बोफोर्स की ‘चुनावी’ अपील !

By: Oct 23rd, 2017 12:05 am

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और वीपी सिंह दोनों ही आज दिवंगत हैं। बोफोर्स घोटाले का एक नायक और दूसरा प्रतिनायक! खलनायक कौन है, आज तक साबित नहीं हो सका। इनके अलावा, विन चड्ढा और क्वात्रोक्की भी बोफोर्स के मुख्य आरोपियों में थे। वे भी आज दिवंगत हैं। हिंदूजा भाइयों को दिल्ली उच्च न्यायालय करीब 12 साल पहले ही बरी कर चुका है। इस कालखंड में 10 साल ऐसे थे, जब कांग्रेस नेतृत्व की यूपीए सरकार ने सीबीआई को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की इजाजत नहीं दी। घोटाले के मुख्य चेहरे, मुख्य लाभार्थी, गवाह और साक्ष्य आज मौजूद नहीं हैं, तो बोफोर्स कांड को नए सिरे से उठाने का औचित्य क्या है? यदि सुप्रीम कोर्ट सीबीआई की अपील सुनती भी है और घोटाले के घूसखोर साबित भी हो जाते हैं, तो क्या होगा? क्या अस्तित्व खत्म हो चुके अभियुक्तों पर कालिख पोती जा सकेगी? क्या नए संदर्भों में गांधी परिवार और कांग्रेस की प्रतिष्ठा, छवि दागदार हो सकेगी? इजाजत देने से पहले मोदी सरकार ने इन सवालों पर सोचा भी होगा। यदि बोफोर्स के जरिए एक बार फिर सियासत की जानी है, गांधी परिवार की घेराबंदी किए रखनी है, तो यह मामला नए सिरे से सुप्रीम कोर्ट के सामने जा सकता है। मामला 1986 का है, जब 400 बोफोर्स तोपों की खरीद के लिए भारत-स्वीडन के बीच करार हुआ था। तब राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री थे। 1987 में स्वीडन रेडियो से ही घोटाले की खबर प्रसारित की गई, जिसे भारत में कुछ नेताओं ने लपक लिया। उस दौर में वीपी सिंह राजीव सरकार में वित्त मंत्री थे। इस्तीफा देकर उन्होंने देश भर में अभियान चलाया। तब सार्वजनिक सभाओं में वीपी सिंह अकसर एक नंबर बताया करते थे, जिसे स्विस बैंक में राजीव गांधी के खाते का नंबर बताया जाता था। 1989 के चुनाव के बाद वीपी सिंह भाजपा और वामपंथी दलों के समर्थन से देश के प्रधानमंत्री भी बने। अंततः वह भी दिवंगत हो गए, अदालतों में केस भी जारी रहा, लेकिन आज तक उस बैंक नंबर का कोई अता-पता नहीं है। आम धारणा थी कि बोफोर्स घोटाले में राजीव गांधी ने घूस खाई थी। दलाली की राशि भी सिर्फब 64 करोड़ रुपए बताई गई थी। हम लोकतांत्रिक देश हैं। जनता ने राजीव गांधी और कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया था। 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद तो इस मामले से उनका नाम हटा दिया गया था। आज तो बोफोर्स कांड से जुड़े तमाम नाम इस दुनिया में नहीं हैं, तो नए सिरे से केस चलाकर क्या साबित किया जाएगा? दरअसल मोदी सरकार और उसके अधीन कार्यरत सीबीआई सिर्फ छाया को ही पीटना चाहते हैं। यह साबित करने की बार-बार मंशा रही है कि कांग्रेस और गांधी परिवार ‘भ्रष्ट’ हैं। यह जनता ने ही तय कर दिया था कि कांग्रेस ठीक नहीं है, लिहाजा आज पार्टी लोकसभा में 45 सांसदों तक सिमट कर रह गई है। दरअसल यूपीए सरकार के दौरान उस लंदन बैंक की सील खोली गई, जिसमें क्वात्रोक्की ने घूस के पैसे रखे थे और क्वात्रोक्की अपना धन निकाल कर चला गया। ऐसा सोनिया गांधी के इशारे पर हुआ होगा! सोनिया और क्वात्रोक्की के आपसी रिश्तों की कई व्याख्याएं होती रही हैं। दोनों ही इटली के थे। डा. मनमोहन सिंह तब प्रधानमंत्री थे और हंसराज भारद्वाज कानून मंत्री थे। भारद्वाज को गांधी परिवार के बहुत करीब माना जाता था। लंदन बैंक की सील तुड़वाने का काम तत्कालीन कानून मंत्री के सौजन्य से ही हुआ था। यदि बोफोर्स कांड में कोई नया आयाम देश के सामने रखना है, तो मनमोहन सिंह, हंसराज भारद्वाज और सोनिया गांधी के खिलाफ नए केस दर्ज कर उन पर कार्रवाई की जानी चाहिए। इनके अलावा, गांधी परिवार के खिलाफ नेशनल हेरॉल्ड अखबार के मामले में करीब 5000 करोड़ का मुकदमा जारी है। सोनिया और राहुल गांधी दोनों ही जमानत पर हैं। इसके अलावा, इटली की कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकाप्टर खरीद के 3600 करोड़ रुपए के घोटाले में संदेह की सूई भी गांधी परिवार की ओर है। विजय माल्या और ललित मोदी से जुड़े जो घोटाले सामने आए हैं, वे भी कांग्रेस सरकार के दौरान के हैं। गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट बढेरा पर भी हेराफेरी के आरोप हैं। यदि मोदी सरकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐतिहासिक प्रतिमान स्थापित करने हैं, तो इन मामलों में दखल देकर यथासमय निष्कर्ष सामने लाने की कोशिश करनी चाहिए। बोफोर्स घोटाला तो उल्टा भी पड़ सकता है। अभी हिमाचल और गुजरात के चुनाव सामने हैं। बोफोर्स कांड इन राज्यों की चुनावी राजनीति में कितना प्रासंगिक साबित होगा, कमोबेश हम तो संदेहास्पद हैं। सीबीआई बोफोर्स कांड की जांच और दूसरे अभियानों पर 250 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि पानी में बहा चुकी है। अब और लीक पीटने का फायदा क्या होगा? लिहाजा बोफोर्स को अतीत में ही दफन करना राष्ट्रहित में होगा। गुजरात में भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी फिसलन भरी पिच पर हैं। राजनीतिक समीकरण उनके खिलाफ लामबंद होते जा रहे हैं। करीब 74,000 किसानों पर कर्ज के बोझ हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने विकास की राजनीति के तहत जो वादे जनता से किए थे, उन्हें सार्वजनिक रूप से बताना होगा। बोफोर्स का भूत जानकर जनता क्या हासिल करेगी? कुछ भी नहीं और भाजपा के हाथ भी खाली ही रहेंगे।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App