गायिका न होती तो कुक होतीं आशा…

By: Sep 3rd, 2017 12:14 am

जीवनसाथी : स्व. राहुल देव बर्मन

भाई-बहनः लता मंगेशकर, उषा मंगेशकर, हृदयनाथ मंगेशकर, मीना मंगेशकर

newsआशा भोंसले का जन्म का 8 सितंबर, 1933 को महाराष्ट्र के ‘सांगली’ में हुआ। इनके पिता दीनानाथ मंगेशकर प्रसिद्ध गायक एवं नायक थे। जिन्होंने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा काफी छोटी उम्र में ही आशा जी को दी। आशा जी जब केवल 9 वर्ष की थीं, इनके पिता की मृत्यु हो गई। पिता के मरणोपरांत, इनका परिवार पुणे से कोल्हापुर और उसके बाद बंबई(अब मुंबई) आ गया। परिवार की सहायता के लिए आशा और इनकी बड़ी बहन लता मंगेशकर ने गाना और फिल्मों में अभिनय शुरू कर दिया। 1943 में इन्होंने अपना पहला गीत मराठी फिल्म में गाया। 1948 में हिंदी फिल्म ‘चुनरिया’का गीत ‘सावन आया’ 16 वर्ष की उम्र में गाया। अपने 31 वर्षीय प्रेमी गणपत राव भोंसले  के साथ घर से पलायन कर पारिवारिक इच्छा के विरुद्ध विवाह किया। गणपत राव लता जी के निजी सचिव थे। यह विवाह असफल रहा। एक बार जब ‘द टाइम्स ऑफ  इंडिया’ के एक साक्षात्कार में पूछा गया कि यदि आप गायिका न होतीं तो क्या करतीं। आशा जी ने जवाब दिया कि मैं एक अच्छी रसोइया कुक बनती। आशा जी एक सफल रेस्तरां संचालिका हैं। इनके रेस्तरां दुबई और कुवैत में आशा नाम से प्रसिद्ध हैं। वाफी ग्रुप द्वारा संचालित रेस्तरां में आशा जी की 20 प्रतिशत भागीदारी है। वाफी सिटी दुबई और दो रेस्तरां कुवैत में पारंपरिक उत्तर भारतीय व्यंजन के लिए प्रसिद्ध हैं। एक समय जब प्रसिद्ध गायिका गीता दत्त, शमशाद बेगम और लता मंगेशकर का जमाना था। चारों ओर इन्हीं का प्रभुत्व था। आशा जी गाना चाहती थीं पर इन्हें गाने का मौका तक नहीं दिया जाता था। आशा जी सिर्फ  दूसरे दर्जे की फिल्मों के लिए ही गा पाती थीं। 1950 के दशक में बालीवुड की अन्य गायिकाओं की तुलना में आशा जी ने कम बजट की  फिल्मों के लिए बहुत से गीत गाए। इनके गीतों के संगीतकार एआर कुरैशी, अल्ला रख्खा खान, सज्जाद हुसैन और गुलाम मोहम्मद थे, जो काफी असफल रहे। 1952 ई, में दिलीप कुमार अभिनीत फिल्म संगदिल जिसके संगीतकार सज्जाद हुसैन थे, ने प्रसिद्धि दिलाई। परिणाम स्वरूप विमल राय ने एक मौका आशा जी को अपनी फिल्म ‘परिणीता’ 1953, के लिए दिया। राज कपूर ने गीत ‘नन्हे मुन्ने बच्चे’ के लिए मोहम्मद रफी के साथ फिल्म बूट पालिश -1954, के लिए अनुबंधित किया जिसने काफी प्रसिद्धि आशा जी को दिलाई। 1966 ई. में संगीतकार आरडी वर्मन की सफलतम फिल्म ‘तीसरी मंजिल’ में आशा जी ने आरडी वर्मन के साथ काफी प्रसिद्धि बटोरी। 1960 से 1970 के बीच प्रसिद्ध डॉंसर हेलन की आवाज बनी। ऐसा कहा जाता है कि जब भी आशा जी गाती थीं तो हेलन रिकार्डिंग के समय मौजूद रहती थीं ताकि गाने को अच्छी तरह समझ सके और अच्छी तरह नृत्य उस गाने पर कर सके। आशा जी और हेलन के प्रसिद्ध गीतों में ‘पिया तू अब तो आजा’ कारवां ‘ओ हसीना जुल्फों वाली’ तीसरी मंजिल, और ‘ये मेरा दिल’डॉन शामिल हैं। 2005 मे 72 वर्षीय आशा जी ने तमिल फिल्म ‘चंद्रमुखी’और पॉप संगीत लक्की लिप्स सलमान खान अभिनीत के लिए गाया जो चार्ट बस्टर में प्रसिद्ध रहा।


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