शब्द वृत्ति

By: Jul 14th, 2017 12:02 am

भक्तों पर हमला

(डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर )

भक्तों पर हमला किया, निगली सातों जान,

छेदें शीश त्रिशूल से, शंकर कृपा निधान।

आहत पूरा देश है, हर हद हो गई पार,

फैल रहा आक्रोश, फूलता दहशत का व्यापार।

निंदा फेंकें भाड़ में, भर दें कूड़ेदान,

पत्थरबाजों का नहीं, हो पाए सम्मान।

हद की भी हद हो गई, चूक, चूक पर चूक,

आतंकी का मुंह कुचल, बढ़ी रक्त की भूख।

है जघन्य अपराध यह, कैसा किया कुकृत्य,

शंकर अब आतंक पर, करें तांडव नृत्य।

चूहा बिल में घुसा, छिपकर करता वार,

मीर, गिलानी, मलिक का, फैल रहा व्यापार।

लंगड़ी है निर्बल बनी, शक्तिहीन सरकार,

सहनशील हम अत्यधिक, प्रतिदिन खाते मार।

नाथ उतारे चूडि़यां, नौटंकी अब छोड़,

अब इस्लामाबाद में घुसकर, गर्दन दें तोड़।

खाता मलिक हराम की, आस्तीन का सांप,

खपने को तैयार रह, स्थिति ले अब भांप।

शंखनाद हो द्वंद्व का, अब विकल्प यह आज,

उसे नकरे नापाक को, कभी न आती लाज।

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