पीएचसी पांगणा में नहीं मिलती बेहतर सुविधाएं
करसोग — वर्षों से स्तरोन्नत होने को तरसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पांगणा को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने चार अक्तूबर 2017 को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा देकर उपतहसील पांगणा के लोगों को बहुत बड़ी सौगात प्रदान करने के बाद पटरी से उतरी स्वास्थ्य व्यवस्था के चुस्त-दुरुस्त होने की उम्मीद बंधी है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के इस उपहार से एक अन्य चिकित्सक का पद भरने का 32 वर्ष का इंतजार अब खत्म होने को है। हालांकि दोनों सरकारों के समक्ष पांगणा को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग बार-बार उठती रही, लेकिन भाजपा और कांग्रेस सरकारों की उदासीनता के कारण स्थिति यह है कि लोग इस चिकित्सालय में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को तरस रहे हैं। मरीजों को मजबूरन आईजीएमसी शिमला जाना पड़ता है। 27 मार्च 1985 को निहरी से नागरिक औषधालय को पांगणा शिफ्ट करने के बाद से ही यह चिकित्सालय आधारभूत सुविधाओं को निरंतर तरस रहा है। वर्षों तक इस औषधालय को अपना भवन नसीब नहीं हुआ। 1985 से पूर्व, जिस भवन में आयुर्वेदिक औषधालय चलता था उसी दो कमरे वाले भवन में नागरिक औषधालय व फिर स्तरोन्नत होकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 24 वर्षों तक चलता रहा। हालांकि 16 सितंबर 1994 को नागरिक औषधालय का दर्जा बढ़कर यह स्वास्थ्य केंद्र प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बन गया, लेकिन इसे न जगह नसीब हुई और न ही नया भवन बना। उपायुक्त मंडी तरुण श्रीधर के प्रयासों से पांगणा पुलिस पोस्ट के पास प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के नाम राजस्व विभाग की जमीन स्वास्थ्य विभाग के नाम स्थानांतरित हुई। इस भूमि पर 14 नवंबर 1997 को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के भवन का शिलान्यास भी कर दिया, लेकिन विडंबना यह रही कि कुछ राजनीतिक छुटभैयों को यह जगह रास नहीं आई और उन्होंने शिलान्यास के बाद मुख्यमंत्री के संबोधन में ही इस जमीन का विरोध करवाकर महिला मंडल व युवा मंडल के प्रयासों पर पानी फेर दिया, जिसके फलस्वरूप 12 वर्षों तक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पांगणा को अपना भवन नसीब नहीं हुआ और यह शिलान्यास पट्टिका पांगणा की गोलमोल राजनीति का आईना बन समाजसेवियों को चिढ़ाती रही। फिर पांगणा गांव की सेवानिवृत्त शिक्षिका तुलसी देवी, कमला गुप्ता, हिम्मत राम, कैलाश महाजन, खेमराज व जयकृष्ण गुप्ता आदि ने बाजार के बीच लगभग अढ़ाई बीघा भूमि स्वास्थ्य विभाग के नाम दान कर, जहां स्तुत्य कार्य किया वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के भवन निर्माण के कार्य को मजबूत आधार भी प्रदान किया। आखिरकार इस दान की हुई भूमि पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के दो मंजिले भवन का निर्माण पूरा हुआ। 21 फरवरी 2009 को तत्कालीन स्वास्थ्य परिवार कल्याण एवं आयुर्वेद मंत्री डाक्टर राजीव बिंदल ने इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के 29 लाख 27 हजार 200 रुपए से निर्मित दो मंजिले भवन का उद्घाटन किया। इसमें अभ्यंतर रोगियों के लिए छह विस्तर, एक्स-रे मशीन, प्रयोगशाला की व्यवस्था की, लेकिन चिकित्सा विशेषज्ञों, अतिरिक्त नर्स, एक्स-रे तकनीशियन की कमी से पिछले आठ वर्षों से आज तक एक भी मरीज इन बिस्तरों पर एक रात के लिए भी न तो दाखिल हो पाया और न ही तो एक्स-रे मशीन से आठ वर्षों तक एक भी एक्स-रे हो पाया। 2009 से ही यह छह बिस्तर तथा एक्स-रे प्लांट मात्र शोपीस बने हुए है। स्थिति यह हो गई है कि गंभीर अवस्था में मरीजों को निजी अस्पतालों, क्लीनिकों या दूर पार स्थित आईजीएमसी शिमला में इलाज करवाने को विवश होना पड़ता है। पांगणा के वरिष्ठ समाजसेवी डाक्टर जगदीश, डीपी शर्मा, शांता शर्मा, बसंत लाल, सुरेश शर्मा, नरेश शर्मा, रोशन लाल, केशव राम शर्मा, सुरेश कौशल, कामेश्वर शर्मा, व्यापार मंडल के अध्यक्ष सुमित गुप्ता व सभी व्यापारी वर्ग, कुशल महाजन, धर्मपाल, नंद किशोर, रविंद्र, युवक मंडल, महिला मंडल व उपतहसील के अंतर्गत आने वाली पंचायतों के प्रतिनिधियों तथा समीपवर्ती नाचन व सुंदरनगर निर्वाचन क्षेत्र की पंचायतों, सामाजिक संगठनों ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर, मनसा राम, तरूण श्रीधर व ओंकार शर्मा सहित अन्य का पांगणा में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए आभार व्यक्त किया है।
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