क्यों की जाती है आंवले की पूजा
आज अक्षय नवमी है। इस दिन को शास्त्रों में धातृ यानी और आंवला नवमी भी किया जाता है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने का विधान बताया गया है। मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु एवं शिव जी का निवास होता है। इसलिए अक्षय नवमी के दिन प्रातः उठकर धातृ के वृक्ष के नीचे साफ.-सफाई करनी चाहिए। आंवले के वृक्ष की पूजा दूध, फूल एवं धूप से करनी चाहिए। यह पर्व हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। अक्षय नवमी के दिन किया गया पुण्य कभी समाप्त नहीं होता है। इस दिन जो भी शुभ कार्य-जैसे दान, पूजा, भक्ति, सेवा आदि किया जाता है, उसका पुण्य कई-कई जन्म तक प्राप्त होता है। इसी प्रकार इस दिन कोई भी शास्त्र विरुद्घ काम किया जाए तो उसका दंड भी कई जन्मों तक भुगतना पड़ता है। इसलिए अक्षय नवमी के दिन ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे किसी को कष्ट पहुंचे। इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर ब्राह्मणों को खिलाना चाहिए, इसके बाद स्वयं भोजन करना चाहिए। भोजन के समय पूर्व दिशा की ओर मुंह रखें। शास्त्रों में बताया गया है कि भोजन के समय थाली में आंवले का पत्ता गिरे तो यह बहुत ही शुभ होता है। थाली में आंवले का पत्ता गिरने से यह माना जाता है कि आने वाले साल में व्यक्ति की सेहत अच्छी रहेगी।
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