आखिर क्यों करवाया जाता है बच्चों का मुंडन

By: Nov 26th, 2017 12:05 am

भारत देश में हर इनसान जीवन से लेकर मृत्यु तक हजारों परंपरा निभाता है। किसी के घर अगर बच्चा पैदा होता है तो एक पंडित जी आकर उसकी कुंडली तैयार करते हैं। इन सब परंपराओं में से एक परंपरा है मुंडन की। आखिर क्या कारण है कि हिंदू मुंडन संस्कार को इतना महत्त्व देते हैं। आज आपको बताते हैं कि जन्म के बाद बच्चों का मुंडन क्यों करवाया जाता है। हिंदू धर्म में मुंडन का एक अलग ही महत्त्व है। बच्चे के पैदा होने के बाद उनका मुंडन करवाया जाता है और किसी नजदीकी रिश्तेदार की मृत्यु होने पर भी मुंडन का रिवाज है। बच्चा जब मां के गर्भ में होता है तो उसके सिर के बालों पर काफी कीटाणु, बैक्टीरिया और जीवाणु लगे होते हैं, जो बच्चे को नहलाने से नहीं निकल पाते। इसलिए 1 साल के अंदर बच्चे का मुंडन जरूर करवाया जाता है।  बच्चा जब 5 साल का हो जाता है तो उसके सिर के बाल उतारे जाते हैं जिसे मुंडन संस्कार कहा जाता है।

मृत्यु के बाद

जब किसी नजदीकी रिश्तेदार की मृत्यु हो जाती है, तो भी मुंडन करवाया जाता है। जब पार्थिव देह को जलाया जाता है, तो उसमे भी कुछ हानिकारक जीवाणु होते हैं। जो हमारे शरीर पर चिपक जाते हैं। उन जीवाणुओं को निकालने के लिए मुंडन करवाया जाता है।

चोटी रखने का महत्त्व

मुंडन के बाद चोटी रखने का वैज्ञानिक महत्त्व है। सिर में सहस्र स्थान पर चोटी रखी जाती है। यह मस्तिष्क का केंद्र होता है। विज्ञान के अनुसार यह शरीर के अंगों, बुद्धि और मन को नियंत्रित करता है।


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