अजूबे से कम नहीं हैं हम्पी के स्मारक

By: Sep 9th, 2017 12:05 am

तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित यह नगर अब हम्पी (पम्पा से निकला हुआ) नाम से जाना जाता है और अब केवल खंडहरों के रूप में ही अवशेष है। इन्हें देखने से प्रतीत होता है कि किसी समय में यहां एक समृद्धशाली सभ्यता निवास करती होगी। भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित यह नगर यूनेस्को द्वारा विश्व के विरासत स्थलों की सूची में शामिल किया गया है। हर साल यहां हजारों की संख्या में सैलानी और तीर्थ यात्री आते हैं। हम्पी का विशाल फैलाव गोल चट्टानों के टीलों में विस्तृत है। घाटियों और टीलों के बीच पांच सौ से भी अधिक स्मारक चिन्ह हैं। इनमें मंदिर और असंख्य इमारतें हैं…

हम्पी मध्यकालीन हिंदू राज्य विजयनगर साम्राज्य की राजधानी थी। तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित यह नगर अब हम्पी (पम्पा से नकला हुआ) नाम से जाना जाता है और अब केवल खंडहरों के रूप में ही अवशेष है। इन्हें देखने से प्रतीत होता है कि किसी समय में यहां एक समृद्धशाली सभ्यता निवास करती होगी। भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित यह नगर यूनेस्को द्वारा विश्व के विरासत स्थलों की सूची में शामिल किया गया है। हर साल यहां हजारों की संख्या में सैलानी और तीर्थ यात्री आते हैं। हम्पी का विशाल फैलाव गोल चट्टानों के टीलों में विस्तृत है। घाटियों और टीलों के बीच पांच सौ से भी अधिक स्मारक चिह्न हैं। इनमें मंदिर, महल, तहखाने, जल-खंडहर, पुराने बाजार, शाही मंडप, गढ़, चबूतरे, राजकोष…. आदि असंख्य इमारतें हैं। हम्पी में विठाला मंदिर परिसर निस्संदेह सबसे शानदार स्मारकों में से एक है। इसके मुख्य हाल में लगे 56 स्तंभों को थपथपाने पर उनमें से संगीत लहरियां निकलती हैं। हाल के पूर्वी हिस्से में प्रसिद्ध शिला-रथ है जो वास्तव में पत्थर के पहियों से चलता था। हम्पी में ऐसे अनेक आश्चर्य हैं। जैसे यहां के राजाओं को अनाज, सोने और रुपयों से तौला जाता था और उसे गरीब लोगों में बांट दिया जाता था। रानियों के लिए बने स्नानागार मेहराबदार गलियारों, झरोखेदार छज्जों और कमल के आकार के फव्वारों से सुसज्जित होते थे। इसके अलावा कमल महल और जनानखाना भी ऐसे आश्चर्यों में शामिल हैं। एक सुंदर दो-मंजिला स्थान भी उल्लेखनीय है जिसके रास्ते ज्यामितीय ढंग से बने हैं और धूप तथा हवा लेने के लिए किसी फूल की पत्तियों की तरह बने हैं। यहां हाथी-खाने के प्रवेश-द्वार और गुंबद मेहराबदार बने हुए हैं और शहर के शाही प्रवेश-द्वार पर हजारा राम मंदिर बना है। विजयनगर साम्राज्य (1336-1646) मध्यकालीन दक्षिण भारत का एक साम्राज्य था। इसके राजाओं ने 310 वर्ष तक राज किया। इसका वास्तविक नाम कर्णाटक साम्राज्य था। इसकी स्थापना हरिहर प्रथम और बुक्का राय प्रथम नामक दो भाइयों ने की थी। पुर्तगाली इसे बिसनागा राज्य के नाम से जानते थे। इस राज्य की 1565 में भारी पराजय हुई और राजधानी विजयनगर को जला दिया गया। उसके पश्चात क्षीण रूप में यह और 80 वर्ष चला। राजधानी विजयनगर के अवशेष आधुनिक कर्नाटक राज्य में हम्पी शहर के निकट पाए गए हैं। पुरातात्त्विक खोज से इस साम्राज्य की शक्ति तथा धन-संपदा का पता चलता है। दक्षिण भारत के नरेश मुगल सल्तनत के प्रवाह के सम्मुख नहीं झुके। मुगल उस भूभाग में अधिक काल तक अपनी विजय-पताका फहराने में असमर्थ रहे। द्वारसमुद्र के शासक वीर वल्लाल तृतीय ने दिल्ली सुल्तान द्वारा नियुक्त कंपिलि के शासक मलिक मुहम्मद के विरुद्ध लड़ाई छेड़ दी। ऐसी परिस्थिति में दिल्ली के सुल्तान ने मलिक मुहम्मद की सहायता के लिए दो (हिंदू) कर्मचारियों को नियुक्त किया जिनके नाम हरिहर तथा बुक्क थे। इन्हीं दोनों भाइयों ने स्वतंत्र विजयनगर राज्य की स्थापना की। सन् 1336 ई. में हरिहर ने ाज्याभिषेक संपन्न किया और तुंगभद्रा नदी के किनारे विजयनगर नामक नगर का निर्माण किया।


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