और यह भी…

By: Aug 29th, 2017 12:02 am

(शगुन हंस, योल )

मोदी जी अपने मन की बात तो कह लेते हैं, पर कभी देश के मन की बात भी सुनें। हमारे आठ जवान शहीद होते और दो आतंकी ढेर होते हैं। यह अनुपात तो हारने जैसा ही है। कब तक ढोएंगे सरहदों से लाशें? मन से बाहर, जमीन पर उतर कर सोचें मोदी जी। अब तो अच्छे दिनों की बात भी नहीं होती, क्योंकि वे तो आए ही नहीं। अब 56 इंच के सीने की भी बात नहीं होती, क्योंकि प्रधानमंत्री शेर से म्याऊं हो गए हैं?

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