घर की ऊर्जा बढ़ाने की शक्तिशाली प्रक्रिया है पुण्य पूजा

By: Nov 4th, 2017 12:14 am

आपने कोई पारंपरिक पूजा देखी ही नहीं है। आपने काफी हद तक प्रोफेशनल पूजा देखी है। यह कोई प्रोफेशनल पूजा नहीं है। इस पूजा को कराने के लिए जो ‘मां’ आपके घर आती हैं, वे पेशेवर पुजारी नहीं हैं। वे इस पूजा को सफल बनाने में जान लगा देती हैं। तो सवाल यह है कि यह पुण्य पूजा है क्या और यह इतनी असरदार कैसे होती है?

पुण्य और पाप का अर्थ ठीक से समझना होगा आपको पता है, पुण्य क्या होता है? दुर्भाग्यवश जिसे पुण्य और पाप कहा जाता है, उनका काफी समय से बहुत गलत अर्थ निकाला जाता रहा है। पुण्य का मतलब ऐसे कार्य हैं जो आपके भीतर जीवन के जोश को बढ़ाते हैं और पाप का मतलब ऐसे काम हैं जो आपकी जीवन ऊर्जा को जड़ता की ओर ले जाते हैं। आसान शब्दों में कहें तो जो काम आपको जीवन की ओर ले जाते हैं-पुण्य हैं, और जो कार्यकलाप आपको मृत्यु की ओर ले जाते हैं- पाप हैं। मृत्यु से मेरा मतलब शारीरिक मृत्यु से नहीं है, आप कई रूपों में मर सकते हैं। आपने कितने समय से पूर्णिमा का चांद नहीं देखा? पिछली बार आपने सूर्योदय कब देखा था? पिछली बार ऐसा कब हुआ था, जब आपने वाकई बैठकर एक फूल को खिलते देखा हो? क्या आपने कभी ऐसा किया है? जीवन-प्रक्रिया में बहुत सी शानदार चीजें घटित होती रहती हैं। हर दिन, हर पल ऐसा होता है। अधिकतर इनसान उनके प्रति मरे हुए हैं। वे चंद्रमा के प्रति जड़ हैं, सूर्योदय के प्रति जड़ हैं, सूर्यास्त के प्रति जड़ हैं। जब बहुत ज्यादा जरूरी होता है, या उन्हें सुबह जल्दी उठकर काम पर जाना होता है, तभी वे सूर्य को देख पाते हैं। इसकी वजह यह है कि मनोवैज्ञानिक चीजों ने ब्रह्मांडीय चीजों की जगह ले ली है। आपकी अपनी मूर्खतापूर्ण दिमागी रचना स्रष्टा की सृष्टि पर हावी हो गई है।

जीवन जोश और उल्लास की अंतहीन अवस्था है

पुण्य पूजा का मकसद आपके लिए ऊर्जावान स्पेस तैयार करना है, जहां आप जीवन के प्रति जीवंत हो सकें क्योंकि जीवन ही जीवन को जीवंत बनाता है। उसे सिर्फ इसी तरह बेहतर बनाया जा सकता है। आपको समझना होगा कि अगर आपको जीवंत होना है, तो आपको जीवन को अपने अंदर समाना होगा। चाहे आप उसे किसी सब्जी, फल, अनाज, पशु, पक्षी, मछली या जिस भी रूप में लें, मुख्य रूप से आपको इस जीवन के लिए जीवन को आत्मसात करना होगा। हमेशा जीवन, जीवन को खा जाता है, जरूरी नहीं है कि यह सिर्फ भोजन के द्वारा ही हो। हर पल सारा अस्तित्व इसी तरह है। ब्रह्मांड एक जीवंत जगह है और यहां एक जीवन दूसरे जीवन में, फिर वह तीसरे जीवन में-एक जीवन रूप दूसरे में, दूसरा किसी और में समाता रहता है। इन सबके प्रति जागरूक या जीवंत होने की क्या अहमियत है? अहमियत सिर्फ यह है कि आप एक जीवन हैं। इसका लाभ क्या है? आपको लगता है कि लाभ तो होना ही चाहिए-यह आपकी मनोवैज्ञानिक बकवास है। मैं चाहता हूं कि आप इस पर ध्यान दें-आप जन्मे, अब तक जीवन जिया, मैं आपको लंबे जीवन का आशीर्वाद दूंगा, मगर फिर भी एक दिन आपको मरना ही है। आपके मरने के बाद, हम पीछे मुड़ कर देखेंगे कि इस इनसान का क्या उपयोग था। जन्म लेना, ये सारी चीजें करना और फिर एक दिन मर जाना? वाकई कोई उपयोग नहीं है। पर्यावरण के नजरिए से एकमात्र उपयोगी चीज आपकी मौत लगती है क्योंकि हम और आप मिलकर अच्छी खाद बन सकते हैं। जीवन का क्या उपयोग है? कोई उपयोग नहीं है। उसका क्या अर्थ है? यही सबसे खूबसूरत चीज है कि इसका कोई अर्थ नहीं है। अगर इसका कोई अर्थ होता, और आप उसे खोज लेते, तो उसके बाद आप क्या करते? आपको फंदे पर लटकना पड़ता। इसका कोई अर्थ नहीं है। यह जोश और उल्लास की एक अंतहीन अवस्था है। आप इस अवस्था का अनुभव करके ही जीवन को जान सकते हैं। वरना आप सिर्फ अपने मूर्खतापूर्ण विचारों और भावनाओं को ही जान पाते हैं।

पुण्य पूजा पूरे घर की प्राण-प्रतिष्ठा का तरीका है

पुण्य पूजा आपके घर को जीवंत बनाती है। अगर आप अपने घर में इस तरह रहते हैं कि हर पल आपके भीतर प्रेम और रोशनी का उत्साह होता है, फिर आपको किसी पुण्य पूजा की जरूरत नहीं है। मगर आज आप इतने विशाल घर बनाते हैं कि सिर्फ वहां रहते हुए उन्हें जीवंत बनाना बहुत मुश्किल होता है। अगर आपके पास सिर्फ एक कमरे का घर होता और आप प्रेम और खुशी की जबरदस्त भावना के साथ उसमें रहते, तो आप आसानी से उसे बहुत जीवंत रख सकते थे। पुण्य पूजा आपके पूरे घर की प्राण-प्रतिष्ठा का एक तरीका है।

-सद्गुरु जग्गी वासुदेव


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