मोक्ष का उज्ज्वल रास्ता है ‘आत्म मंथन’

By: Sep 17th, 2017 12:05 am

पुस्तक समीक्षा

पुस्तक का नाम : आत्म मंथन

लेखक का नाम : डॉ. आरके गुप्ता

मूल्य : 350 रुपए

प्रकाशक : पार्वती प्रकाशन, 73-ए, द्वारिकापुरी, इंदौर, मध्य प्रदेश

बिलासपुर से संबंधित हिमाचल के प्रसिद्ध लेखक डॉ. आरके गुप्ता इस बार आध्यात्मिक विषयों को टटोलते निबंधों का संग्रह ‘आत्म मंथन’ लेकर आए हैं। कुल 176 पृष्ठों पर आधारित इस निबंध संग्रह में आध्यात्मिक मुक्ति का उज्ज्वल रास्ता दिखाने की कोशिश लेखक ने की है। इस पुस्तक में कुल 52 निबंध दिए गए हैं। पुस्तक बताती है कि आज का मानव मात्र मनुष्य बन कर रह गया है, वह सही अर्थों में मानव नहीं बन पाया है। कामचलाऊ शिक्षा अर्जित कर लेना, रोजगार का कोई साधन अर्जित कर लेना तथा शादी करके बच्चों को जन्म देकर उनका पालन-पोषण कर इस दुनिया से रुखसत हो जाना मात्र ही उसका लक्ष्य रह गया है। लेखक इस विकास को बाह विकास की संज्ञा देते हैं तथा अध्यात्म के माध्यम से मनुष्य के आंतरिक विकास की पैरवी करते हैं।

तभी मनुष्य सही अर्थों में मानव बन पाएगा, तभी उसकी आध्यात्मिक मुक्ति होगी। आदमी जन्म से मनुष्य है, जबकि अध्यात्म को अपनाकर वह मानव बन सकता है। मनुष्य अतीत की ओर ही क्यों देखता रह जाता है, जीवन का लक्ष्य क्या होना चाहिए, भगवान कहां है, उसे कैसे पाया जा सकता है, अध्यात्म क्या है, स्वयं की खोज कैसे करें, धर्म का अर्थ क्या है, मौन की नाव में कैसे उतरें, आत्मा क्या है, मोक्ष कैसे प्राप्त करें तथा मन के रूप कितने हैं, इन्हीं विषयों को सुलझाती यह पुस्तक कई गूढ़ रहस्यों की परतें खोलती लगती है। इसके अलावा शांति, सत्य, आत्मज्ञान, मनुष्य, समय, दान, संसार, गुरु, मन, धर्म, योग-योगी, व्यक्तित्व, नैतिकता, अहिंसा, स्वाध्याय, ईश्वर, जीवन, दिव्य मार्ग, चेतन तत्व, ध्यान, अदृश्य सत्ता, नैतिक प्रगति, सत्य तथा कई अन्य धार्मिक व आध्यात्मिक विषयों की चीर-फाड़ इस पुस्तक में की गई है। आध्यात्मिक मुक्ति अथवा मोक्ष की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए यह पुस्तक किसी रामबाण से कम नहीं है।

इसमें सरल हिंदी में कठिन से कठिन अछूते विषयों को चिंतन-क्रम की अटूट धारा में पिरोया गया है। अध्यात्म में रुचि रखने वालों के लिए तो यह किताब गुणकारी है ही, बल्कि भौतिकवादी दुनिया में कहीं खो गए अभागे लोग भी इसे पढ़कर अपने भीतर संस्कार पैदा कर सकते हैं। पुस्तक में स्वभाव की अति सुंदर व्याख्या की गई है। बिच्छू का स्वभाव जहां डंक मारना होता है, वहीं एक मानव का स्वभाव दया, करुणा, क्षमा, प्रेम व भाईचारा होना चाहिए, तभी वह मनुष्य से मानव बन पाएगा। पुस्तक बताती है कि इस तरह का सरल व सच्चा हृदय रखने वाला व्यक्ति ईश्वर के ज्यादा करीब होता है तथा उस पर अनुकंपा बरसने लगती है। इसी से उसे मोक्ष मिलना सहज और सरल हो जाता है। आत्मज्ञान होने पर ही जीवन में मोह कम होने लगता है। भौतिक पदार्थों की उपलब्धि जीवन की आवश्यकता तो है, किंतु वह जीवन का लक्ष्य बिल्कुल नहीं होना चाहिए। याद रखना चाहिए कि धन, परिवार व धर्म-कर्म हमारे पहले, दूसरे व तीसरे मित्र होते हैं, किंतु साथ केवल तीसरा मित्र ही जाता है। यहां हमने पुस्तक में दिए गए कुछ बहुमूल्य सूत्रों-मंत्रों का उल्लेख किया है। पुस्तक में कई अन्य बहुमूल्य व रोचक बातें भी हैं। मानव बनने की चाह रखने वाले हर मनुष्य को इसका विस्तृत अध्ययन करना चाहिए।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App