पशु हेल्पलाइन

By: Sep 21st, 2017 12:02 am

नवजात को जरूर पिलाएं पहला दूध

जिस पशु ने प्रसूति के बाद जेर न फेंकी हो, क्या उसके दूध का उपयोग कर सकते हैं?

– शांति प्रकाश, हमीरपुर

मैं पशु हेल्पलाइन में पहले भी लिख चुका हूं कि प्रसूति के बाद डेढ़ या एक घंटे के अंदर पशु का दूध (कीड़) निकालकर बच्चे को पिला देना चाहिए, चाहे पशु ने जेर फेंकी हो या नहीं। अकसर कीड़ निकालने की प्रक्रिया पशु की जेर फेंकने में मदद करती है। अगर प्रसूति के बाद दूध निकालने के बाद भी पशु 10-12 घंटे में जेर नहीं फेंकता है तो आप अपने पशु की जांच पशु चिकित्सक से करवाएं। यह अवश्य करवाएं, क्योंकि लटकी हुई जेर से गर्भाशय में संक्रमण का अत्यधिक खतरा हो जाता है।

जहां तक इस दूध (कीड़) के उपयोग करने की बात है, यह कीड़ केवल पशु के बच्चे के लिए ही होता है व इसका कोई और उपयोग नहीं होता है। यह अत्यधिक पौष्टिक होता है, जो इस ब्यांत में पशु दोबारा नहीं देता है। इस दूध को पीने से बच्चे को बीमारियों से लड़ने की क्षमता मिलती है। प्रसूति के बाद एक घंटे के अंदर बच्चे को डेढ या एक लीटर कीड़ पिलाएं। जो कीड़ बच जाए, उसे न फेंकें व न ही उसे किसी और पशु को पिलाएं। उसे स्टील के बरतन में फ्रिज में रख दें। इसे बरतन समेत लगभग नौ-दस घंटे बाद निकालें व गर्म पानी के टब (500 सेल्सियस तापमान का पानी) में डालें, ताकि कीड़  ( थोड़ा गुनगुना हो जाए। 1-2 लीटर गुनगुने कीड़) को बच्चे को दोबारा पिलाएं। अर्थात प्रसूति के बाद 12 घंटे के अंदर बच्चे को दो-दो लीटर कीड़ अवश्य पिलाएं। इसके बाद अगर कीड़ बचता है तो आप दस गुना पानी में मिलाकर किसी बड़ी बछड़ी या बछड़े को पिला दें।

कीड़ को निकालने से पहले थनों व ऊहल को अच्छी तरह साफ पानी से साफ करें। फिर उसे पोटाश के पानी से साफ करें। कीड़ को साफ बरतन में निकालकर बच्चे को पिलाएं। अगर बच्चे को गंदा कीड़ पिलाया जाएगा (अगर बरतन गंदा हो तो) तो बच्चे को दस्त लग सकते हैं, जिससे बच्चे का निर्जिकरण हो सकता है, जो बच्चे के लिए जानलेवा भी हो सकता है। कीड़ पिलाने का महत्त्वः-

इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट व बसा का सही संतुलन होता है।

इसके अलावा इसमें अमिनो एसिड, फैटी एसिड, विटामिन व खनिज तत्त्वों की प्रचूर मात्रा होती है।

इसकी बसा व लैक्टोज बच्चे के शरीर के ताममान को संतुलित रखते हैं। बिना कीड़ पिलाने से बच्चा केवल 18 घंटे तक अपने तापमान को संतुलित रख सकता है, जिसके बाद उसके शरीर का तापमान गिरना शुरू हो जाता है।

प्रचूर मात्रा में विटामिन व खनिज तत्त्व बच्चे की शरीर चयापचय शुरू करने में सहायक होता है।

कीड़ के इम्यूनोग्लोबुलिन बच्चे को तब तक सुरक्षा देते हैं, जब तक उसकी अपनी प्रतिरक्षा विकसित नहीं होती है।

कीड़ में 100 से ज्यादा हार्मोन व वृद्धि घटवर्द्धक होते हैं जो बच्चे के लिए अत्यंत जरूरी होते हैं।

कीड़ की दस्तवार क्रिया बच्चे का पहला मल निकालने में सहायक होता है। अगर यह मल न निकले तो बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है।

इसीलिए अपने पशु के बच्चे को कीड़ अवश्य पिलाएं, क्योंकि इसका कोई विकल्प नहीं है। इसके लिए आप जेर गिरने का इंतजार न करें। कीड़ को पिलाते वक्त इसका समय निर्धारण, मात्रा, गुणवत्ता व सफाई का ध्यान रखें।

डा. मुकुल कायस्थ रूवरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी, उपमंडलीय पशु चिकित्सालय पद्धर(मंडी)

फोनः 94181-61948

नोट : हेल्पलाइन में दिए गए उत्तर मात्र सलाह हैं।

Email: mukul_kaistha@yahoo.co.in


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