कांशी राम के बाद दूसरे नंबर पर थे बख्शी

By: Aug 2nd, 2017 12:05 am

बख्शी राम अग्रवाल भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा- 124 के तहत 11 मार्च, 1922 से 2 फरवरी, 1923 ई. तक जेल में रहे। बाद में वह दोबारा 3 दिन के लिए फिर जेल गए। 1920 के दशक में वह बाबा कांशी राम के साथ दूसरे सबसे महत्त्वपूर्ण क्रांतिकारी थे…

श्री भास्करानंद

(1 अगस्त, 1919 )

श्री भास्करानंद का जन्म शिमला जिला की उप-तहसील सुन्नी के गांव बसंतपुर में 1 अगस्त 1919 ई. को हुआ। इन्होंने मैट्रिक तक शिक्षा प्राप्त की। 1936 ई. स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए स्कूल छोड़ दिया। भूतपूर्व भज्जी रियासत में प्रजा मंडल की स्थापना की। 1939-1946 ई. तक शिमला हिल स्टेट मंडल के मुख्य सचिव चुने गए। क्षेत्रीय परिषद व अखिल भारतीय स्टेट्स पीपल्ज कान्फ्रेंस के सदस्य रहे। 1948-49 ई. में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य व 1947 से 1952 ई. तक प्रांतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे। 1977 ई. में प्रदेश  विधानसभा के लिए चुने गए।

श्री बख्शी राम अग्रवाल

(9 अगस्त, 1894)

इनका जन्म 9 अगस्त, 1894 ई. को जिला कांगड़ा में पालमपुर में हुआ। इनके पिता श्री मनी राम थे। इन्होंने 1922 ई. के असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। वह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा- 124 के तहत 11 मार्च, 1922 से 2 फरवरी, 1923 ई. तक जेल में ंरहे। दोबारा 3 दिन के लिए फिर जेल गए। 1920 के दशक में वह बाबा कांशी राम के साथ दूसरे सबसे महत्त्वपूर्ण क्रांतिकारी थे। 21 मई, 1942 ई. से 21 दिसंबर, 1942 ई. तक भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण इन्हें फिर जेल में डाला गया। 25 नवंबर, 1976 ई को इनका निधन हो गया।

श्री बालानंद चौहान

(16 अगस्त, 1915 )

श्री बालानंद चौहान स्वर्गीय श्री लाल दास चौहान के बेटे थे। 16 अगस्त, 1915 ई. को जिला शिमला की तहसील कोटखाई के क्यारी गांव में पैदा हुए। इन्होंने मैट्रिक तक शिक्षा प्राप्त  की। 1947 ई. तक भारत की सेवा में रहे, नौकरी से त्यागपत्र दिया और लोगों के प्रति अपनी सेवाएं समर्पित की। 1947-52 में क्यारी गांव को हिमाचल प्रदेश के आदर्श गांव के रूप में विकसित किया। क्यारी को प्रदेश भर में सर्वोत्तम गांव, सर्वोत्तम पंचायत, प्रदेश में सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय वाले सर्वोत्तम गांव के रूप में विकसति किया। ‘लाल स्मारक शिक्षा न्यास और बीएन चौहान कल्याण निधि’ की स्थापना की और अपनी राजनीतिक पेंशन इन न्यासों को दान की। 1952 ई. में प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। कई विधानसभा कमेटियों के सदस्य रहे। कांग्रेस विधायक दल के सचिव भी रहे।

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