हिमाचली पुरुषार्थ : मशरूम में मिसाल पेश करते यूसुफ खान

By: Sep 27th, 2017 12:07 am

मशरूम उत्पादन व सेल्ज मैनेजमेंट के अभिप्रेरक खान मशरूम फार्म के मालिक यूसुफ खान एक प्रगतिशील किसान हैं। मशरूम पैदावार में विशेषज्ञता हासिल करने के अलावा बिना मिट्टी हवा में ऐरोपोनिक कप में टमाटर, पानी में खीरा, पोलीहाउस में स्ट्राबेरी, ब्रॉकली, लाल-पीली शिमला मिर्च उत्पादन में उनकी महारत है…

मशरूम में मिसाल पेश करते यूसुफ खानजिला ऊना के नंगल संलागड़ी गांव का ‘खान मशरूम फार्म एंड ट्रेनिंग सेंटर’ मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश भर के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर उभरा है। जिला ऊना में मशरूम उत्पादन को एक आय सृजनात्मक स्व-रोजगार के रूप में अपनाने तथा इसके लिए खाद तैयार करने, मशरूम उत्पादन व सेल्ज मैनेजमेंट के अभिप्रेरक खान मशरूम फार्म के मालिक यूसुफ खान एक प्रगतिशील किसान हैं। मशरूम पैदावार में विशेषज्ञता हासिल करने के अलावा बिना मिट्टी हवा में ऐरोपोनिक कप में टमाटर,पानी में खीरा ,पोलीहाउस में स्ट्राबेरी, ब्रॉकली, लाल-पीली शिमला मिर्च उत्पादन करने जैसे सफल प्रयोग करके यूसुफ खान अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके है। यूसुफ खान एक साल में 70 से 80 लाख रुपए की टर्न ओवर मशरूम फार्म से कर रहे हैं। इससे वह न केवल अपने परिवार के लिए आय अर्जित कर रहे है,वहीं एक दर्जन वर्कर्ज को पूरा वर्ष अपने फार्म पर प्रत्यक्ष रोजगार दिया है, जबकि अप्रत्यक्ष रूप से भी दर्जनों लोगों को रोजगार प्रदान कर रहे हैं। कृषि वैज्ञानिक यूसुफ खां स्वयं तो अपने फार्म पर कृषि विविधता तकनीकों को अपनाते हुए सफल ढंग से खेती कर ही रहे है, वहीं पूरे प्रदेश व साथ लगते पंजाब राज्य के क्षेत्रों में भी रोल मॉडल बनकर किसानों को मशरूम उत्पादन के लिए उचित प्रशिक्षण व मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं। पालमपुर कृषि विवि से बीएससी एग्रीकल्चर व नौणी विवि से एमएससी माईकालोगरी व प्लांट पैथोलॉजी की उपाधि प्राप्त कृषि वैज्ञानिक यूसुफ खान ने सरकारी नौकरी को दरकिनार कर स्वरोजगार को अपनाने पर बल दिया तथा अन्य किसानों के लिए भी वह प्रेरणा स्रोत बने हैं। यूसुफ खान ने उस धारणा को भी खत्म कर दिया कि ऊना की आवोहवा मशरूम उत्पादन के लिए उपयुक्त नही है। मौजूदा समय में ऊना के अलावा हमीरपुर, बिलासपुर, मंडी, कांगड़ा व कुल्लू के साथ-साथ पंजाब के रोपड़, नंगल व होशियारपुर इत्यादि क्षेत्रों में भी मशरूम कंपोस्ट की डिमांड को यह फार्म पूरा कर रहा है। वहीं, यहां से उत्पन्न मशरूम कुल्लू, मनाली, धर्मशाला, ऊना व अन्य जगहों पर बिक रहा है। यूसुफ खान ने बताया कि वर्ष 2000 में उसने इस फार्म की स्थापना की थी। 27 कनाल भूमि में फैले फार्म में उनके पास अपनी स्पोन लैब है, जिसमें वह ढिंगरी, बटन व मिल्की मशरूम के बीज का उत्पादन करते है। वहीं उनके पास एक माह में 20 हजार बैग कंपोस्टिंग उत्पादन की क्षमता है। फार्म हाउस में तीन कंपोस्टिंग टनल हैं, जिनमें दो की क्षमता 2-2 हजार बैग तथा एक की क्षमता 6 हजार बैग उत्पादन की है। यूसुफ खान ने बताया कि वह स्वयं बड़े पैमाने पर बटन मशरूम की पैदावार करते है। उनके पास इसके लिए एसी यूनिट्स है, जिसमें 4 हजार बैग्ज की क्षमता है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा वह किसानों को मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग भी देते हैं। पालमपुर कृषि विवि, नौणी विवि के विद्यार्थियों को आन-फार्म ट्रेनिंग के अलावा कृषि विभाग व सरकार के प्रायोजित कार्यक्रमों के तहत भी उनके पास किसान प्रशिक्षण के लिए आते हैं,जबकि प्राइवेट तौर पर भी हिमाचल व पंजाब से किसानों को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दे रहे हैं। अभी तक एक हजार से अधिक किसानों को मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में वह प्रशिक्षित कर चुके हैं। बहरीन देश में भी वह किसानों को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दे चुके हैं। यूसुफ खान ने बताया कि मशरूम उत्पादन के अलावा उन्होंने फार्म में एक हजार स्क्वायर फीट का पोलीहाउस भी तैयार किया है, जबकि एक हजार स्क्वायर फीट का एक और पोलीहाउस तैयार कर रहे हैं। इसमें खीरा व टमाटर की खेती के अलावा फिलर क्रॉप के रूप में धनिया व पालक की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। यूसुफ खान ने बताया कि पोलीहाउस में टमाटर व सीडलैस खीरे की नर्सरी भी उगाई है, वहीं अब शिमला मिर्च की नर्सरी तैयार करने पर काम कर रहे हैं। यूसुफ खां को उनकी उपलब्धियों के लिए ‘दिव्य हिमाचल’ ने प्रगतिशील कृषक पुरस्कार, 2006 में जिला स्तरीय प्रदर्शनी में प्रथम पुरस्कार, 2010 में पालमपुर विवि द्वारा कृषि उद्यमी पुरस्कार, आल इंडिया मशरूम ग्रोअर एसोसिएशन द्वारा उत्कृष्टम मशरूम उत्पादक तथा हिमोत्कर्ष परिषद द्वारा हिमोत्कर्ष हिमाचल श्री कृषि वैज्ञानिक पुरस्कार- 2015 से भी नवाजा जा चुका है। यूसुफ खान कृषि में विविधता लाकर मशरूम खेती का सफल प्रयोग कर क्षेत्र के किसानों के लिए मिसाल बनकर उभरे हैं।

-जितेंद्र कंवर, ऊना

मशरूम में मिसाल पेश करते यूसुफ खानजब रू-ब-रू हुए…

कृषि में मेहनत से युवा अपनी आर्थिकी सुदृढ़ कर सकता है…

मिट्टी से रोजगार की दिशा कैसे तय की और कितना कठिन रहा यह मार्ग?

मेरी एग्रीकल्चर की शैक्षणिक योग्यता होने के चलते मैंने इसे रोजगार के रूप में अपनाने का संकल्प लिया था। शुरुआत में संघर्ष करना पड़ा, लेकिन बाद में मेहनत रंग लाई और सफलता की सीढि़या चढ़ता गया।

एक वैज्ञानिक होने के नाते आप इस तरह के व्यवसाय में युवाओं को क्या संदेश देंगे?

वर्तमान में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है, लेकिन युवा वर्ग कृषि को व्यवसाय के तौर पर अपनाएं तो अपनी आर्थिकी सुदृढ़ कर सकते हैं। आजकल अधिकतर युवा कृषि के बजाय बाहरी राज्यों में नौकरी करना पसंद कर रहे हैं। युवाओं को कृषि व्यवसाय अपनाना चाहिए।

मशरूम ही क्यों और इसका अगला लक्ष्य क्या है?

कृषि में डाइवरिफकेशन आवश्यक है। इसलिए मशरूम के साथ-साथ पोलीहाउस में सब्जियां उगाना अगला लक्ष्य है। पानी में सब्जियों की खेती यानी फ्लाईड्रापिक्स और लोगों में इसकी जागरूकता पैदा करना लक्ष्य है।

हिमाचल में नकदी फसलों की दिशा में पालमपुर-सोलन विश्वविद्यालय की अध्ययन व शोध परिपाटी से कितना संतुष्ट हैं। कोई सुझाव देना हो?

पालमपुर और सोलन विश्वविद्यालय का प्रदेश में वैज्ञानिक दृष्टि से खेती को बढ़ावा देने में अहम रोल है। दोनो संस्थान प्रशंसनीय कार्य कर रहे हैं। बहरीन सरकार द्वारा मशरूम उत्पादन के लिए सम्मानित किया गया। इसके अलावा कई अन्य पुरस्कार भी मिल चुके हैं।

जीवन में टर्निंग प्वाइंट कब आया। कोई अन्य अनुभव जब यूसुफ  खान को लगा कि उनका परिश्रम सार्थक हो रहा है?

पहले मैं निजी सेक्टर में कार्य करता था, लेकिन जब मैंने अपना काम शुरू किया तो इस दौरान कई झटके भी लगे। वहीं, मशरूम उत्पादन शुरू करना मेरे जीवन टर्निंग प्वाइंट था, जिससे मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा भी मिली।

खेत से हटकर जीवन में क्या बो पाते हैं?

कृषि को बढ़ावा देना ही मेरी प्राथमिकता है। पुरानी प्रणाली पर विश्वास नहीं रखता हूं। किसानों को भी साइंटिफिक काम करना चाहिए, ताकि किसानों को भी लाभ मिल सके।

जब आनंदित राहत महसूस करते हैं या जब परेशानी होती है?

जीवन में कई प्रकार के उतार-चढ़ाव देख चुका हूं। मेहनत को फलीभूत होते देख राहत महसूस करता हूं। किसान को व्यथित हाल में देखकर परेशानी होती है।

कोई आदर्श, ख्वाब या इच्छा?

कृषि विश्वविद्याद्यल में कोर्स के दौरान ही वह मोटिवेट हुए। भविष्य में भी मशरूम उत्पादन के साथ ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने की इच्छा है। इससे जुड़कर लोग अपनी आर्थिकी बेहतर बना सकते हैं। अधिक से अधिक लोग मशरूम उत्पादन को व्यवसाय के तौर पर भी अपनाएं।

युवाओं को माटी से जोड़ने का संदेश?

कृषि प्रधान देश में युवाओं को कृषि को भी प्राथमिकता देनी चाहिए।  हालांकि वर्तमान में युवाओं की रुचि कृषि में कम होती जा रही है। जिसके चलते कृषि को संजोए रखना अति आवश्यक हो चुका है। कृषि में मेहनत कर युवा वर्ग बेहतर रोजगार के साथ ही अपनी आर्थिकी भी सुदृढ़ कर सकता है।

 


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