अलगाववादियों से लगाव
(मनीषा चंदराणा (ई-मेल के मार्फत) )
‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना के सरकारी पोस्टर पर कश्मीर की एक जेल में रह रही अलगाववादी महिला नेता का छायाचित्र प्रकाशित किया जा रहा है। इस पोस्टर में आसिया के अलावा जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, नोबेल पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा और किरण बेदी की तस्वीर भी लगी है। इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही माना जाएगा। आखिर एक अपराधी की फोटो को किसी जनकल्याण के कार्यक्रम से जुड़े विज्ञापन में क्यों दिखाया गया? बताने की जरूरत नहीं कि ये वही लोग हैं, जो घाटी में हिंसा भड़काने, वहां के आम जनमानस के दिलो दिमाग में नफरत घोलने का राष्ट्रविरोधी कार्य करते रहे हैं। अलगाववादी नेताओं के साथ सख्ती से पेश आने के बजाय वहां की राज्य सरकार उनके साथ नरमाई से पेश आ रही है। जिनकी मूल सोच ही राष्ट्र के विरुद्ध है, उन्हें किसी योजना में स्थान देना देश के किसी भी नागरिक को पसंद नहीं आएगा। अलगाववादी नेता हमेशा पाकिस्तान के हित के बारे में विचार कर उस दिशा में कार्य भी करते रहे हैं। ऐसे लोग सरकारी पोस्टर पर होना चिंता की बात है। भाजपा जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ सत्ता में है, लेकिन वह सत्ता में रह कर भी न रहने के समान है।
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