भारत का जीवंत चमत्कार

By: Sep 16th, 2017 12:05 am

ओशो

गंगा के साथ हिंदू मन बड़े गहरे में जुड़ा है। गंगा को हम भारत से हटा लें, तो भारत को भारत कहना मुशिकल हो जाए। सब बचा रहे, गंगा हट जाए, भारत को भारत कहना मुशिकल हो जाए। गंगा को हम हटा लें तो हमारे तीर्थ ही खो जाएं। गंगा के साथ भारत के प्राण बड़े पुराने दिनों से कमिटेड हैं। बड़े गहरे से जुड़े हैं। गंगा जैसे हमारी आत्मा का प्रतीक हो गई है। मुल्क की भी अगर कोई आत्मा होती हो और उसके प्रतीक होते हों, तो गंगा ही हमारा प्रतीक है। पर क्या कारण होगा गंगा के इस गहरे प्रतीक बन जाने का कि हजारों-हजारों वर्ष पहले कृष्ण भी कहते हैं कि नदियों में मैं गंगा हूं। गंगा कोई नदियों में विशेष विशाल उस अर्थ में नहीं है। गंगा से बड़ी नदियां हैं। पर गंगा के पास कुछ और है, जो पृथ्वी पर किसी भी नदी के पास नहीं है और उस कुछ के कारण भारतीय मन ने गंगा के साथ तालमेल बना लिया है। एक तो बहुत मजे की बात है। कि पूरी पृथ्वी पर गंगा सबसे ज्यादा जीवंत नदी है, अलाइव। सारी नदियों का पानी आप बोतल में भर कर रख दें, सभी नदियों का पानी सड़ जाएगा। गंगा का पानी नहीं सड़ेगा। बंद बोतल में भी वह अपनी पवित्रता, अपनी स्वच्छता कायम रखता है। ऐसा किसी नदी का पानी पूरी पृथ्वी पर नहीं है। गंगा में इतनी लाशें हम फेंकते हैं। गंगा में हमने हजारों-हजारों वर्षों से लाशें बहाई हैं। अकेले गंगा के पानी में, सब कुछ लीन हो जाता है, हड्डी भी। दुनिया की किसी नदी में वैसी क्षमता नहीं है। हड्डी भी पिघलकर लीन हो जाती है और बह जाती है और गंगा को अपवित्र नहीं कर पाती। गंगा सभी को आत्मसात कर लेती है। कोई भी दूसरे पानी में लाश को हम डालेंगे, पानी सड़ेगा। पानी कमजोर और लाश मजबूत पड़ती है। गंगा में लाश को हम डालते है, तो मिल जाती है अपने तत्त्वों में। गंगा अछूती बहती रहती है। उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। गंगा के पानी की बड़ी केमिकल परीक्षाएं हुई हैं और अब तो यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो गया है कि उसका पानी असाधारण है। यह क्यों है असाधारण, यह भी थोड़ी हैरानी की बात है क्योंकि जहां से गंगा निकलती है वहां से बहुत नदियां नकलती हैं। गंगा जिन पहाड़ों से गुजरती है वहां से कई नदियां गुजरती है। तो गंगा में जो खनिज और जो तत्त्व मिलते हैं वे और नदियों में भी मिलते हैं। फिर गंगा में कोई गंगा का ही पानी तो नहीं होता, गंगोत्री से तो बहुत छोटी सी धारा निकलती है। फिर और तो सब दूसरी नदियों का पानी ही गंगा में आता है। विराट धारा तो दूसरी नदियों के पानी की ही होती है, लेकिन यह बड़े मजे की बात है कि जो नदी गंगा में नहीं मिली, उस वक्त उसके पानी का गुण-धर्म और होता है और गंगा में मिल जाने के बाद उसी पानी का गुण-धर्म और हो जाता है। क्या होगा कारण? केमिकली तो कुछ पता नहीं चल पाता। वैज्ञानिक रूप से इतना तो पता चलता है कि विशेषता है और उसके पानी में खनिज और केमिकल्स का भेद है। विज्ञान इतना कह सकता है, लेकिन एक और भेद है वह भेद विज्ञान के ख्याल में आज नहीं तो कल आना शुरू हो जाएगा और वह भेद है, गंगा के पास लाखों-लाखों लोगों द्वारा जीवन की परम अवस्था को पाना।

 


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