समसामयिकी

By: Nov 8th, 2017 12:10 am

ईज ऑफ डूईंग बिजनेस

भारत ने ईज ऑफ डूईंग बिजनेस के मामले में एक लंबी छलांग लगाई है। साल 2017 में इस छलांग के साथ भारत 100वें पायदान पर पहुंच चुका है। आपको बता दें कि बीते साल 190 देशों की सूची में भारत 130वें पायदान पर रहा था। वहीं साल 2014 में भारत ईज ऑफ डूईंग बिजनेस के मामले में 142वें नंबर पर रहा। केंद्र सरकार ने अपने स्तर पर और अपनी दूसरी एजेंसियों के जरिये कारोबार से जुड़े अवरोधों को दूर करने के लिए कदम उठाए। साथ ही मुंबई व दिल्ली के नगर निगमों के साथ मिलकर ही उन मानकों पर काम किया गया, जिनकी वजह से अभी तक भारत इस रैकिंग में फिसड्डी साबित हो रहा था।

आईबीसी का भी असर दिखा

पिछले दिनों केंद्र सरकार ने न्यू इंसॉल्वेंसी व बैंक्रप्सी कोड (आईबीसी) लागू किया, जिसके कई तरह के सकारात्मक असर कारोबार के माहौल पर पड़ने के आसार हैं। इससे कारोबार के लिए कर्ज जुटाना आसान हो गया है और कर्ज देने वालों को यह भरोसा है कि उनका कर्ज डूबेगा नहीं। कंपनी के बंद होने पर उससे कर्ज वसूलना भी पहले से आसान हो गया है। इस कदम ने रैकिंग सुधारने में मदद की है।1छोटे निवेशकों के हित सवरेपरि र् पिछले दो वर्षो से बाजार नियामक एजेंसी ने माइनॉरिटी निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए कई कदम उठाये हैं। विदेशी निवेशकों के लिए माइनॉरिटी हिस्साधारकों के हित काफी महत्व रखता है। बहरहाल, सेबी का कदम सटीक बैठा है। माइनॉरिटी शेयरधारकों के मामले में रैकिंग 16 अंकों से सुधरकर चार हो गई है।

कांट्रैक्ट पर अमल पहले से आसान

सरकार की तरफ से राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड बनाने की घोषणा की गई है। इससे स्थानीय कोर्ट में चलने वाले मामलों पर नजर रखना आसान हो गया है। इनके प्रबंधन की अब सटीक व्यवस्था हो सकती है। इस मामले में भारत की रैकिंग 172 से सुधरकर 164 हुई है। साफ है कि आने वाले दिनों में अभी इस दिशा में और काम करना है।

विश्व बैंक ऐसे करता है रैंकिंग

दस संकेतकों के आधार पर विश्व बैंक प्रदर्शन का आकलन करके रिपोर्ट जारी करता है। रिपोर्ट की अहमियत इसलिए है क्योंकि इससे देश में व्यवसाय शुरू करने की प्रक्रिया की सरलता का पता चलता है। दस संकेतकों के आधार पर सभी देशों का रैंक तय किया जाता है। इनमें बिजली कनेक्शन लेने में वक्त, अनुबंध लागू करना, कारोबार शुरू करना, संपत्ति पंजीकरण, दिवालिएपन के मामले सुलझाना, निर्माण प्रमाणपत्र, कर्ज लेने में लगने वाला समय व अन्य शामिल हैं।


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