प्राचीन मंडी है शैव धर्म की प्रधान स्थली

By: Sep 20th, 2017 12:02 am

गुप्त या गुप्तोत्तर काल में यहां संभवतः अनेक शैव मंदिर बनवाए गए थे, जिनके बारे में न तो हमें कोई अभिलेख मिलते हैं और न ही कोई अवशेष मिलते हैं। संभवतः ‘प्राचीन मंडी’ शैव धर्म की प्रधान स्थली थी। त्रिलोक नाथ का मंदिर और भूतनाथ का मंदिर यहां स्थित प्राचीन मंदिरों में से एक है…

हिमाचल में प्रचलित धर्म

चंबा-भरमौर का यह क्षेत्र प्राचीन पर्वतीय भारत वर्ष का एक प्रधान शैव पीठ मालूम पड़ता है। इस क्षेत्र को आज भी चौरासी कहा जाता है, जिससे यहां स्थित उन चौरासी सिद्ध मंदिरों की ओर संकेत मिलता है, जो परंपरा के अनुसार यहां कभी विद्यमान थे। ये मंदिर उन चौरासी सिद्धों को समर्पित हैं, जो शिव भक्त थे। इसके अवशेष वहां अब भी देखे जा सकते हैं। यह क्षेत्र आज भी धर्म विश्वास की दृष्टि से शैव धर्म का एक प्रधान क्षेत्र मालूम होता है। यहां के निवासी गद्दी आज भी शिव के उपासक हैं। इस इलाके में आज भी प्रत्येक घर में शिव की पूजा की जाती है। प्रत्येक घर में हर वर्ष शिव के नाम पर यज्ञ किया जाता है। इस यज्ञ को गद्दी भाषा में ‘नुआला’ कहा जाता है। इसमें लोग नाच-नाच कर गीत गाते हैं और शिव संबंधी कथाएं कह-सुनकर आनंद मनाते हैं। मंडी शैव धर्म का दूसरा प्रधान क्षेत्र था। इस दृष्टि से इसे क्षेत्र की काशी माना जाता है। शैव धर्म को इस क्षेत्र में राजाओं के साथ-साथ व्यापारियों का भी संरक्षण मिला, क्योंकि यह क्षेत्र प्रमुख व्यापार मार्ग पर स्थित होने के कारण और व्यापार के लिए एक प्रधान केंद्र होने के कारण अनेक धर्मावलंबियों का भी केंद्र बन गया था। यहां संभवतः पंचवक्त का मंदिर सबसे प्राचीन है। इसकी निर्माण शैली को देखकर लगता है कि यह पूर्व मध्यकाल में बनाया गया था। गुप्त या गुप्तोत्तर काल में यहां संभवतः अनेक शैव मंदिर बनवाए गए थे, जिनके बारे में न तो हमें कोई अभिलेख मिलते हैं और न ही कोई अवशेष मिलते हैं। संभवतः ‘प्राचीन मंडी’ शैव धर्म की प्रधान स्थली थी। त्रिलोक नाथ का मंदिर और भूतनाथ का मंदिर यहां स्थित प्राचीन मंदिरों में से एक है। जहां आज भी सैकड़ों शिव भक्तों की भीड़ लगी रहती है। हिमाचल के अन्य मध्यकालीन शैव मंदिरों में नग्गर किले के निचले भाग में बना गौरी शंकर का मंदिर, मणिकरण में बिजली महादेव का मंदिर, मंडी क्षेत्र में स्थित मगरू महादेव का मंदिर, छतरी का महादेव मंदिर, कांगड़ा क्षेत्र का मंदिर जिंदगोल नंदिकेश्वर महादेव तथा त्रिलोकपुर और बाबा देउठ सिद्ध के शिव मंदिर तथा सिनसोल ग्राम में स्थित मुक्तेश्वर का मंदिर, निरमंड का कपालेश्वर शिव मंदिर, हाटकोटी का शिव मंदिर, सुकेत में पांगना का अमरनाथ मंदिर, अमला- विमला का शिव मंदिर आदि विशेष प्रसिद्ध हैं। इन स्थानों पर वर्ष में कई बार अब भी मेले लगते हैं और महादेव शिव की आराधना को हजारों लोग दूर-दूर से आते हैं। परंतु यहां शैव धर्म की लोकप्रियता में धीरे-धीरे कुछ कमी आती गई। इसका स्थान  शक्ति ने ले लिया, जिसकी उपासना प्राचीन काल में भी बराबर की जाती थी। हिमाचल आज भी शैवोपासना का प्रधान क्षेत्र है।   -क्रमशः


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