नगरोटा में बाजार चुस्त, सियासत सुस्त
नगरोटा बगवां — शायद यह पहला मौका है जब भारत का सबसे बड़ा पर्व दिवाली और लोकतंत्र का पर्व आम चुनाव एक ही समय में आ रहे हैं। यह भी पहली मर्तबा है कि मतदान से तीन सप्ताह पूर्व और नामांकन प्रक्रि शुरू होने के तीन दिन बाद भी हलके की सियासत में सन्नाटा पसरा है। हालांकि दिवाली व अन्य त्योहारों के चलते बाजार में चुस्ती देखने को मिली, लेकिन दोनों मुख्य दलों के बीच टिकट आबंटन को लेकर मचे घमासान में सियासत पूरी तरह गुम होकर रह गई है । कार्यकर्ताओं में हलके की भावी राजनीति को लेकर गत छह माह से चला आ रहा असमंजस आज भी बरकरार है, जबकि दूसरी और सियासी पंडितों की मगज खपाई भी नित नए असमंजस पैदा कर रही है। बुधवार को एक पार्टी के संभावित उम्मीदवार पालमपुर पहुंच कर केंद्रीय मंत्री से भरोसा पाने में नाकाम रहे, वहीं दिल्ली की लंबी दौड़ के बाद गृह क्षेत्र पहुंचे दूसरी पार्टी के संभावित उम्मीदवार भी बुधवार को अपने विधानसभा क्षेत्र में तो आए, लेकिन तमाम अटकलों को यथवत छोड़ कर सिर्फ मंदिरों में माथा टेकने की रस्म पूरा कर लौट गए । इस दौरान सभी कांगड़ा, बड़ोह, ज्वालामुखी, नारदा शारदा, श्रीचामुंडा, नयना देवी तथा बगलामुखी में माथा टेकने का कार्यक्रम बताया। सूत्र बताते हैं कि वर्तमान विधायक एवं मंत्री जीएस बाली शुक्रवार को कार्यकर्ताओं से मन की बात कर भविष्य की रणनीति की घोषणा करेंगे, जबकि दूसरा दल अभी भी पार्टी की अधिकृत चिट्ठी की टकटकी लगाए हुए है । उधर, विधानसभा क्षेत्र में इस बार बढ़कर 78723 की संख्या को पार कर चुके मतदाता भी अंदर खाते तैयार, लेकिन बाहर से मौन रूप अख्तियार कर हवा के रुख का इंतज़ार कर रहा है ।
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