अब सोसायटी को ही सबसिडी
पशुपालन विभाग के डेयरी उद्यमिता विकास कार्यक्रम में संशोधन
बिलासपुर— हिमाचल प्रदेश में पशुपालन विभाग के माध्यम से संचालित डेयरी उद्यमिता विकास कार्यक्रम में संशोधन कर दिया गया है। इसके तहत अब केवल सोसायटी को ही डेयरी प्रोसेसिंग यूनिट के लिए सबसिडी का लाभ मिल पाएगा। हाल ही में यह नई व्यवस्था लागू कर दी गई है। इसके तहत लाभार्थी सोसायटी व सरकार की 60ः40 की भागीदारी होगी। खास बात यह है कि सोसायटी केवल मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट, चिलिंग प्लांट या फिर पाइश्चराइजेशन यूनिट लगाने के लिए ही आवेदन कर सकेंगी। जानकारी के मुताबिक डेयरी उद्यमिता विकास कार्यक्रम के तहत पहले योजना में लाभ के लिए कोई भी आवेदन कर सकता था। योजना में सामान्य वर्ग के लिए 75 फीसदी सबसिडी तय की गई थी। यानी लाभार्थी व सरकार की 75ः25 की भागीदारी रहती थी। बैंकों के माध्यम से आवेदकों को लोन सेंक्शन करने का प्रावधान था और आगे की कार्रवाई विभाग द्वारा पूरी की जाती थी। सूत्र बताते हैं कि इस योजना का लाभ उठाने के लिए लोगों ने रुचि नहीं दिखाई। अकेले बिलासपुर जिला की बात की जाए तो यहां केवल एक ही कामधेनु नाम से एक संस्था ने इस योजना का लाभ लिया है। यह सोसायटी एक्ट के तहत पंजीकृत है और दूध कारोबार में प्रदेश भर में नाम है। इसके अलावा विभाग के पास इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसी ने आवेदन नहीं किया। ताजा स्थिति में सरकार ने लोगों द्वारा रुचि न लिए जाने के चलते सरकार ने अब इसमें संशोधन कर दिया है और अब व्यक्ति विशेष को नहीं, बल्कि इस योजना का लाभ केवल सोसायटी को ही मिल पाएगा। बैंकों की भूमिका नहीं होगी। योजना के तहत प्रोजेक्ट रिपोर्ट संबंधित क्षेत्र में कार्यरत पशुपालन विशेषज्ञ के माध्यम से तैयार करवानी होगी और वहां से इसे डिप्टी डायरेक्टर कार्यालय में जमा करवाना पड़ेगा।
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