कहां से आया यह अकूत खजाना

By: Aug 19th, 2017 12:05 am

केरल के हजारों साल पुराने पद्मनाभ स्वामी मंदिर की अकूत दौलत का रहस्य अभी तक बना हुआ है। लाख कोशिशों के बावजूद यह प्रश्न अभी तक नहीं सुलझ पाया है कि इस मंदिर के पास इतनी भारी दौलत कहां से आई। यह मंदिर भारत का सबसे अमीर मंदिर माना जाता है। केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में स्थित पद्मनाभ स्वामी मंदिर के पास दो लाख करोड़ रुपए की दौलत है। वर्ष 2011 में कैग की निगरानी में पद्मनाभ स्वामी मंदिर से करीब एक लाख करोड़ रुपए मूल्य का खजाना निकाला जा चुका है। अभी मंदिर का एक तहखाना खुलना बाकी है। इसीलिए इसे भारत का सबसे अमीर मंदिर कहा जाता है। मंदिर हजारों साल पुराना है। इसकी स्थापना कब हुई थी, इसके बारे में एकराय नहीं है। कहा जाता है कि यह मंदिर दो हजार साल पुराना है। वहीं त्रावणकोर के इतिहासकार डॉ. एलए रवि वर्मा का दावा है कि इस मंदिर की स्थापना कलियुग के पहले दिन में हुई थी। यह भी माना जाता है कि मंदिर में स्थित भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना कलियुग के 950वें साल में हुई थी। मंदिर का मौजूदा स्वरूप त्रावणकोर के राजाओं ने बनवाया। कहा जाता है कि वर्ष 1750 में त्रावणकोर के महाराजा मार्तंड वर्मा ने खुद को पद्मनाभ स्वामी का दास बताया था।  इसके बाद पूरा शाही खानदान मंदिर की सेवा में लग गया था। यह भी माना जाता है कि मंदिर में मौजूद अकूत संपत्ति त्रावणकोर शाही खानदान की ही है। 1947 में जब भारत सरकार हैदराबाद के निजाम की संपत्ति अपने अधीन कर रही थी,तो त्रावणकोर राजघराने ने अपनी दौलत मंदिर में रख दी। उस वक्त त्रावणकोर रियासत का भारत में विलय हो गया। रियासत की संपत्ति भारत सरकार ने अपने अधीन की, लेकिन मंदिर शाही खानदान के पास ही रहा। इस तरह राजघराने ने अपनी संपत्ति बचा ली, लेकिन इस कहानी का कोई प्रमाण अब तक सामने नहीं आया है। अब यह मंदिर शाही खानदान द्वारा बनाया गया ट्रस्ट चलाता है। पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) विनोद राय ने मंदिर के तहखानों की कहानियों को खारिज किया था। वर्ष 2011 में कैग की निगरानी में पद्मनाभ स्वामी मंदिर से करीब एक लाख करोड़ रुपए मूल्य का खजाना निकाला गया था। हालांकि उस वक्त कई प्रचलित कहानियों के चलते मंदिर के छठे तहखाने को नहीं खोला गया था। इस कहानी के मुताबिक मंदिर के तहखानों में कोबरा जैसे जहरीले सांप मौजूद हैं, जो इस खजाने की रक्षा करते हैं और किसी को तहखाने में जाने की इजाजत नहीं है। कई थ्यूरीज होने के कारण सही-सही यह बता पाना मुश्किल है कि यह अकूत संपदा कहां से आई। इस तरह यह प्रश्न आज भी सुलझ नहीं पाया है।

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