जवाली की 46 पंचायतों ने छोड़ी खेती

By: Aug 20th, 2017 12:05 am

हनुमान जी की सेना के रूप में आम जनमानस के लिए पूजनीय रहे बंदर ऐसे खुराफाती हुए कि किसानों को दाने-दाने के लाले पड़ गए हैं। कल तक गुड़-चना डालकर अपने अराध्य देव को खुश करने में लगे किसान आज बंदरों के आतंक से इस कद्र परेशान हैं कि घाटे का सौदा साबित हो रही खेती से ही वे मुंह मोड़ने लगे हैं…

जवाली – प्रदेशभर में व्याप्त बंदरों की समस्या से विधानसभा क्षेत्र जवाली के अंतर्गत आने वाली 46 पंचायतों व नगर पंचायत जवाली के लोग भी अछूते नहीं हैं। विधानसभा क्षेत्र की पंचायत हरसर, पनालथ, मरियाना, लाहडू, हार, नाणा, बलदोआ, नगरोटा सूरियां, घाड़जरोट, अमलेला, पपाहण, समकेहड़, भरमाड़ व आंबल सहित नगर पंचायत जवाली में बंदरों का उत्पात व्याप्त है तथा बंदरों के उत्पात के कारण किसानों ने जमीन पर फसलें बीजना छोड़ दी हैं , जिससे उनकी बेशकीमती जमीनें बंजर होती जा रही हैं। बेशकीमती जमीनों पर फसल की बिजाई करने की बजाय अब किसान खेतों में घास को तरजीह दे रहे हैं। हिंदू धर्म में बंदरों को भगवान हनुमान की सेना माना जाता है और इसी के कारण इनको मारने की भी इजाजत नहीं दी जाती है, इसी के साथ लोग भी इनको मारना नहीं चाहते हैं। किसानों ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा मात्र आज तक बंदरों के उत्पात से निपटने के लिए किसानों  को आश्वासन ही दिए गए, लेकिन अभी तक आश्वासनों से आए कुछ नहीं हो पाया है।

जमीन होने पर भी खरीद रहे अनाज

जवाली के मोहन लाल शर्मा ने कहा कि बंदरों के उत्पात से पहले उनकी बेशकीमती जमीनों पर फसल की काफी अच्छी पैदावार होती थी, जिसके चलते अपने खाने के अलावा फसल को बेच भी लेते थे। जब से बंदरों का आगमन हुआ है तब से यह नौबत आ गई है कि अब  खाने के लिए भी बाजार से फसल खरीदनी पड़ती है।

घर के स्लेटों को तोड़ मचा रहे आतंक

जवाली के गुरदीप सिंह ने कहा कि बंदरों के कारण लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। बंदर फसलों को तहस-नहस तो करते हैं, परंतु इसी के साथ मकानों के ऊपर डाले गए स्लेट इत्यादि भी तोड़ देते हैं। इससे लोगों को परेशानी होती है। बंदरों के उत्पात से फसलें बीजनी छोड़ दी हैं।  अगर यही हाल रहा तो  लोगों से ज्यादा बंदरों की संख्या होगी।

बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे अभिभावक

बसंतपुर के दिनेश निखिल ने कहा कि फसल की बात तो दूर अब तो अपने घर में रहना भी बंदरों ने मुश्किल कर दिया है। किसी भी चीज को बंदर तहस-नहस करना नहीं छोड़ते हैं। बंदरों के उत्पात के कारण नौनिहालों को स्कूल भेजने से भी डर लगता है। नौनिहालों को स्वयं स्कूल छोड़ने और स्कूल से घर लाने के लिए जाना पड़ता है । हर पल हमले का डर लगा रहता है।

बंदरों के आतंक से घरों में रहना मुश्किल

कीमण के मनीश गुलेरिया ने कहा कि बंदरों के उत्पात से फसल बिजना तो दूर घर में रहना काफी मुश्किल हो गया है। बंदर डरने की बजाय अब लोगों को डराते हैं। घर के अंदर घुसकर खाने की चीजों को उठाकर ले जाते हैं। डर के मारे लोग बच्चों को अकेले स्कूल भेजने से कतराने लगे  हैं।  किसान चाहकर भी अब खेती नहीं कर पा रहे हैं। सारा राशन खरीद कर लाना पड़ रहा है।

प्रदेश सरकार को उठाने चाहिए ठोस कदम

समकेहड़ के राजिंद्र कौंडल ने कहा कि बंदरों के उत्पात से आहत होकर फसलें बिजना छोड़ दी हैं और अब तो मात्र खाने के गुजारा ही फसल होती है। बंदरों के उत्पात से निजात दिलाने के लिए सरकार को कदम उठाना चाहिए। पूरे साल का राशन खिलाने वाले खेत आज बंजर होने के कगार पर है।  चारों तरफ हरे-भरे दिखने वाले खेत आज बंजर होने की कगार पर पहुंच गए हैं।

विवाह प्रस्ताव की तलाश कर रहे हैं ? भारत मैट्रीमोनी में निःशुल्क रजिस्टर करें !


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App