित बैंक विनियमन संशोधन विधेयक सोमवार को लोकसभा में पेश किया। इसके जरिए सरकार द्वारा रिजर्व बैंक को फंसे कर्ज की वसूली के लिए जरूरी कारवाई शुरू करने संबंधी निर्देश देने के वास्ते व्यापक अधिकार दिए जाने की व्यवस्था की गई है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की फंसी कर्ज राशि यानी गैर-निष्पादित संपत्तियां (एनपीए) छह लाख करोड़ रुपए से अधिक के ‘ऊंचे अस्वीकार्य स्तर’ पर पहुंच जाने के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है। बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन का अध्यादेश लाया गया था, जिसके तहत दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता-2016 में उपलब्ध प्रावधानों के तहत कर्ज वसूली नहीं होने की स्थिति में रिजर्व बैंक को किसी भी बैंकिंग कंपनी अथवा बैंकिंग कंपनियों को ऋणशोधन अथवा दिवाला प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश देने के लिए प्राधिकृत किया गया था। अध्यादेश के जरिए रिजर्व बैंक को यह भी अधिकार दिया गया था कि वह बैंकों को फंसी परिसंपत्तियों के मामले के समाधान के लिए निर्देश जारी कर सके। अध्यादेश में रिजर्व बैंक को दबाव वाले विभिन्न क्षेत्रों की निगरानी के लिए समिति गठित करने का भी अधिकार दिया गया। इससे बैंकरों की ऋण पुनर्गठन के मामलों को देख रही जांच एजेंसियों को सुरक्षा मिल सकेगी। अध्यादेश में बैंकिंग नियमन कानून 1949 की धारा 35-ए में संशोधन कर इसमें धारा 35-एए और धारा 35-एबी को शामिल किया गया था। संशोधन के इन्हीं प्रावधानों को मंजूरी के लिए यह विधेयक सोमवार को लोकसभा में पेश किया गया।
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