आस्था की आड़ में

By: Oct 23rd, 2017 12:05 am

(विजय सिंह मनकोटिया, नूरपुर)

भारतवर्ष में अनेक धर्मों के लोग निवास करते हैं और सभी लोग अपने धर्मानुसार पूजा-अर्चना करने में विश्वास रखते हैं। इस आस्था की उतनी ही सीमा होनी चाहिए, जिससे बाद में उन्हें पछताना न पड़े। हाल ही में कई ऐसे प्रकरण प्रकाश में आए हैं, जिनमें लोगों की ऐसी अंधी आस्थाओं की आड़ में जमकर ठगबाजी की। हालांकि कई ऐसे बाबाओं का पर्दाफाश भी हुआ है, जो आस्थाओं का सहारा लेकर अपने गोरखधंधे को बढ़ावा दे रहे थे। इसमें भी संदेह नहीं कि आज भी ऐसे कई बाबा सक्रिय होंगे। यह कैसी विडंबना है कि आधुनिक और वैज्ञानिक युग में हम अपनी बीमारी के इलाज से लेकर हर समस्या के समाधान हेतु बाबाओं के पास दौड़ते हैं। अंधविश्वास में फंसे ये लोग झाड़-फूंक तक का सहारा लेते हैं। अब तो यह स्थिति बदलनी चाहिए।

 


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