अनमोल वचन

By: Oct 21st, 2017 12:05 am

पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम्

मूढै़ पाषाणखंडेषु रत्नसंज्ञा प्रदीयते

(पृथ्वी पर तीन ही रत्न हैं-जल, अन्न और अच्छे वचन। फिर भी मूर्ख पत्थर के टुकड़ों को रत्न कहते हैं।)

सर्वं परवशं दुखं सर्वम् आत्मवशं सुखम्

एतद् विद्यात् समासेन लक्षणं सुख दुखयो

(जो चीजें अपने अधिकार में नहीं हैं, वे सब दुख हैं तथा जो चीज अपने अधिकार में है, वह सब सुख है।)

आयुष क्षण एकोपि सर्वरत्नैर्नलंयते

नीयते तद् वर्थिंयेन प्रामाद सुमहानहो

(सब रत्न देने पर भी जीवन का एक क्षण भी वापस नहीं मिलता। ऐसे जीवन के क्षण जो निरर्थक ही खर्च कर रहे हैं, वे कितनी बड़ी गलती कर रहे हैं)


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App