जीवन का सार

By: Nov 11th, 2017 12:02 am

श्रीश्री रवि शंकर

दिमाग से दिमाग को समझा जाता है और दिल से दिल को समझा जाता है। नाक केवल सूंघ ही सकती है, आंखें केवल देख ही सकती हैं, कान केवल सुन ही सकते हैं, कान देख नहीं सकते। इसी तरह दिल महसूस कर लेता है। हम दिमाग में दिल लगाने की और दिल में दिमाग को डालने की कोशिश करते हैं, जिससे कुछ नहीं हो पाता। दिल सुंदरता को महसूस कर लेता है, जबकि दिमाग केवल कहता है कि यह सुंदर है। हम मन में सुंदर शब्द को केवल पकड़ लेते हैं, किंतु उसे महसूस नहीं कर पाते। हम केवल ‘सुंदर’ शब्द को दोहरा रहे होते हैं। सिर में सुंदर शब्द को दोहराने से सुंदरता महसूस नहीं होती है। प्रेम में भी यही बात है, तुम प्रेम में कुछ ज्यादा ही बोल जाते हो और दिमाग के स्तर में ही अटके रहते हो और दिल में कुछ होता ही नहीं है। मौन में प्रेम बरसता है, उसका विकरण होता है। अपनी प्रिय वस्तु या लोगों के साथ हमें अपने स्वरूप का अनुभव होता है। यही कारण है कि जब हम अपनी किसी प्रिय चीज को खोते हैं, तब हमें दुख होता है और दर्द महसूस होता है। मान लो कि तुम्हें अपने पियानो से प्यार है और तुम्हें यह सुनने को मिले कि तुम्हारे पियानो को कुछ हो गया, तो तुम्हारे अंदर से कुछ कट जाता है या अगर तुम्हारी गाड़ी या तुम्हारे कुत्ते को कुछ हो गया, तो तुम्हें लगता है कि कुछ खो गया है। तुम केवल अपने शरीर से ही नहीं जुड़े हुए हो, बल्कि वहां भी तुमने अपना घर बसा लिया है। यदि हम अपने अस्तित्व का इतना अधिक विस्तार कर लें जिसमें पूर्ण सृष्टि समा जाए, तब हमें कुछ भी खोने का एहसास नहीं होगा और हम जान लेंगे कि हम संपूर्ण हैं। आप एक नीले मोती हैं। नीला रंग सुंदर है, नीला वह है जो बड़ा है, विशाल है और अनंत है। वह सब जो कि विशाल है, जो इस रचना में अनंत है, जिसमें गहराई है वह नीले से अभिव्यक्त करा जाता है। आकाश नीला है, समुद्र नीला है। आप एक नीले मोती हैं, इस अर्थ में कि तुम्हें मापा नहीं जा सकता है। तुम्हारा अस्तित्व बहुत गहरा है। यद्यपि आप इस शरीर में हैं, तुम्हारे अस्तित्व को कोई भी नाप नहीं सकता। तुम्हारा अस्तित्व केवल एक अनंत खाली नीले आकाश जैसा नहीं बल्कि वह एक चमकीली आभा युक्त अनंतता है, जो गहरी और विशाल है। नीला मोती यानी वह जो चमकता है, जो आभायुक्त है, जो कि अनंत है फिर भी वह परिमित और संपूर्ण लगता है। जब हम अपने दिल को सुनना शुरू करते हैं तब हमें बोध हो जाता है कि सब कुछ एक है व एक ही ईश्वर सब में है। हमारे शरीर में कितनी सारी कोशिकाएं हैं और प्रत्येक कोशिका स्वयं में जीवंत है। कई कोशिकाएं हर दिन पैदा हो रही हैं और कई कोशिकाएं मर रही हैं, लेकिन उनको तुम्हारे बारे में पता नहीं है। फिर किसी कोशिका विशेष में अगर कुछ गड़बड़ी होती है तो तुम उसे महसूस कर लेते हो। उसी प्रकार, हालांकि हम सभी का जीवन बहुत छोटा है, फिर भी एक ऐसी चेतना विद्यमान है, जिसका राज अन्य सभी जीवन पर है। हम सब जीवन के सागर में तैर रहे हैं, एक बहुत बड़े जीवन सागर में। हमारे चारों ओर केवल खाली आकाश नहीं है, यहां एक जीवंत और बड़ा जीवन है और जीवन के इस विशाल समुद्र में सभी घड़े तैर रहे हैं और सभी घड़ों में थोड़ा पानी भी है, घड़े का पानी समुद्र के पानी से अलग नहीं है। अपनी प्रियवस्तु या लोगों के साथ हमें अपने स्वरूप का अनुभव होता है।  मैं सभी रूपों में अपने स्वरूप को देखता हूं। यही जीवन का सार है।


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