दुनिया से गए दिल से नहीं
(सुरेश )
एयर मार्शल अर्जन जैसे योद्धा मरा नहीं करते। इसे मरना नहीं कहते। देश के लिए जीने-मरने वाले लोग दुनिया से चले जाते हैं, दिल से नहीं। एयर मार्शल अर्जन सिंह ने देश के लिए जो किया,उसे भुलाना आसान नहीं। युद्धों के दौरान उनकी भूमिका को याद करें, तो तारीफ के लिए शब्द नहीं मिलेंगे। जब पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम मरे, तो उनको सेल्यूट करने के लिए चले आए थे। खड़े होने की हिम्मत नहीं थी, पर जज्बा कमाल का था। कांपते हाथों से सेल्यूट कर वह कलाम को आखिरी सलाम कर रहे थे। 96 साल की उम्र में भी पूर्व सैनिकों के साथ ‘वन रैंक, वन पेंशन’ के लिए जंतर-मंतर पर डटे रहे। ऐसे लोगों के जाने से दिल दुखता तो है, पर फख्र होता है कि यह सपूत हमारे देश का था। ऐसा सपूत जो खुद मिटकर हमें जीने की अदा सिखा गया।
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