घर के साथ आस-पड़ोस भी रखें साफ

By: Oct 2nd, 2017 12:02 am

अनुज कुमार आचार्य

लेखक, बैजनाथ से हैं

आज महात्मा गांधी जी की जयंती है और साफ-सफाई के सरोकार काफी हद तक राष्ट्रपिता से जुड़ते हैं। ऐसे में दो अक्तूबर का दिन हमें साफ-सफाई के संस्कारों को अंगीकार करने का एक महत्त्वपूर्ण अवसर प्रदान कर रहा है। लिहाजा हर भारतीय आज घर के साथ अपने आस-पड़ोस की सफाई का भी संकल्प ले…

भारत सदियों से कई सामाजिक कुरीतियों का शिकार रहा है। समय-समय पर महापुरुषों ने इन बुराइयों के समूल नाश हेतु न केवल कदम उठाए, अपितु कलम भी चलाई। वर्तमान में एक ऐसी ही बुराई हमारे परिवेश को न केवल प्रदूषित कर रही है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रही है। यह सामाजिक बुराई है सफाई एवं स्वच्छता की। कोई भी राष्ट्र बिना सामाजिक परिवर्तन के आगे नहीं बढ़ सकता। जिस प्रकार हमारे मन की शुद्धि प्रार्थना से होती है, उसी प्रकार हमारे आसपास के परिवेश की स्वच्छता के लिए भी प्रयास जरूरी हैं। कहते हैं कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन निवास करता है। इससे मन में उमंग रहती है और जब जोश एवं जज्बा बुलंद होता है, तो हर कार्य को करने में आनंद आता है। दूसरी तरफ जब हम अपने घर, परिवेश, सार्वजनिक स्थलों और आवागमन की परिस्थितियों पर नजर डालते हैं, तो सर्वत्र गंदगी का आलम देखकर अरुचि पैदा होती है। इसमें कोई दो राय नहीं कि भारतीय समाज में, खासकर सार्वजनिक स्थलों पर शौचालयों की हालत बेहद दयनीय है और चप्पे-चप्पे पर बिखरे गंदगी के ढेर मुंह चिढ़ाते नजर आते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्वच्छता को लेकर बदतर होती स्थिति से निपटने के लिए 15 अगस्त, 2014 को लालकिले की प्राचीर से अक्तूबर, 2019 तक स्वच्छ भारत-निर्मल भारत के निर्माण का आह्वान किया था। स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत दो अक्तूबर, 2014 को हुई थी और मोदी का यह आह्वान महात्मा गांधी जयंती के 150 वर्ष पूरे होने से जुड़ा हुआ है। वस्तुतः राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के जीवन में स्वच्छता का बेहद महत्त्व था। वह मानते थे कि स्वच्छता या सफाई व्यक्ति को आत्मविश्वास और अनुशासन से परिपूर्ण बनाती है तथा इससे एक स्पष्ट नजरिए वाले इनसान का निर्माण होता है।

यद्यपि व्यक्तिगत रूप से हमने अपनी स्वच्छता, रहन-सहन को स्वच्छ बनाने के प्रयत्न किए हैं, लेकिन अपने आस-पड़ोस, परिवेश, गलियों-सड़कों की साफ-सफाई को लेकर हम आज भी लापरवाह एवं अनजान बने हुए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के शहरी इलाकों में रहने वाले कम से कम 15.7 करोड़ लोग पर्याप्त साफ-सफाई के साथ नहीं रहते हैं। यही वजह है कि स्वच्छ भारत शहरी मिशन के अंतर्गत 1.04 करोड़ परिवारों को लक्षित करते हुए 2.5 लाख सामुदायिक शौचालयों का निर्माण करना, प्रत्येक शहर में एक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र की सुविधा प्रदान करना शामिल है। पांच सालों के भीतर इस योजना के तहत 4401 शहरों में केंद्र सरकार द्वारा कुल 14 हजार, 623 करोड़ रुपए व्यय किए जाएंगे। भारत में स्वच्छता परिदृश्य अभी भी निराशाजनक बना हुआ है, पेसिफिक इंस्टीच्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार 1970 केवल 19 प्रतिशत घरों में साफ-सफाई थी। 2012 में भारत में करीब 62.6 करोड़ लोग अर्थात लगभग आधी आबादी खुले में शौच करने के लिए अभिशप्त थी। यह बेहद दुखद सत्य है कि अधिकतर भारतीयों के पास मोबाइल फोन या बाइक तो हैं, लेकिन घरों में शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। दो अक्तूबर, 2014 से शुरू हुए स्वच्छ भारत मिशन के तहत अभी तक देश के पांच राज्य, दो लाख से ज्यादा गांव और कुल 147 जिले खुले में शौच मुक्त घोषित किए जा चुके हैं। अब राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छता का दायरा 42 से बढ़कर 64 फीसदी हो गया है। हिमाचल प्रदेश के लिए यह खुशी की बात है कि साक्षरता दर में केरल को शानदार टक्कर देने के बाद स्वच्छता में मामले में भी हिमाचल उससे एक कदम आगे निकल गया है।

गत वर्ष 28 अक्तूबर, 2016 को हिमाचल प्रदेश को तथा इसके सभी जिलों की पंचायतों को खुला शौच मुक्त घोषित किया जा चुका है। इतना ही नहीं, केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय द्वारा स्वच्छता पर करवाए गए एक सर्वेक्षण के बाद प्रदेश के जिला मंडी को देश में पहला स्थान प्राप्त हुआ है। स्वच्छता को लेकर लोगों के दिलों में चाहत तो बहुत है, लेकिन अफसोस है कि खुली तथा सार्वजनिक जगहों पर आते-जाते गंदगी फैलाने का काम भी आम जनता द्वारा ही सर्वाधिक किया जाता है। कुछेक लोग जरूर स्वच्छता संबंधी सरोकारों को लेकर जागरूकता दिखा रहे हैं, वहीं अधिकांश लोगों की भागीदारी लगभग शून्य है। यदि लोग अपने घरों के 10-20 मीटर के दायरे को भी स्वच्छ बनाने का प्रण ले लें, तो 130 करोड़ आबादी वाले भारत से गंदगी को मिटाने में देरी नहीं लगेगी। बात चाहे हिमाचल प्रदेश की हो या संपूर्ण भारत की, स्वच्छता संबंधी अभियान तभी कामयाब हो सकते हैं, जब आम भारतीय नागरिक इन अभियानों में सक्रिय भागीदारी निभाएं। जगह-जगह फैली गंदगी भारतीय विकास के चेहरे पर एक बदनुमा दाग है। इससे अब छुटकारा मिलना जरूरी है। कस्बों-शहरों के लिए ठेके अथवा स्थायी आधार पर साफ-सफाई कर्मचारियों के कार्यबल का गठन होना चाहिए। सार्वजनिक जगहों, रास्तों पर कूड़ा-कर्कट फेंकने वालों पर तत्काल जुर्माना लगाने तथा दंडित किए जाने वाले सख्त कानूनों का प्रावधान आज समय की मांग है। सबसे बढ़कर आम लोग स्वयंमेव स्वच्छता को बरकरार रखने का संकल्प लें और उस पर खरा उतरकर दिखाएं, तभी स्वच्छ भारत अभियान कामयाब हो पाएगा। आज महात्मा गांधी जी की जयंती है और साफ-सफाई के सरोकार काफी हद तक राष्ट्रपिता से जुड़ते हैं। ऐसे में दो अक्तूबर का दिन हमें साफ-सफाई के संस्कारों को अंगीकार करने का एक महत्त्वपूर्ण अवसर प्रदान कर रहा है। लिहाजा हर भारतीय घर के साथ अपने आस-पड़ोस की सफाई का भी संकल्प ले।


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