भारत का इतिहास

By: Sep 20th, 2017 12:02 am

हिंदी बनी स्वतंत्र भारत की राजभाषा

गतांक से आगे-

संविधान-निर्माण की समस्याएं

स्वतंत्र भारत के संविधान निर्माण की कुछ समस्याओं का उल्लेख पहले किया जा चुका है। संविधान निर्माताओं को एक विस्तृत भूखंड और विशाल जनसंख्या के लिए एक नई राजनीतिक- सामाजिक व्यवस्था का निर्णय करना था। देश  में बहुत सी जातियां बसती थीं, विभिन्न धर्मावलंबी रहते थे। अनेक भाषाएं बोली जाती थीं। संविधान को इन सबको एक सूत्र में बांधना था। यह भी आवश्यक था कि संविधान विभिन्न पिछड़े हुए वर्गों तथा जनजातियों के लिए समुचित प्रावधान करे। यह कम संतोष की बात नहीं थी कि स्वतंत्र भारत का जो संविधान बना, उसमें कितने ही दशकों से देश के राजनीतिक-सामाजिक जीवन को विषाक्त करने वाले और अंततः देश का विभाजन कराने वाले सांप्रदायिक निर्वाचन मंडलों को त्याग दिया गया, अनुसूचित जातियों और जनजातियों जैसे आर्थिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े हुए तथा दलित वर्गों को छोड़कर और किसी वर्ग, जाति अथवा संप्रदाय के लिए आरक्षण भी आवश्यक नहीं रहे और जिन्हें पहले ऐसे आरक्षण प्राप्त थे, उन्होंने स्वतः ही अनावश्यक करार दे दिया। एक कठिन समस्या जिसे सुलझाने में संविधान सभा को काफी समय लगा, वह देश के लिए राजभाषा की थी। आखिर में संविधान सभा देश में सबसे अधिक लोगों द्वारा बोली और समझी जाने वाली भाषा, हिंदी को स्वतंत्र भारत की  राजभाषा के रूप में सर्वम्मति द्वारा स्वीकार करने में सफल हुई। साथ ही व्यावहारिकता के आधार पर यह भी जरूरी समझा गया कि संक्रांति काल में अंग्रेजी का प्रयोग जारी रहे। एक और विकट समस्या लगभग 600 देशी रियासतों की थी। देश की भूमि का लगभग एक तिहाई तथा जनसंख्या का एक चौथाई भाग इन रियासतों के अंतर्गत आ जाता था। 1947 के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम के अनुसार सभी देशी रियासतों पर से ब्रिटिश संप्रभुता समाप्त हो गई थी और एक प्रकार से ये सारी रियासतें स्वतंत्र हो गई थीं। इन रियासतों में कुछ तो बहुत ही छोटी थीं और कुछ जैसे कश्मीर, हैदराबाद और मैसूर ब्रिटिश भारत के प्रांतों के समान बड़ी। उन सबकी अपनी-अपनी भिन्न-भिन्न परंपराएं थीं और  उनसे बातचीत करना तथा उनके प्रतिनिधियों को संविधान सभा में ला सकना कोई साधारण बात नहीं थी। किंतु 15 अगस्त, 1947 को जब सत्ता का हस्तातंरण हुआ और भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम लागू हुआ, तब तक कश्मीर और हैदराबाद को छोड़कर सभी रियासतें भारत में शामिल हो चुकी थीं और जब 26 नवंबर, 1949 को संविधान-सभा ने नया संविधान स्वीकार किया तब तक यह संभव हो गया था कि ब्रिटिश भारत के प्रांतों और देशी रियासतों सहित भारत संघ के सभी एककों को राज्य के नाम से संबोधित किया जा सके।        – क्रमशः


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App